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अम्फान |
प्रकृति का मानव सभ्यता पर कोप कम होने का नाम भी नहीं ले रहा कोरोनावायरस से पूरा विश्व पहले से ही बेहाल है भारत सहित दुनिया कई देश हजारों लोगों को खो चुके हैं पूरा विश्व दो लाख जिन्दगियां खो चुका है ऐसे में कोई नई आपदा शुरू हो जाएं तो मुश्किलें ओर बढ़ जाती है। ऐसे में एम्फान चक्रवात पश्चिम भारत में संकट का कारण बन गया है। कोरोना से भी लड़ना है और चक्रवात के कारण जान माल की हानि से भी बचना है। लेकिन मजबूत हौसलों के साथ आगे बढ़ा जाए तो बड़ी बड़ी चुनौतियों का सामना किया जा सकता है।
भारत के पूर्वी राज्यों में इस वक्त चक्रवाती तूफान अम्फान का खतरा मंडरा रहा है। ये खतरा इसलिए भी अधिक है क्योंकि ये एक सुपर साइक्लोन है। इसकी वजह से चलने वाली हवा की गति 200 किमी प्रति घंटे से भी तेज हो सकती है। आपको बता दें कि भारत में इससे पहले इस तरह का सुपर साइक्लोन वर्ष 1999 में आया था जिसमें करीब 10,000 लोगों की मौत हो गई थी। भारत सरकार की तरफ से उसको राष्ट्रीय आपदा घोषित किया गया था। उससे भी पहले 3 नवंबर, 1970 को पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) और पश्चिम बंगाल में भोला नाम का सुपर साइक्लोन आया था जिसको अब तक का सबसे अधिक भयावह चक्रवाती तूफान माना जाता है।
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अम्फान चक्रवात |
इसमें करीब पांच लाख लोगों की मौत हुई थी और इस दौरान चलने वाली हवा की रफ्तार 240 किलोमीटर प्रति घंटे की थी। ये तूफान अपने साथ हर चीज को उड़ा और बहा ले गया था।
नेशनल साइक्लोन सिस्क मिटीगेशन प्रोजेक्ट (NCRMP) के मुताबिक कटक, पुरी और बालासोर में 1891 से 2002 के बीच करीब 83 बार चक्रवाती तूफान आ चुका है। इसमें यहां पर आने वाले सुपर साइक्लोन भी शामिल हैं। साइक्लोन को दरअसल कई चरणों में बांटा जाता है जिसके आधार पर इन्हें साइक्लोन या सुपर साइक्लोन की संज्ञा दी जाती है। सामान्य तौर पर आने वाले चक्रवाती तूफान के दौरान चलने वाली हवा की गति 34 से 47 किलो नॉट्स या 62 से 88 किमी प्रतिघंटा हो सकती है। वहीं इससे शक्तिशाली चक्रवाती तूफान के दौरान चलने वाली हवा की रफ्तार 48 से 63 किलो नॉट्स या 89 से 118 किमी प्रतिघंटा होती है। तीसरी श्रेणी में अधिक शक्तिशाली चक्रवाती तूफान आते हैं जिनमें हवा की रफ्तार 64 से लेकर 119 किलो नॉट्स या 119 से 221 किमी प्रतिघंटे की गति से हवाएं चलती हैं। इसके बाद चौथी और अंतिम श्रेणी सुपर साइक्लोन की होती है जिसमें हवा की रफ्तार 221 किमी प्रति घंटे से भी तेज होती है।
भारत में साइक्लोन की बात करें तो इनका इतिहास काफी लंबा रहा है। पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में वर्ष 2009 में भी 'आइला' नामक चक्रवाती तूफान आया था। इसकी वजह से 300 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और 10 लाख से अधिक लोग बेघर हो गए थे। वहीं 2008 में यहां पर 'फणि' साइक्लोन भी आया था। हालांकि ये दोनों ही सुपर साइक्लोन की श्रेणी के नहीं थे, लिहाजा इस बार भारत के पूर्वी तट पर एम्फन का खतरा अधिक है। जानकारों की मानें तो इस एक दशक के दौरान भारत ने काफी तरक्की की है। वहीं सरकार द्वारा समय पर लिए गए फैसलों से भी जानमाल की हानि को कम करने में सफलता मिली है। इस बार भी एम्फन को लेकर सरकार और एनडीआरएफ पूरी तरह से अलर्ट पर है।
