Dassault Rafale is a French twin-engine, canard delta wing,
राफेल लड़ाकू विमान
आज हम इस सुर्खियों के लेख की शुरुआत भारतीय वायुसेना के ध्यय वाक्य touch the sky with glory से शुरू करते हैं।
अंबाला एयरबेस पर राफेल विमानों ने लैंडिंग कर ली है। विमान ने सोमवार को फ्रांस के एयरबेस से उड़ान भरी थी।
भारतीय वायुसेना और देश की सामरिक दृष्टि से यह एक ऐतिहासिक क्षण है इस क्षण का करोड़ों भारतीयों को बेसब्री से इंतजार था। लम्बे विवादों के बाद आखिरकार मोदी सरकार ने बड़ी कामयाबी हासिल कर इन विमानों के पहले काफिले को भारत भूमि पर उतारा ही दिया। हेप्पी लैंडिंग ने भारतीय सुरक्षा तंत्र में चार चांद लगा दिए। इस ख़तरनाक विमानों से दुश्मन तो थर थर कांपेगा ही साथ ही भारतीय वायुसेना सेना के मनोबल में दुगुना इजाफा होगा।
भारतीय वायुसेना और देश की सामरिक दृष्टि से यह एक ऐतिहासिक क्षण है इस क्षण का करोड़ों भारतीयों को बेसब्री से इंतजार था। लम्बे विवादों के बाद आखिरकार मोदी सरकार ने बड़ी कामयाबी हासिल कर इन विमानों के पहले काफिले को भारत भूमि पर उतारा ही दिया। हेप्पी लैंडिंग ने भारतीय सुरक्षा तंत्र में चार चांद लगा दिए। इस ख़तरनाक विमानों से दुश्मन तो थर थर कांपेगा ही साथ ही भारतीय वायुसेना सेना के मनोबल में दुगुना इजाफा होगा।
भारतीय सरजमीं पर राफेल
आइए नजर डालते हैं इन लड़ाकू विमानों की अगुवाई में भारतीय शीर्ष नेताओं ने क्या कहा और कैसे स्वागत किया।तथा इन विमानों कि क्या खासियत है जो दुनिया भर के देशों के लिए सपना बना हुआ है।राफेल के भारत पहुंचने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संस्कृत के श्लोक से स्वागत किया. लिखा, राष्ट्ररक्षासमं पुण्यं, राष्ट्ररक्षासमं व्रतम्, राष्ट्ररक्षासमं यज्ञो, दृष्टो नैव च नैव च।। नभः स्पृशं दीप्तम्... स्वागतम्!
राफेल विमानों के अंबाला एयरबेस पर लैंड करने पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वायुसेना को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'बर्ड्स अंबाला में सुरक्षित उतर गए हैं। भारत में राफेल लड़ाकू विमानों का पहुंचना हमारे सैन्य इतिहास में एक नए युग की शुरुआत है। ये मल्टीरोल वाले विमान वायुसेना की क्षमताओं में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे। मैं एक भारतीय वायुसेना को बधाई देता हूं। यकीन है कि 17 गोल्डन एरोज स्क्वाड्रन, 'उदयम आश्रम' के अपने आदर्श वाक्य को जारी रखेंगे। मुझे बेहद खुशी है कि भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमता को समय पर बढ़ावा मिला।'
हालांकि भारत को ये विमान पहले मई में मिलने वाले थे, लेकिन कोरोना के कारण इनके मिलने में दो महीने की देरी हो गई। राफेल विमानों की पहली खेप में छह जेट भारत को मिलने हैं। पहले राफेल विमान को अक्टुबर 2019 में भारत को सौंपा गया था। भारत ने राफेल में अपनी जरूरत के हिसाब से कुछ बदलाव भी किए हैं। इसमें इजरायल के हेलमेट माउंट डिस्प्ले के साथ ही रडार वार्निग रिसीवर, लो बैंड जामर, दस घंटे की फ्लाइट डाटा रिकार्डिग और ट्रैकिंग सिस्टम समेत कई अन्य सुविधाएं अपने हिसाब से जनरेट की गई है। |
राफेल की यह है खासियत
