पृथ्वी पर कई प्रकार के जीव जन्तु तथा कीट पतंगे पाए जाते हैं यह सब संजीव प्राणी मिलकर हमारी पृथ्वी पर जैव-विविधता का अद्भुत रूप बनाते हैं। हमारी पृथ्वी पर थल तथा जल में रहने वाले अनेक जीव विचित्र विशेषताएं लिए है पृथ्वी का सबसे बुद्धिमान प्राणी मानव भी इन विचित्र जीवों को देखकर आश्चर्य में पड़ जाता है। कुछ जानवर व पक्षियों का शरीर आकृषित तथा विचित्र है तो कुछ जीव जंतुओं की आवाज और क्रियाएं अनोखी है।
आइए जानते हैं आज ऐसे कीट के बारे में जिसके शरीर के पिछले हिस्से में रोशनी दिखाई देती है। इस कीट के शरीर में होने वाली लाइट इसे आकृषित एवं अनोखा बनाती है। जी हां बात कर रहे हैं जुगनू (firefly) के बारे में जिसकी पूंछ में चमकती रोशनी हमें आकृषित करती है।
आइए जानते हैं आखिर जुगनू यह रोशनी कैसे उत्पन्न करता है।
जुगनू की रोशनी का वैज्ञानिक कारण एवं प्रक्रिया
इस कीट के चमकते के राज की वैज्ञानिक स्तर पर खोज की बात करें तो इस कीट की खोज वर्ष 1667 में हुई थी । वैज्ञानिक रॉबर्ट बायल महोदय ने पहले यह माना जाता था कि जुगनुओं के शरीर में फास्फोरस होता है, जिसकी वजह से यह चमकते हैं। लेकिन इटली के वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया कि जुगनू की चमक फास्फोरस से नहीं, बल्कि ल्युसिफेरेस नामक प्रोटीनों के कारण होता है। वर्तमान खोज के अनुसार इस चमकती रोशनी का कारण ल्युसिफेरेस प्रोटीन है रासायनिक क्रिया द्वारा ल्यूसिफेरेस और ल्यूसिफेरिन (lusifaes protine) नामक प्रोटीन का निर्माण होता है। यह दोनों प्रोटीन क्रिया के बाद आक्सीजन के संपर्क में आते हैं तभी रोशनी उत्पन्न होती है। ऑक्सीजन के साथ मिलने से ल्यूसिफेरिन ऑक्सीकृत होकर चमक पैदा करने लगता है। इस क्रिया से उत्पन्न रोशनी ज्यादा गर्म नहीं होती। इसे ठंडी रोशनी भी कहते हैं। जुगनू की चमक का रंग हरा, पीला, लाल तरह का होता है। ये जीव अक्सर रात में ही चमकते हैं। भारत में भी बाग बगीचों में यह कीट पाये जाते हैं। हम रात के अंधेरे में इन कीटों को आसानी से पहचान सकते हैं। भारत में यह अक्सर नम तथा हरे-भरे क्षेत्रों में पाये जाते हैं। अंधेरे में नर जुगनू कभी कभी हमारे कमरे में उड़ते हैं तो छोटे अंगारे के तेज हिलने जैसे नजर आते हैं। अंधेरे में उड़ते हुए यह बहुत आकर्षित और खूबसूरत लगते हैं।
दिखने में जीव ततैया की तरह पतले और दो पंख वाले होते हैं। ये जंगलों में पेड़ों की छाल में अपने अंडे देते हैं। हालांकि जुगनू की तरह ही चमकने वाले ऐसे कई जीव हैं। जुगनू की तरह ही रोशनी देने वाले जीवों की एक हजार प्रजातियों की खोज की जा चुकी है। जिनमें से कुछ प्रजातियां पृथ्वी पर तो कुछ समुद्र की गहराइयों में पाई जाती हैं। मादा जुगनू के पंख नहीं होते हैं इसलिए वह एक जगह ही चमकते हैं, जबकि नर जुगनू उड़ते हुए चमकते हैं। यही कारण है जिससे उन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है। अधिक रोशनी से चमकने वाले जुगनू अधिकांश वेस्टइंडीज और दक्षिणी अमेरिका में पाए जाते हैं। एक सवाल दिमाग में आता है कि आखिर जुगनू को प्रकृति ने रोशनी क्यों प्रदान की? वैज्ञानिकों की मानें तो नर और मादा जुगनुओं में रोशनी आपस में आकृषित करने तथा विशेष रूप शिकार करने में यह रोशनी काम आती है।दसअसल जुगनू अपने भोजन की तलाश में या फिर अपने साथी को आकर्षित करना के लिए चमकते हैं।
जुगनू के बारे में रोचक तथ्य
जुगनू का जीवन काल- 2 से 3 साल
परिवार-जुगनू या खद्योत (Firefly)
जुगनू का वैज्ञानिक नाम - लेम पाई रीडी lampyridae
खास विशेषता-जीवदीप्ति
जुगनू पर अंग्रेजी के महान लेखक रस्किन बांड (Ruskin) Bond ने खूबसूरत कविता भी लिखी है जो इसप्रकार है।
English Poem Firefly in my room
Last night, as I lay sleepless,
In the summer dark
With a window open to invite a breeze,
Softly a firefly flew in
And circled round the room.
Twinkling at me from floor or wall
Or ceiling , never long in one place,
But lighting up little spaces....
A friendly presence, dispelling
The settled gloom of an unhappy day.
And after it had gone, I left
The window open, just in case
It should return
जुगनू की रोशनी किस ऱग की होती है?
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