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Thursday, January 23, 2020

अध्ययन विरत युवा पीढ़ी के भरोसे इंडिया विजन 2020

APJ abdul kalam india vision 2020
APJ abdul kalam



नया वर्ष 2020 शुरू होन गया है। बीते साल को अलविदा करते हुए जब नये वर्ष 2020 के कदमों की आहट सुनाई दी तो हमें भारत रत्न डाॅ. कलाम का इंडिया विजन 2020 याद आता है, जिसमें उन्होंने भारत को विकसित देश बनाने का सपना देखा था। उनके नेतृत्व में एक एक्सपर्ट्स एक टीम ने डिपार्टमेंट ऑफ साइंसेज ऐंड टेक्नॉलजी के तहत इंडिया विजन 2020 के नाम से पहला डॉक्यूमेंट तैयार किया था, जिसमें पहली बार सन 2020 तक भारत को एक विकसित देश के रूप में खड़ा करने का सपना देखा गया था। बाद में कलाम ने इंडिया 2020: ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम नाम से इस पर किताब भी लिखी थी।
विजन 2020 से देश की किस्मत बदलने की बात कहते हुए पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था कि "हमें देश के अपने गांवों की तरफ विशेष ध्यान देना होगा, क्योंकि जब तक विकास के मामले में गांव और शहर एक समान नहीं हो जाएंगे, तब तक देश का विकास नहीं हो पाएगा और उम्मीद है कि आने वाले सालों में यह काम पूरा हो जाएगा।" उन्होंने एक कार्यक्रम में सम्बोधित करते हुए कहा था कि छात्र-छात्राएं एक भ्रष्टाचारमुक्त साफ-सुथरे समाज का निर्माण करें, ताकि आने वाली पीढ़ी एक बेहतर जीवन व्यतीत कर सके। छात्र-छात्राएं देश से गरीबी हटाने के लिए नई-नई योजनाओं पर काम करें तथा विज्ञान और तकनीक क्षेत्र में अपना और अपने देश का भविष्य सुरक्षित करने के लिए अध्ययन करें।
उनकी जीवनी 'अग्नि की उड़ान' में एक महत्वपूर्ण बात समझ में आती है कि देश को नई पहचान दिलाने के लिए विद्यार्थियों को अध्ययनशील होना बहुत जरूरी है। डाॅ. कलाम एक उच्च कोटि के वैज्ञानिक, इंजीनियर के साथ-साथ उनमें अद्भूत अध्ययनशीलता तथा दूरदर्शिता थी। इसलिए उनका मानना था कि युवाओं को अधिक समय सीखने में व्यतीत करना चाहिए क्योंकि नई पीढ़ी में व्यवहारिक और विशिष्ट ज्ञान हस्तांतरित होना बहुत जरूरी है।
आज उनके विजन 2020 के आखिरी साल के करीब पहुंचकर हमें अपने भीतर झांक कर समझना चाहिए कि हम उनके सपनों को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं या नहीं? हमारा विद्यार्थी वर्ग और युवा किस दिशा में है? देश की सरकार और हमारी संम्पूर्ण शिक्षा व्यवस्था किस तरह प्रयास कर रही है। कलाम ने गांवों में शहरों जैसी शिक्षा और सुविधा की बात की थी क्या हमारे गांवों में युवाओं को वह वातावरण मिल रहा है? जिससे देश एक महाशक्ति के रूप में प्रगति करते हुए उनके सपनों को पूरा कर सके। लेकिन आज वास्तविक दृष्टि से देखा जाए तो हमें निराशा हाथ लगती है। क्योकि हमारा युवा वर्ग और विद्यार्थी वर्ग अध्ययन से विमुख हो रहा है। सोशल मीडिया और राजनीतिक विचारों के भंवरजाल में फंसकर अपना उपयोगी समय नष्ट कर रहा है। यह बहुत दुर्भाग्य की बात है कि हमारा युवा आज अपनी-अपनी पार्टियों और नेताओं के झण्डे लेकर सड़कों पर घूम रहा है जबकि उनकी अपनी पुस्तकालय की कुर्सियां खाली पड़ी है। इंटरनेट और स्मार्टफोन के जमाने में वह सिर्फ सोशल मीडिया पर बेमतलब की बहसबाजी और चेटिंग में उलझा हुआ है। हालांकि कुछ युवाओं ने कलाम जी के सपनों को पूरा करने के लिए अपने-अपने क्षेत्र में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं लेकिन उनकी संख्या मुट्ठी भर ही है।  