राफेल अधिकतम भार उठाकर इसके उड़ने की क्षमता 24500 किलोग्राम है। विमान में ईंधन क्षमता 17 हजार किलोग्राम है। यह दो इंजन वाला लड़ाकू विमान है, जो भारतीय वायुसेना की पहली पसंद है। हर तरह के मिशन में भेजा जा सकता। 24,500 किलो उठाकर ले जाने में सक्षम और 60 घंटे अतिरिक्त उड़ान भी भर सकता है।राफेल एक मिनट में करीब 60 हजार फुट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। इससे भारतीय वायुसेना के आधुनिकीकरण को गति मिलेगी। अभी तक भारतीय वायुसेना का मिग विमान अचूक निशाने के लिए जाना जाता था, लेकिन राफेल का निशाना इससे भी ज्यादा सटीक होगा। राफेल विमान फ्रांस की कंपनी द्वारा बनाया गया दो इंजन वाला लड़ाकू विमान है।
3700 किलोमीटर तक मारक क्षमता रखने वाले फाइटर जेट राफेल के भारत आने से न केवल एयर डिफेंस को मजबूती मिलेगी, बल्कि विजिलेंस भी मजबूत हो जाएगा। परमाणु हथियार समेत तमाम मारक हथियारों को इसके माध्यम से लॉन्च किया जा सकेगा।
राफेल डीएच (टू-सीटर) और राफेल ईएच (सिंगल सीटर), दोनों ही ट्विन इंजन, डेल्टा-विंग, सेमी स्टील्थ कैपेबिलिटीज के साथ चौथी जनरेशन का फाइटर है। ये न सिर्फ फुर्तीला है, बल्कि इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है।इस फाइटर जेट को रडार क्रॉस-सेक्शन और इन्फ्रा-रेड सिग्नेचर के साथ डिजाइन किया गया है। इसमें ग्लास कॉकपिट है। इसके साथ ही एक कम्प्यूटर सिस्टम भी है, जो पायलट को कमांड और कंट्रोल करने में मदद करता है।
इसमें ताकतवर एम 88 इंजन लगा हुआ है। राफेल में एक एडवांस्ड एवियोनिक्स सूट भी है। इसमें लगा रडार, इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन सिस्टम और सेल्फ प्रोटेक्शन इक्विपमेंट की लागत पूरे विमान की कुल कीमत का 30% है।इस जेट में आरबीई 2 एए एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) रडार लगा है, जो लो-ऑब्जर्वेशन टारगेट को पहचानने में मदद करता है। |
राफेल सौदा और विवादों का अतीत
राफेल ही कयों बना पहली पसंद
वित्तीय कारणों से भारतीय वायु ने लंबे टेस्ट के बाद राफेल को चुना। दरअसल राफेल विमान भारत सरकार के लिए एकमात्र विकल्प नहीं था। इस डील के लिए कई अंतरराष्ट्रीय विमान निर्माताओं ने भारतीय वायुसेना से पेशकश की थी। इनमें से छह बड़ी विमान कंपनियों को चुना गया। जिसमें लॉकहेड मार्टिन का एफ-16, बोइंग एफ/ए -18 एस, यूरोफाइटर टाइफून, रूस का मिग -35, स्वीडन की साब की ग्रिपेन और राफेल शामिल थे। भारतीय वायुसेना ने विमानों के परीक्षण और उनकी कीमत के आधार पर राफेल और यूरोफाइटर को शॉर्टलिस्ट किया। यूरोफाइटर टायफून काफी महंगा है। इस कारण भी डलास से 126 राफेल विमानों को खरीदने का फैसला किया गया है।
भारतीय वायुसेना ने वर्ष 2001 में अतिरिक्त लड़ाकू विमानों की मांग की थी। रक्षा मंत्रालय ने लड़ाकू विमानों की वास्तविक खरीद प्रक्रिया 2007 में शुरू की। तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद ने अगस्त 2007 में 126 विमान खरीदने के प्रस्ताव पर को सहमति दी।
उल्लेखनीय है कि इस सौदे की शुरुआत 10.2 अरब डॉलर यानी 5,4000 करोड़ रुपये में होनी थी। 126 विमानों में 18 विमानों को तुरंत देने और अन्य की तकनीक भारत को सौंपने की बात थी। लेकिन बाद में किसी कारणवश इस सौदे की प्रकिया रुक गई।
आंकड़ों के मुताबिक विमान की कीमत लगभग 740 करोड़ रुपये है। वहीं भारत सरकार इन विमानों को 20 फीसदी कम लागत पर खरीदना चाहती थी। सरकार ने शुरुआत में 126 जेट खरीदने की योजना बनाई थी, लेकिन बाद में इसे घटाकर 36 कर दिया है।
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