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Consumer-Protection- Act-1986- 2019 |
उपभोक्ता संरक्षण की आवश्यकताः
प्रतिफल (मूल्य) के बदले में वस्तु को प्राप्त करने या सेवा का उपभोग करने वाला व्यक्ति उपभोक्ता कहलाता है। उपभोक्ता का यह अधिकार है कि उसने जो मूल्य दिया है या जो धन खर्च किया है उसके अनुरूप ही उसे अच्छी किस्म की वस्तु अथवा सेवा मिले। सामान्यतः विक्रेता सही वस्तु ही उपभोक्ता को उपलब्ध कराता है लेकिन कभी-कभी कुछ व्यापारी अधिक मुनाफा प्राप्त करने की लालसा में उपभोक्ता को सही वस्तु या सेवा प्रदान नहीं करते हैं। कभी-कभी जानकारी एवं शिक्षा के अभाव में भी उपभोक्ता पूरा पैसा देकर भी उचित मात्रा में अच्छी वस्तु या सेवा प्राप्त नहीं कर पाता है। व्यापारी खाद्य पदार्थों में सस्ते, नकली, अशुद्ध या अन्य मिलावटी पदार्थ मिला देते हैं। यहाँ तक कि जीवन रक्षक सामग्रियों जैसे- दवाइयों में भी मिलावट की जाती है। इस प्रकार वह वस्तु उपभोग योग्य नहीं रहती और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो जाती है। मिलावट के अतिरिक्त व्यापारियों द्वारा नापतौल में भी गड़बड़ी की जाती है। इस प्रकार • व्यापारियों द्वारा मुनाफाखोरी, मिलावट, जमाखोरी, कालाबाजारी व घटिया वस्तुओं के उत्पादन आदि के रूप में उपभोक्ता का शोषण किया जाता है।
उपभोक्ताओं के अधिकारः . प्रत्येक वर्ष 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन अमेरिका के राष्ट्रपति श्री जॉन एफ. केनेडी ने अमेरिकन काँग्रेस को अपना विशिष्ट संदेश भेजते हुए चार उपभोक्ता अधिकारों की घोषणा की थी, जो निम्न थे• सुरक्षा का अधिकार • जानने का अधिकार • सुनवाई का अधिकार • चुनाव या पसंदगी का अधिकार
बाद में इन अधिकारों में एक ओर अर्थात् पाँचवाँ अधिकार जोड़ा गया जो 'मूल्य के अधिकार' के नाम से जाना जाता है। अमेरिका के उपभोक्ता अधिनियम में इन पाँच अधिकारों को जोड़ा गया।
• उपभोक्ता संघों का अन्तर्राष्ट्रीय संगठन
यह 1960 में लंदन में स्थापित किया गया था। यह सभी देशों के राष्ट्रीय स्तर के उपभोक्ता संघों का अन्तर्राष्ट्रीय संघ है।
वर्तमान में इसका नाम 'Consumers International है तथा इसके 220 उपभोक्ता संघ सदस्य है। यह संगठन अंतराष्ट्रिय स्तर पर उपभोक्ता अधिकारों के संरक्षण, पोषण
आभवृद्धि हेतु प्रयासरत है। IOCU ने अधिकारों की सूची में तीन और अधिकार जोड़े जो निम्न है• उपचार का अधिकार • उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार • स्वस्थ वातावरण का अधिकार
इस प्रकार अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता के 8अधिकार माने जाते हैं। भारत के उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम1986 की प्रारंभिक टिप्पणी तथा उस अधिनियम की धारा 6 में उपभोक्ता के अधिकारों का उल्लेख किया गया है। इन अधिकारों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्य 8 अधिकारों में 7 अधिकार सम्मिलित हैं। 8वाँ अधिकार 'स्वस्थ वातावरण का अधिकार' हमारे देश के अधिनियम में अभी तक सम्मिलित नहीं किया गया है। अंतराष्ट्रीय स्तर पर मान्य अधिकार निम्न हैं
• सुरक्षा का अधिकारः इस अधिकार के अन्तर्गत उपभोक्ता ऐसी वस्तुओं व सेवाओं से सुरक्षा प्राप्त करने का अधिकारी है जिससे उसके शरीर व सम्पत्ति को हानि उत्पन्न हो सकती है।
