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Covid vaccine |
सम्पूर्ण विश्व कोविड नामक वैश्विक महामारी से जूझ रहा है। बिजली की तरह तेज दौड़ रही भौतिकवाद की गाड़ी थमी हुई है। अधिकतर देशों में लांक डाउन चल रहा है। विकास की गति भी थम सी गई है। पूरी दुनिया में दो लाख से अधिक लोगों की मौत से हमें इस विनाशकारी वायरस की दहशत का आलम नजर आ रहा है कि शान्त विश्व में अपने अपने कार्य में लगे लोगों को अचानक ऐसे वायरस ने बांध कर रख दिया है । लेकिन इन सबके बावजूद बुध्दिमान और साहसी मानव भी इस कोरोना से हारने वाला कब है मूंह तोड़ जवाब दे रहा है। स्वास्थ्य विभाग, पुलिस प्रशासन, वैज्ञानिक , चिकित्सा सेवा से जुड़े लोग एवं आम जन सभी कोरोनावायरस से लड़ रहे हैं तथा जागरूकता के प्रचार और सावधानी से विश्व के कई देशों ने कोरोनावायरस के संक्रमण पर अच्छी खासा नियंत्रण स्थापित कर लिया है।
ऐसे दहशत के समय में हर किसी को कोराना की कारगर दवा का इन्तजार है। विश्व में कोई भी संस्था या वैज्ञानिक कोरोनावायरस की वैक्सीन बनने का दावा करता है तो खुशी की लहर दौड़ पड़ती है। ऐसे ही कुछ दावे समाचार एजेंसियों ने किये है जिसमें एन बी टी , अमर उजाला, बी बी सी आदि ने उन देशों से मिली जानकारी को प्रकाशित किया है जिसमें कोरोनावायरस की वैक्सीन में सफलता हासिल करने का दावा भी किया है।
इजरायल का दावा
इजरायल के रक्षा मंत्री नफताली बेन्नेट ने सोमवार को दावा किया कि देश के डिफेंस बायोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ने कोरोना वायरस का टीका बना लिया है। उन्होंने कहा कि इंस्टीट्यूट ने कोरोना वायरस के एंटीबॉडी को तैयार करने में बड़ी सफलता हासिल की है। रक्षा मंत्री बेन्नेट ने बताया कि कोरोनावायरस की वैक्सीन के विकास का चरण अब पूरा हो गया है और शोधकर्ता इसके पेटेंट और व्यापक पैमाने पर उत्पादन के लिए तैयारी कर रहे हैं।
इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय के अंतर्गत चलने वाले बेहद गोपनीय इजरायल इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल रीसर्च के दौरे के बाद बेन्नेट ने यह ऐलान किया। रक्षा मंत्री के मुताबिक यह एंटीबॉडी मोनोक्लोनल तरीके से कोरोना वायरस पर हमला करती है और बीमार लोगों के शरीर के अंदर ही कोरोना वायरस का खात्मा कर देती है।
तैयारी चरम पर हो सकता है उत्पादन
बयान में कहा गया है कि कोरोना वायरस के वैक्सीन के विकास का चरण अब पूरा हो गया है। डिफेंस इंस्टीट्यूट अब इस टीके को पेटेंट कराने की प्रक्रिया में है। इसके अगले चरण में शोधकर्ता अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से व्यवसायिक स्तर पर उत्पादन के लिए संपर्क करेंगे। बेन्नेट ने कहा, 'इस शानदार सफलता पर मुझे इंस्टीट्यूट के स्टाफ पर गर्व है।' रक्षा मंत्री ने अपने बयान में यह नहीं बताया कि क्या इस वैक्सीन का इंसानों पर ट्रायल किया गया है या नहीं।
इटली का दावा
इटली के वैज्ञानिकों ने कोरोना का एक ऐसा टीका तैयार करने का दावा किया है जो शरीर में जाकर एंटीबॉडी विकसित करता है। वैज्ञानिकों का यहां तक कहना है कि यह टीका इंसानी कोशिकाओं में कोरोना को बेअसर कर देता है। वैज्ञानिकों ने इस टीके के चूहों पर किए गए सफल प्रयोग के बाद उम्मीद जताई है कि ये टीका उन हजारों टीकों के बीच बेहतर साबित हो सकता है जिनका परीक्षण पूरी दुनिया में कोविड-19 से संक्रमित रोगियों पर किया जा रहा है। इटली की न्यूज एजेंसी एएनएसए के मुताबिक इस टीके को टाकिस बायोटेक कंपनी ने तैयार किया है।
एजेंसी की मानें तो अभी विकसित किए जा रहे टीके डीएनए प्रोटीन स्पाइक की आनुवंशिक सामग्री पर आधारित हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक इस नए टीके को इंट्रामस्क्युलर यानी सीधे विशेष मांसपेशियों के केंद्र में दिया जाने वाला इंजेक्शन के तरीके से इंजेक्ट किया जाएगा, जिसके बाद एक हल्का करंट पास किया जाएगा। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह तरीका विशेष रूप से फेफड़ों की कोशिकाओं में स्पाइक प्रोटीन से लड़ने में कार्यात्मक एंटीबॉडी उत्पन्न करने के लिए उनके टीके को प्रभावी बनाता है।