इंटरनेट एक सकारात्मक पहलू है जिसमें आप सीखने के माध्यम के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। जो युवा किताबी दुनिया से दूर रहने लगे है वे गुगल ई-बुक तथा कुछ साइट्स पर शिक्षा से जुड़ी सामग्री का अध्ययन कर सकते हैं। मगर विडंबना है कि हमारी युवा पीढ़ी सकारात्मकता की जगह नकारात्मकता की और बढ़ कर इंटरनेट को केवल सोशल नेटवर्किंग वार्तालाप और टिकटाॅक जैसे विडियो शेयरिंग तक सीमित रह गई है। आज बड़े दुःख की बात है कि हमारी मीडिया भी युवाओं को सही राह दिखाने की बजाय राजनीतिक बहस और भड़काऊ खबरबाजी में व्यस्त हैं। आज का युवा अकर्मण्यता से ग्रस्त होकर बिना मेहनत के रोजगार चाहने लगा है। इसी कारण देश में बेरोजगारों की संख्या तेजी से बढ़ रही है जिसके दुष्परिणाम समाजिक व्यवस्था असंतुलित हो रही है तथा कुण्ठित युवा अपराधिक गतिविधियों में लिप्त हो रहे हैं। कुछ युवाओं को छोड़कर बाकी सब किसी न किसी पार्टी के कार्यकर्ता की भुमिका निभा रहे हैं। विद्यालय और महाविद्यालयों में शिक्षार्थियों का शिक्षा के प्रति रूझान कम हो रहा है, क्योंकि युवा वर्ग कौशल और चिंतनशक्ति विकास की बजाय फेसबुक एवं अन्य सोशल मेसेजिंग एप्लीकेशन में गहरी रुचि रखने लगे हैं।
साथ ही अध्ययन की आदत और जीवन मूल्यों की शिक्षा में भी गिरावट आई है। इस तरह बनते हालातों में कलाम के सपनों का भारत कैसे बनेगा?  युवा पीढ़ी और विद्यार्थी वर्ग ही देश की बुनियाद होती है। आज हमारे देश में उन्नत कोटि के वैज्ञानिक, इंजिनियर, साॅफ्टवेयर निर्माणकर्ता, चिकित्सक विरले ही होंगे। हम आज भी नई खोज नवीन उत्कर्ष चिकित्सा तकनीकी, कम्प्युटर विज्ञान, शस्त्र निर्माण आदि कई क्षेत्रों में अन्य देशों पर निर्भर है। गांव के मध्यम वर्गी शिक्षार्थियों व युवाओं में चिकित्सा तकनीकी, आईआईटी और विज्ञान के क्षेत्र में दिलचस्पी नहीं दिखाई दे रही। कलाम चाहते थे कि सरकार की तरफ से आर्थिक सहयोग हो जिससे इन ग्रामीण युवाओं को प्रोत्साहित किया जाए ताकि वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में देश के लिए अच्छा कर सकें।
 'मिसाइलमैन' के नाम से विख्यात डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन संघर्षों और सफलता की अनूठी मिसाल है। उन्होंने विषम परिस्थितियों के बावजूद वह कर दिखाया जिसका सपना देखना भी किसी साधारण इंसान के लिए मुश्किल है। उनके इस संघर्ष से आज की युवा पीढ़ी को प्रेरित होना चाहिए। वे भारत को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में प्रत्येक क्षेत्र में अनगिनत उपलब्धियां हासिल करवाने में कामयाब रहे। साथ ही उन्होंने अपना संम्पूर्ण जीवन भारत को आत्मनिर्भर और सक्षम बनाने में लगा दिया था। लेकिन जो मिशन हमारी भावी पीढ़ी के लिए छोड़ा उसे हमारी युवा पीढ़ी कहीं कमजोर न कर दें। इसलिए इस नववर्ष को कलाम के विजन से जोड़ने हुए हमारे युवा और शिक्षार्थियों को किताबी दुनिया और अध्ययनशीलता की ओर लौटना होगा। 

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