• चुनाव या पसंद का अधिकारः इस अधिकार के तहत् उपभोक्ता को बाजार में उपलब्ध विभिन्न वस्तुओं या सामान में चयन करने का अधिकार है। अर्थात् विभिन्न निर्माताओं के द्वारा निर्मित विविध ब्रॉण्ड, किस्म, गुण, रूपरंग, आकार व मूल्य की वस्तुओं में से इच्छित वस्तु का चुनाव करने का अधिकार है।
• सुनवाई का अधिकारः उपभोक्ता को यह अधिकार
है कि वह उसके विरुद्ध अन्याय, छलकपट तथा शोषण .. की शिकायत को उचित मंच के माध्यम से व्यक्त कर सकता है। शोषण के विरुद्ध कानूनी रूप से सुनवाई हेतु उपयुक्त मंचों का उपयोग कर सकता है एवं उपयुक्त परितोष प्राप्त कर सकता है।
• उपभोक्ता शिक्षा का अधिकारः इस अधिकार के तहत् एक उपभोक्ता को उन सब बातों की शिक्षा या जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है जो उपभोक्ता के लिए आवश्यक है।
• मूल्य या प्रतिफल का अधिकारः उपभोक्ता को उसके द्वारा चुकाये गये मूल्य का पूरा प्रतिफल मिले, यह उसका अधिकार है।
• सूचना पाने का अधिकारः उपभोक्ता उसके द्वारा क्रय की जाने वाली वस्तु के बारे में किस्म, मात्रा, प्रभावोत्पादकता, शुद्धता, प्रमाप, मूल्य आदि आवश्यक सभी सूचनाएं प्राप्त करने का अधिकारी है जिनके आधार पर वह वस्तु या सेवा खरीदने का निर्णय लेने वाला है।
• उपचार का अधिकारः उपभोक्ता द्वारा क्रय की गयी वस्तु या सेवा निर्माता द्वारा निर्देशित ढंग से कार्य नहीं कर पा रही है अथवा किये गये वायदे व आश्वासनों के अनुरूप नहीं है तो वह इसके विरुद्ध क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
• स्वस्थ वातवारण का अधिकारः इस अधिकार के तहत् निर्माता या व्यवसायी से उपभोक्ता यह अपेक्षा करता है कि वह ऐसी निर्माण प्रक्रिया या तकनीक अपनाये, ऐसी सामग्री या साधनों का प्रयोग करे, ऐसी पैकिंग करे जिससे राष्ट्र के भौतिक वातावरण (जल, थल, वायु, ध्वनि) को हानि न हो। उपभोक्ता संरक्षण की आवश्यकताः उपभोक्ता के अधिकारों की रक्षा ही उपभोक्ता संरक्षण है। उपभोक्ता के निम्न अधिकार हैं : जीवन के लिए घातक वस्तुओं से सुरक्षा का अधिकार।
• सही मात्रा, माप, शुद्धता, मानक और सही कीमत पर
उपभोक्ता सामग्री पाने का अधिकार।
• वस्तुओं की कमोबेश कीमतों और विविधताओं में से
चुनने का अधिकार।
• उपभोक्ता कल्याण के बारे में जानने, समझने, सोचने और अपनाने का अधिकार।
• अवांछित व्यापार और शोषण से मुक्ति, सम्मानजनक
समझौते और न्याय पाने का अधिकार।
• उपभोक्ता शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार।
उपभोक्ता संरक्षण कानूनः देश में उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा कर उन्हें व्यापारियों व उत्पादकों के शोषण से बचाने, उपभोक्ताओं की शिकायतों का त्वरित निराकरण करने एवं उन्हें त्वरित, - सस्ता एवं सरल न्याय उपलब्ध कराने हेतु संसद में 24 'दिसम्बर, 1986 को उपभोक्ता संरक्षण कानून पास किया गया जो 15 अप्रैल, 1987 को जम्मू-कश्मीर को छोड़कर समस्त भारत में लागू हुआ। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत सम्पूर्ण देश में एक त्रिस्तरीय अर्द्धन्यायिक व्यवस्था स्थापित की गई है जिसमें शीर्ष (राष्ट्रीय) स्तर पर उपभोक्ता संरक्षण हेतु राष्ट्रीय आयोग, राज्य स्तर पर राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग एवं जिला स्तर पर जिला उपभोक्ता मंच गठन किया गया है।
