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Sunday, February 23, 2020

मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती

Gold in india
सोन भद्र में सोना



भारत सरकार के अंतर्गत आने वाली संस्था जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (जीएसआई) ने कहा है कि उसने सोनभद्र में 3,350 टन सोने का कोई अनुमान नहीं लगाया है और न ही वो मीडिया में चल रही ख़बरों की पुष्टि करता है।
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि 'जीएसआई ने 1998-99 और 1999-2000 में सोनभद्र में खनन किया था और इससे सम्बन्धित रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के डायरेक्टर जनरल ऑफ़ माइनिंग को सौंप दी गई थी।
जीएसआई ने कहा है कि उसके मुताबिक़ 'सोनभद्र में जो संसाधन हैं, उससे 160 किलोग्राम के लगभग सोना निकाला जा सकता है न कि 3350 टन, जैसा कि मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है।
मगर उत्तर प्रदेश में खनन विभाग के प्रमुख रोशन जैकब ने कहा था, "सोन पहाड़ी में हमें 2,940 टन सोना मिला है और हर्दी पहाड़ी में 646 किलोग्राम के लगभग सोने का पता चला है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, जैकब इस इलाक़े की 10 साल से ज़्यादा वक़्त तक खुदाई करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे।
उत्तरप्रदेश का सोनभद्र नामक स्थान  हमेशा से ही खनिज संपदा के मामले में धनी रहा है। सोनभद्र  में सोना होने का आभास वैसे तो अंग्रेजों को भी था। यही कारण है कि उन्होंने भी यहां सोना खोजने की कोशिश की थी लेकिन वो कामयाब नहीं हो सके थे।यही कारण है कि यहां सोन पहाड़ी का नाम उसी खोज के कारण पड़ा। बहरहाल, आजाद भारत में सोनभद्र में सोने की खोज लगभग 40 साल पहले शुरू हुई थी। इसका प्रमाण 1980 के दशक में मिलता है। इसके बाद दो दशकों तक प्रयास हुए लेकिन सफलता नहीं मिली।  15 साल पहले जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) ने यहां खनिजों की खोज शुरू की। आखिरकार वर्ष 2012 में भू-वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि की कि सोनभद्र में सोने की खान है।लेकिन मुश्किल ये थी कि ये खान कहां है? इसके बाद आठ साल की कड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार जनवरी 2020 में दो जगहों पर सोने के अयस्क मिलने की बात सामने आई सरकारी अभिलेखों में जो जानकारी दर्ज है, उसके हिसाब से 1980 के दशक में यहां पहली बार सोने की खोज शुरू हुई थी। उस समय कुछ जगहों को चिन्हित भी किया गया। लेकिन बात आगे नहीं बढ़ सकी। इसके बाद 1990-1992 में फिर खोज शुरू हुई और इस बार भी कुछ जगहों को चिन्हित किया गया लेकिन फिर मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इसके बाद वर्ष 2005 से 2012 तक कई चरणों में पीली धातु (सोना) खोज शुरू हुई। इस दौरान सोना होने की जानकारी मिली। जानकारी के अनुसार सरकार की तरफ से इलाके का सीमांकन का काम पूरा हो चुका है।

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