एनडीआरएफ के महानिदेशक के मुताबिक ओडिशा में 17 कंपनियों को भेजा जा चुका है। एरिया साइक्लोन वार्निंग सेंटर, कोलकाता के निदेशक डॉ. गणेश कुमार दास के मुताबिक एम्फन की समुद्र में जितनी प्रचंडता दिखाई दे रही है, उतनी जमीन पर दिखाई नहीं देगी। उन्हें उम्मीद है कि जब ये तट से टकराएगा तो इसकी तीव्रता में कमी जरूर आएगी। जहां तक एम्फन की बात है तो आपको बता दें कि इससे चलने वाली हवा की रफ्तार का असर अलग-अलग होगा।
जिलों में येलो अलर्ट
चक्रवाती तूफान 'अम्फान' के कारण केरल में भारी बारिश का अनुमान जाहिर किया है। इसके बाद राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने आज यानी मंगलवार के लिए 9 जिलों में येलो अलर्ट जारी कर दिया है। येलो अलर्ट का मतलब है कि लोगों और अधिकारियों को सतर्क रहना होगा, क्योंकि राज्य में भारी बारिश की उम्मीद की जा रही है।
कई राज्यों में भारी बारिश का अनुमान
मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट के मुताबिक केरल, तटीय कर्नाटक और दक्षिणी तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में मध्यम से भारी बारिश जारी रहने की उम्मीद है। आंतरिक तमिलनाडु, आंतरिक कर्नाटक, मध्य महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और उत्तर पूर्वी राज्यों में कुछ स्थानों पर बारिश के आसार हैं। चक्रवाती तूफान अम्फान का असर देश के 8 राज्यों पर पड़ सकता है, जिसे लेकर कई राज्यों में अलर्ट जारी किया गया है।
मौसम विभाग ने चक्रवाती तूफान की आशंका को देखते हुए पूर्वी तटों के राज्य तमिलनाडु और पुडुचेरी से लेकर आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मिजोरम, मणिपुर और आस-पास के तटीय इलाकों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है, वहीं, ओडिशा के तटीय जिले हाई अलर्ट पर हैं।
उड़िसा में बारिश की संभावना
तटीय ओडिशा में अधिकांश स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है, जबकि जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा और भद्रक जिलों में अलग-अलग स्थानों पर भारी वर्षा होने का अनुमान है। इसके अलावा, जाजपुर, बालासोर, कटक, मयूरभंज, खोरधा और पुरी जिलों में भारी अलगाव की संभावना है, जबकि उत्तर तटीय ओडिशा बालासोर, भद्रक, मयूरभंज, जाजपुर, जाजपुर में अलग-अलग स्थानों पर भारी वर्षा होने की संभावना है। ओडिशा के जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा, भद्रक, बालासोर और मयूरभंज जिलों में कल सुबह 75 से 85 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 95 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवा चलने की संभावना है।
पश्चिम बंगाल में बारिश की संभावना
पश्चिम बंगाल के तटीय जिलों में 19 मई की शाम से कई स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने के संभावना हैं। बारिश की तीव्रता कल बढ़ जाएगी। इसके अलावा, कुछ स्थानों गिरावट और गंगीय पश्चिम बंगाल पूर्व मेदिनीपुर, पश्चिम मेदिनीपुर, दक्षिण हावड़ा, हुगली, कोलकाता में भारी वर्षा होने की संभावना है।
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