जिला उपभोक्ता मंच के निर्णय के विरुद्ध राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग में एवं राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग के निर्णय के विरुद्ध राष्ट्रीय आयोग में अपील की जा सकती है। राष्ट्रीय आयोग के निर्णयों के विरुद्ध अपील । सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती है। निर्णय : उपभोक्ता विवादों का निपटारा विरोधी पक्षकार द्वारा नोटिस प्राप्ति की तिथि से 3 माह के भीतर तथा प्रयोगशाला परीक्षण किए जाने की स्थिति में 5 माह के भीतर किया जाने का प्रयास किया जाता है। अपील पर निर्णय 90 दिन की अवधि में किया जाना अपेक्षित है।
उपभोक्ता हितों के संरक्षण व संवर्द्धन हेतु तीन उपभोक्ता संरक्षण परिषदों की स्थापना का प्रावधान अधिनियम में किया गया है(1) केन्द्रीय स्तर पर केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण परिषद (2) राज्य स्तर पर राज्य उपभोक्ता संरक्षण परिषद
(3) जिला स्तर पर जिला उपभोक्ता संरक्षण परिषद
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019
हाल ही में संसद ने ऐतिहासिक उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2019 को अनुमति प्रदान कर दी है, और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के पश्चात अब इसने कानून का रुप ले लिया है। इस अधिनियम का उद्देश्य उपभोक्ताओं के विवादों के शीघ्र और प्रभावी रूप से समाधान करने के लिए एक प्राधिकरण की स्थापना करना है। यह विधेयक तीन दशक से भी पुराने ‘उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 1986’ का स्थान लेगा। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मामलों के मंत्री ने कहा कि यह अधिनियम उपभोक्ताओं के शिकायत निवारण की प्रक्रिया को सरल बनाएगा, फलस्वरूप उपभोक्ताओं की शिकायतों का तेजी से समाधान होगा और इससे देशभर में उपभोक्ता अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित मामलों का निपटारा करने में सहायता मिलेगी।
एक नजर नवीन अधिनियम पर
8 जुलाई, 2019 को लोकसभा में उपभोक्ता संरक्षण बिल, 2019 पेश किया। बिल उपभोक्ता संरक्षण एक्ट, 1986 का स्थान ले लिया है।
संसद के दोनों सदनों से पारित हो चुका उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 मार्च 2020 से लागू हो जाएगा। सरकार इसको लेकर जल्द ही अधिसूचना जारी करेगी। इससे संबंधित की शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई होगी। ऑनलाइन बिक्री में भी उपभोक्ताओं के हितों की अनदेखी कंपनियों को भारी पड़ सकती है। उपभोक्ताओं को भ्रामक विज्ञापन जारी करने पर भी संबधित कंपनी के खिलाफ कार्रवाई हो सकेगी।
मुख्य विशेषताएं
~उपभोक्ता की परिभाषा : उपभोक्ता वह व्यक्ति है जो अपने इस्तेमाल के लिए कोई वस्तु खरीदता है या सेवा प्राप्त करता है। इसमें वह व्यक्ति शामिल नहीं है जो दोबारा बेचने के लिए किसी वस्तु को हासिल करता है या कमर्शियल उद्देश्य के लिए किसी वस्तु या सेवा को प्राप्त करता है। इसके अंतर्गत इसमें इलेक्ट्रॉनिक तरीके,टेलीशॉपिंग, मल्टी लेवल मार्केटिंग या सीधे खरीद के जरिए किया जाने वाला सभी तरह का ऑफलाइन या ऑनलाइन लेनदेन शामिल है।
