किसी घटना को दृश्य के रूप में प्रस्तुत करना तकनीकी भाषा में प्रदर्शन कहलाता है। "मूर्त से अमूर्त" शिक्षण सूत्र का प्रयोग किया जाता है। पाठ द्विपक्षीय हो जाता है। रुचि बनी रहती हैं। छात्रों की निरीक्षण एवं तर्क शक्ति का भी पर्याप्त विकास होता है।
गुण
- यह विधि मनोवैज्ञानिक है ।
विषयवस्तु का अधिक स्पष्टीकरण। स्थायी ज्ञान। शिक्षक के लिये समय और शक्ति की दृष्टि से प्रदर्शन अधिक उपयुक्त विधि है।कम खर्चीली विधि।
दोष
शिक्षक केन्द्रित।
व्यक्तिगत भिन्नता के लिए कोई स्थान नहीं है। केवल कुछ छात्र ही सक्रिय रह पाते हैं, अधिकांश छात्र निष्क्रिय रहते हैं। -करके सीखने के सिद्धांत के लिए कोई स्थान नहीं है।
प्रयोगशाला सम्बन्धी अपेक्षित कौशल का विकास नहीं हो पाता।
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