बता दें कि नीदरलैड और जर्मनी ने भी पिछले दिनों लैब में एंटीबॉडी बनाने का दावा किया था। इजराइल की तरफ से इसका दावा वहां के रक्षा मंत्री ने किया था। उनके मुताबिक इसको देश के नामी इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल रिसर्च (आईआईबीआर) की प्रयोगशाला में तैयार किया है। आईआईबीआर के मुताबिक ये एंटीबॉडी वायरस को खत्म करने के प्रयोग में सफल रहा है। हालांकि अभी ये साफ नहीं हो पाया है कि इसका प्रयोग इंसानों पर किया गया है या नहीं। वहीं आईआईबीआर का कहना है कि इस एंटीबॉडी के जरिये कोरोना वायरस से लड़ने वाली दवा या वैक्सीन तैयार की जा सकती है।
इसके अलावा नीदरलैंड की उट्रेच यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने भी ऐसा ही दावा किया है। इस एंटीबॉडी को डेवलेप करने वाली टीम के हैड बर्नेड जान बॉश के मुताबिक इस कृत्रिम एंटीबॉडी ने कोशिका में मौजूद वायरस को खत्म कर दिया। नीदरलैंड ने भी इजराइल की तरह ही दावा किया है कि इस कदम से कोरोना की वैक्सीन बनाने में सफलता मिल सकती है। उनकी ये रिसर्च जर्नल नेचर कम्यूनिकेशंस में पब्लिश भी हूए है।
यहां पर भी सफलता है नजदीक
ब्रिटेन के ऑक्सफ़ोर्ड शहर में इस परीक्षण के लिए 800 से ज़्यादा लोगों को चुना गया था जिनमें से दो वॉलंटियर्स को ये टीका लगाया गया है।
इन 800 लोगों में से आधे को कोविड-19 का टीका दिया जाएगा और आधे को ऐसा टीका जो मेनिंजाइटिस से बचाता है मगर कोरोना वायरस से नहीं।
मगर वॉलंटियर्स को ये नहीं पता होगा कि उन्हें दोनों में से कौन सा टीका दिया गया है।ये जानकारी डॉक्टरों को होगी।
टीका लेने वाले दोनों वॉलंटियर्स में से एक ने बीबीसी से कहा, "मैं एक वैज्ञानिक हूँ, मैं चाहती थी कि मैं किसी भी तरह से विज्ञान की प्रगति में मदद करने की कोशिश कर सकूँ"।ये टीका ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी की एक टीम ने तीन महीने में तैयार किया है।
जेनर इंस्टीच्यूट में वैक्सीनोलॉजी की प्रोफ़ेसर सारा गिल्बर्ट इस टीके के शोध में शामिल थीं।
वो कहती हैं,"निजी तौर पर मुझे इस वैक्सीन में बहुत भरोसा है. पर हमें इसका टेस्ट करना पड़ेगा और इंसानों के डेटा हासिल करने होंगे. हमें दिखाना होगा कि ये वाकई असर करता है, इसके बाद ही हम लोगों को ये टीका दे सकेंगे।
एसे करता है काम यह टीका
ये टीका चिम्पैंज़ी के शरीर से लिए गए एक साधारण वायरस से तैयार किया गया है जिससे सर्दी में ज़ुकाम जैसी शिकायतें होती हैं।
इसे ऐडिनोवायरस कहते हैं जो इस वायरस का एक कमज़ोर पड़ चुका स्वरूप है।
टीके में इस वायरस में ऐसे बदलाव किए गए हैं जिससे कि ये इंसानों में विकसित नहीं हो सकता।
ऑक्सफ़ोर्ट की इस टीम ने इससे पहले मर्स के लिए टीका तैयार किया था जो एक दूसरे किस्म का कोरोना वायरस है। उन्होंने इसे ठीक इसी तरह से तैयार किया था और क्लीनिकल ट्रायल में उसके उत्साहजनक नतीजे आए थे।
भारत में प्रयास है जोरों पर।
अब तक़रीबन आधा दर्जन भारतीय कंपनियां कोविड-19 के वायरस के लिए वैक्सीन विकसित करने में जुटी हुई हैं।इन कंपनियों में से एक सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया है। वैक्सीन के डोज़ के उत्पादन और दुनिया भर में बिक्री के लिहाज़ से यह दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन कंपनी है।53 साल पुरानी यह कंपनी हर साल 1.5 अरब डोज़ बनाती है। कंपनी के दो बड़े प्लांट पुणे में हैं।हालांकि, कंपनी के नीदरलैंड्स और चेक रिपब्लिक में भी छोटे प्लांट्स हैं. इस कंपनी में करीब 7,000 लोग काम करते है।कंपनी 165 देशों को कोई 20 तरह की वैक्सीन की सप्लाई करती है। बनाई जाने वाली कुल वैक्सीन का क़रीब 80 फ़ीसदी हिस्सा निर्यात किया जाता है।इनकी क़ीमत औसतन 50 सेंट प्रति डोज़ होती है।इस तरह से यह दुनिया की कुछ सबसे सस्ती वैक्सीन बेचने वाली कंपनियों में है।
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