~उपभोक्ताओं के अधिकार : बिल में उपभोक्ताओं के छह अधिकारों को स्पष्ट किया गया है जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं : (i) ऐसी वस्तुओं और सेवाओं की मार्केटिंग के खिलाफ सुरक्षा जो जीवन और संपत्ति के लिए जोखिमपरक हैं, (ii) वस्तुओं या सेवाओं की क्वालिटी,मात्रा, शक्ति, शुद्धता, मानक और मूल्य की जानकारी प्राप्त होना, (iii) प्रतिस्पर्धात्मक मूल्यों पर वस्तु और सेवा उपलब्ध होने का आश्वासन प्राप्त होना, और (iv)अनुचित या प्रतिबंधित व्यापार की स्थिति में मुआवजे की मांग करना।
~केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण अथॉरिटी : केंद्र सरकार उपभोक्ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देने, उनका संरक्षण करने और उन्हें लागू करने के लिए केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण अथॉरिटी (सीसीपीए) का गठन करेगी। यह अथॉरिटी उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन, अनुचित व्यापार और भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामलों को रेगुलेट करेगी। महानिदेशक की अध्यक्षता में सीसीपीए की एक अन्वेषण शाखा (इनवेस्टिगेशन विंग) होगी, जो ऐसे उल्लंघनों की जांच या इनवेस्टिगेशन कर सकती है।
~सीसीपीए निम्नलिखित कार्य करेगी : (i) उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन की जांच, इनवेस्टिगेशन और उपयुक्त मंच पर कानूनी कार्यवाही शुरू करना, (ii)जोखिमपरक वस्तुओं को रीकॉल या सेवाओं को विदड्रॉ करने के आदेश जारी करना, चुकाई गई कीमत की भरपाई करना और अनुचित व्यापार को बंद कराना, जैसा कि बिल में स्पष्ट किया गया है, (iii) संबंधित ट्रेडर/मैन्यूफैक्चरर/एन्डोर्सर/एडवरटाइजर/पब्लिशर को झूठे या भ्रामक विज्ञापन को बंद करने या उसे सुधारने का आदेश जारी करना, (iv) जुर्माना लगाना, और (v) खतरनाक और असुरक्षित वस्तुओं और सेवाओं के प्रति उपभोक्ताओं को सेफ्टी नोटिस जारी करना।
~भ्रामक विज्ञापनों के लिए जुर्माना : सीसीपीए झूठे या भ्रामक विज्ञापन के लिए मैन्यूफैक्चरर या एन्डोर्सर पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगा सकती है। दोबारा अपराध की स्थिति में यह जुर्माना 50 लाख रुपए तक बढ़ सकता है। मैन्यूफैक्चरर को दो वर्ष तक की कैद की सजा भी हो सकती है जो हर बार अपराध करने पर पांच वर्ष तक बढ़ सकती है।
~सीसीपीए भ्रामक विज्ञापनों के एन्डोर्सर को उस विशेष उत्पाद या सेवा को एक वर्ष तक एन्डोर्स करने से प्रतिबंधित भी कर सकती है। एक बार से ज्यादा बार अपराध करने पर प्रतिबंध की अवधि तीन वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है। हालांकि ऐसे कई अपवाद हैं जब एन्डोर्सर को ऐसी सजा का भागी नहीं माना जाएगा।
~उपभोक्ता विवाद निवारण कमीशन : जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तरों पर उपभोक्ता विवाद निवारण कमीशनों (सीडीआरसीज़) का गठन किया जाएगा। एक उपभोक्ता निम्नलिखित के संबंध में आयोग में शिकायत दर्ज करा सकता है : (i) अनुचित और प्रतिबंधित तरीके का व्यापार, (ii) दोषपूर्ण वस्तु या सेवाएं, (iii) अधिक कीमत वसूलना या गलत तरीके से कीमत वसूलना, और (iv) ऐसी वस्तुओं या सेवाओं को बिक्री के लिए पेश करना, जो जीवन और सुरक्षा के लिए जोखिमपरक हो सकती हैं। अनुचित कॉन्ट्रैक्ट के खिलाफ शिकायत केवल राज्य और राष्ट्रीय सीडीआरसीज़ में फाइल की जा सकती हैं। जिला सीडीआरसी के आदेश के खिलाफ राज्य सीडीआरसी में सुनवाई की जाएगी। राज्य सीडीआरसी के आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय सीडीआरसी में सुनवाई की जाएगी। अंतिम अपील का अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को होगा।
