पृथ्वी दिवस Earth day
हमारी पृथ्वी जो सौरमंडल का तीसरा ग्रह है जो नीला ग्रह नाम से जाना जाता है जो एक मात्र ग्रह है जहां पर जीवन विद्यमान है। इस जीवन में सबसे बुद्धिमान मानव सभ्यता विद्यमान है। मानव सभ्यता ने अपने बुद्धि बल द्वारा निरंतर विकास किया कई रहस्यों से पर्दा उठाया तथा कई अविश्वसनीय अविष्कार किये। भौतिकवाद के इस अंधाधूंध विकास में इस पृथ्वी के लिए नये संकट भी उत्पन्न किए जिसमें ग्लोबल वार्मिंग, विभिन्न प्रकार के प्रदुषण उत्पन्न किए जिससे पृथ्वी के लिए हानिकारक प्रभाव सामने आए तथा भविष्य में भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं जिनमें लगातार ताप का बढ़ना, ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना, ओजोन परत का हास होना आदि।
यह सभी समस्याएं अधिकतर मानवीय स्वार्थ की पूर्ति के कारण उत्पन्न हुई है।
हमें प्रकृति ने पनाह देकर हमारे जीवन को सुखमय बनाया लेकिन मानव विकास के तेज चलते पहिए ने हमारी पृथ्वी की प्रकृति का गैरजिम्मेदाराना दोहन किया गया । जिससे मानव और जीव जगत के लिए संकट खड़ा हो गया उसी संकट से निपटने के लिए बुद्धिजीवी वर्ग ने पृथ्वी को बचाने के लिए ध्यानाकर्षण किया जिसके परिणामस्वरूप हम पृथ्वी दिवस मनाने लगे । इसी परिप्रेक्ष्य में आज हम पर्यावरण और मानव संबंध में संतुलन बनाए रखने के लिए पृथ्वी दिवस की बात करते हैं ।
पर्यावरण संरक्षण के प्रति सभी की भागीदारी को प्रदर्शित करने के मुख्य उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 22 अप्रैल को मनाये जाने वाले पृथ्वी दिवस की 50वीं वर्षगांठ को आज पूरे विश्व में मनाया जा रहा है। ऐसे समय में जबकि पूरा विश्व कोरोना वायरस (कोविड-19) जनित महामारी से जूझ रहा है और इसके उपचार के लिए कोई इलाज अभी तक संभव न होने कारण बचाव हेतु सभी देशों में वहां की सरकार द्वारा लगाये गये लॉक-डाउन के कारण घर में ही रहने के आदेशों के बीच सभी से पृथ्वी दिवस की 50वीं वर्षगांठ को डिजिटल माध्यमों से मनाये जाने की अपील की गयी है।
वर्ष 2020 के ‘क्लाइमेट एक्शन’ थीम वाले पृथ्वी दिवस की 50वीं वर्षगांठ को मनाये जाने के लिए अर्थ डे नेटवर्क द्वारा कई गतिविधियों को ऑनलाइन आयोजित किया जा रहा है।
दुनियाभर में साल में दो दिन पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। लेकिन, 1970 से हर साल 22 अप्रैल को मनाए जाने वाले विश्व पृथ्वी दिवस का सामाजिक तथा राजनीतिक महत्व है। वैसे तो 21 मार्च को मनाए जाने वाले 'इंटरनेशनल अर्थ डे' को संयुक्त राष्ट्र का समर्थन हासिल है, लेकिन इसका वैज्ञानिक तथा पर्यावरण संबंधी महत्व ही है।
इसे उत्तरी गोलार्ध के वसंत तथा दक्षिणी गोलार्थ के पतझड़ के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। लेकिन, दुनिया के अधिकांश देशों में अब 22 अप्रैल को ही 'वर्ल्ड अर्थ डे' मनाया जाने लगा। दरअसल, यह दिवस अमेरिकी सीनेटर गेलार्ड नेल्सन की दिमाग की उपज है जो कई वर्षों से पर्यावरण को सभी के लिए एक राह खोजने में लगे थे।
वैसे तो ऐसे कई तरीके हैं जिससे हम अकेले और सामूहिक रूप से धरती को बचाने में योगदान दे सकते हैं। वैसे तो हमें हर दिन को पृथ्वी दिवस मानकर उसके संरक्षण के लिए कुछ न कुछ करते रहना चाहिए। लेकिन, अपनी व्यस्तता में व्यस्त इंसान यदि विश्व पृथ्वी दिवस के दिन ही थोड़ा बहुत योगदान दे तो धरती के कर्ज को उतारा जा सकता है।
2020 में पृथ्वी दिवस की रोचक बात है कि कोरोना महामारी की दहशत से पूरे विश्व में लाॅक डाउन के कारण अपने विकास रूपी रथ को विराम दे रखा है विश्व में विकास और तकनीकी की भागदौड़ थमी हुई है ऐसे में कुछ तथ्य सामने आए हैं जिसमें पृथ्वी पर मानव क्रिया से उत्पन्न कंपन में कमी दर्ज हुई है। वातावरण शुद्ध हुआ है। आसमां में प्रदुषण का स्तर घटा है। हालांकि पृथ्वी के लिए अच्छा संकेत है लेकिन मानव सभ्यता पर मुसीबतों का पहाड़ टुट रहा है विश्व के सभी देश इस महामारी की रोकथाम में लगे हुए हैं और चिन्तित भी है। इस महामारी से लाखों लोगों की जान जा चुकी है।
दस लाख से अधिक लोग संक्रमित हो गए हैं। इस प्रकार यह पृथ्वी दिवस अपने आप में महत्वपूर्ण संदेश दे रहा है कि प्रकृति पर विजय प्राप्त करना इंसान की सबसे बड़ी भूल है । तथा मानवता को अपनी जीवन शैली में कई सुधार करने होंगे। यह पृथ्वी दिवस घरों में रुक कर आत्म मंथन करने का समय है कि मानव जीवन में ऐसे प्राकृतिक संकट से कैसे निपटना है । और भविष्य के लिए कैसे संभल कर पृथ्वी पर सन्तुलन स्थापित करना है। हम कह सकते हैं कि यह पृथ्वी दिवस मानव को भयावह संदेश है कि पृथ्वी पर लम्बे समय तक जीवन प्रणाली को कैसे सुरक्षित रखना है वरना कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
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