~सीडीआरसीज़ का क्षेत्राधिकार: जिला सीडीआरसी उन शिकायतों के मामलों को सुनेगा, जिनमें वस्तुओं और सेवाओं की कीमत एक करोड़ रुपए से अधिक न हो। राज्य सीडीआरसी उन शिकायतों के मामले में सुनवाई करेगा, जिनमें वस्तुओं और सेवाओं की कीमत एक करोड़ रुपए से अधिक हो, लेकिन 10 करोड़ रुपए से अधिक न हो। 10 करोड़ रुपए से अधिक की कीमत की वस्तुओं और सेवाओं के संबंधित शिकायतें राष्ट्रीय सीडीआरसी द्वारा सुनी जाएंगी।
~उत्पाद की जिम्मेदारी : उत्पाद की जिम्मेदारी का अर्थ है, उत्पाद के मैन्यूफैक्चरर, सर्विस प्रोवाइडर या विक्रेता की जिम्मेदारी। यह उसकी जिम्मेदारी है कि वह किसी खराब वस्तु या दोषी सेवा के कारण होने वाले नुकसान या चोट के लिए उपभोक्ता को मुआवजा दे। मुआवजे का दावा करने के लिए उपभोक्ता को बिल में स्पष्ट खराबी या दोष से जुड़ी कम से कम एक शर्त को साबित करना होगा
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण
केंद्र सरकार उपभोक्ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देने, संरक्षण करने और उन्हें लागू करने के लिये केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (Central Consumer Protection Authority- CCPA) का गठन करेगी। यह अथॉरिटी उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन, अनुचित व्यापार और भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामलों को विनियमित करेगी। महानिदेशक की अध्यक्षता में CCPA की एक अन्वेषण शाखा (इनवेस्टिगेशन विंग) होगी, जो ऐसे उल्लंघनों की जाँच या इनवेस्टिगेशन कर सकती है।
(ii) जोखिमपूर्ण वस्तुओं को रीकॉल करने या सेवाओं को विदड्रॉ करने के आदेश जारी करना, चुकाई गई कीमत की भारपाई करना और अनुचित व्यापार को बंद कराना।
(iii) संबंधित ट्रेडर/मैन्युफैक्चरर/एन्डोर्सर/एडवरटाइज़र/पब्लिशर को झूठे या भ्रामक विज्ञापन को बंद करने या उसे सुधारने का आदेश जारी करना।
(iv) जुर्माना लगाना।
(v) खतरनाक और असुरक्षित वस्तुओं तथा सेवाओं के प्रति उपभोक्ताओं को सेफ्टी नोटिस जारी करना।
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण के कार्य
(i) उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन की जाँच, इनवेस्टिगेशन और उपयुक्त मंच पर कानूनी कार्यवाही शुरू करना।(ii) जोखिमपूर्ण वस्तुओं को रीकॉल करने या सेवाओं को विदड्रॉ करने के आदेश जारी करना, चुकाई गई कीमत की भारपाई करना और अनुचित व्यापार को बंद कराना।
(iii) संबंधित ट्रेडर/मैन्युफैक्चरर/एन्डोर्सर/एडवरटाइज़र/पब्लिशर को झूठे या भ्रामक विज्ञापन को बंद करने या उसे सुधारने का आदेश जारी करना।
(iv) जुर्माना लगाना।
(v) खतरनाक और असुरक्षित वस्तुओं तथा सेवाओं के प्रति उपभोक्ताओं को सेफ्टी नोटिस जारी करना।
दिवस
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 15 मार्च
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 24 दिसम्बर
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