कोरोना वायरस अपने विभिन्न प्रकार के म्यूटेशन प्राप्त करता जा रहा है। वायरस की खासियत होती है कि वे अपने अवरोधकों के खिलाफ प्रतिक्रिया व्यक्त करके उनके अनुकूल हो जाते हैं है म्युटेशन क्या है क्यों और कैसे होता है इसे अगर सरल भाषा में समझें तो कोई भी जीवाणु या वायरस जब नए वातावरण और परिवेश में जाता है तो यह उसकी सहज प्रवृत्ति होती है कि वो अपने आप को उस नवीन वातावरण में अनुकूल करने की कोशिश करता है। जिससे वो अपना अस्तित्व बनाए रख सके और अपना विकास कर सके। जब वातावरण में यह बदलाव बड़ी तेजी से होते हैं तो यह अनुकूलन म्यूटेशन (उत्परिवर्तन)के रूप ले लेता है। जिसके कारण जीवों के जीनोम में बदलाव आ जाता है। जिससे जीवों में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के बदलाव आ सकते हैं। इसी प्रकार कोरोना वायरस भी म्युटेशन की प्रक्रिया के बाद अलग अलग नये रूपों में सामने आ रहा है। ओमाइक्रोन वैरिएंट SARS-CoV-2 का एक प्रकार है, जो वायरस COVID-19 का कारण बनता है। कोविड 19 में हाल ही में डेल्टा के बाद ओमिक्रोन दिसंबर 2021 तक, यह सबसे नया संस्करण है। इसकी सूचना सबसे पहले 24 नवंबर 2021 को दक्षिण अफ्रीका से विश्व स्वास्थ्य संगठन को दी गई थी। इसकी प्रकृति देखकर बताया जा रहा है कि कोरोना का ओमिक्रॉन (Omicron)वेरिएंट जल्द ही ज्यादा संक्रमण वाले देशों में डेल्टा को पीछे छोड़कर सबसे ज्यादा मामलों वाला वैरिएंट बन सकता है। इसलिए विभिन्न देशों के स्वास्थ्य विभाग इस वेरिएंट को लेकर ज्यादा सख़्त हो रहें हैं। दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन जैसे देशों में ऐसी स्थिति को को देखते हुए सतर्कता बरती जा रही है है। भारत में भी ओमिक्रांन वेरिएंट अपने पैर पसार रहा है। हालांकि दुनिया में वैक्सीनेशन की रफ्तार के मामले में भारत पहले स्थान पर है। भारत में 87.6 फीसदी लोगों को कोरोना वैक्सीन की कम से कम एक डोज लग चुकी है। अमेरिका के मुकाबले करीब तीन गुना वैक्सीन भारत में लग चुकी है लेकिन फिर भी देखा गया है कि वैक्सीन लगने के बाद भी लोगों को संक्रमण हो रहा है। भारत में दूसरी लहर के दौरान तबाही मचाने वाले डेल्टा वैरिएंट की तुलना में ओमिक्रोन वैरिएंट को पांच गुना ज्यादा संक्रामक बताया जा रहा है। लेकिन राहत की बात है कि पूरी दुनिया में इस वैरिएंट से अब तक मिले सभी संक्रमित मामले निम्न श्रेणी के पाए गए हैं। लेकिन दिनों दिन बढ़ती संख्या को मध्यनजर रखतें हुए सरकार भीड़-भाड़ वाले इलाकों में पाबंदी लगा सकती है। बड़े शहरों में जरूरी भी है कि कुछ अंतराल में लाॅकडाउन लगाकर संक्रमण फैलने की चैन को तोड़ा जाएं।
कोरोना के विभिन्न वैरिएंट का नामकरण तथा ओमिक्रोन
किसी वायरस के नामकरण के लिए विभिन्न मापदंडों का ध्यान रखा जाता है जिसमें उसके उच्चारण की सहुलियत तथा वैज्ञानिक तरीके से कोड का उपयोग किया जाता है। WHO द्वारा इन वायरस तथा इनके वैरिएंट का नया नाम दिया जाता है।
भारत में पाए गए B.1.617.2 वैरिएंट को इसी आधार पर डेल्टा वायरस नाम दिया गया था। यह वायरस का चौथा वैरिएंट था. अब प्रकाश में आए B.1.1.529 वेरिएंट को ओमिक्रॉन नाम दिया गया है. यह असल में ग्रीक शब्दावली का 15वीं लेटर है। बीच के कुछ एल्फाबेट जैसे Nu तथा Xi को छोड़ दिया गया क्योंकि Nu को New (नया) तथा Xi को चीन का प्रचलित सरनेम समझा जा सकता था।
कितना तेजी से फैलता है ओमिक्रोन?
ओमिक्रोन वैरिएंट विभिन्न देशों में तेजी से फैल रहा है। भारत सहित दुनिया के सैकड़ों देशों में यह भयानक रूप से अपने पैर पसार रहा है।
शुरुआती ट्रेंड से ओमिक्रोन, डेल्टा वैरिएंट की तुलना में पांच गुना ज्यादा संक्रामक नजर रहा है। इसकी संक्रामकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 24 नवंबर को द.अफ्रीका और बोत्सवाना से इसके मरीज की सूचना विश्व स्वास्थ्य संगठन को मिली और आठ दिनों में यह 30 से अधिक देशों में फैल गया। इस प्रकार कह सकते हैं कि छोटी सी लापरवाही इस तेजी से फैलने वाले वेरिएंट को घातक बना सकती है।
डेल्टा और ओमिक्रोन में कितना है अंतर?
राहत की बात बस यही है कि अभी तक दुनिया में ओमिक्रोन के सभी मामले सौम्य किस्म के मिले हैं। इसकी चपेट में आए किसी भी मरीज को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत नहीं पड़ी है। चपेट आए लोगों में सामान्य रूप से बदन दर्द की शिकायत देखने को मिल रही है। लव अग्रवाल ने यह भी साफ किया कि अभी सीमित डाटा के आधार पर यह अनुमान लगाया गया है और आने वाले दिनों में स्थिति और स्पष्ट होगी।
ओमिक्रोन के मामले माइल्ड होने के बावजूद पिछले एक हफ्ते में दक्षिण अफ्रीका में कोरोना मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने के बढ़ते आंकड़े खतरनाक संकेत दे रहे हैं। अग्रवाल ने कहा कि यह देखना पड़ेगा कि ओमिक्रोन के मामले बढ़ने से अस्पतालों में मरीज बढ़े है या किसी और कारण से।
टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट और आइसोलेशन की प्रक्रिया
भारत में ओमिक्रोन वैरिएंट तेजी से फैल रहा है। बड़े शहरों में विशेष सावधानी बरती जा रही है। भारत में कोरोना की पहली लहर के बाद दुसरी लहर ने जिस तरह से तबाही मचाई है उसके बाद भारत में कोरोना के नये वैरिएंट के खिलाफ विशेष चौकसी बरती जा रही है। हालांकि भारत में बड़े स्तर पर वैक्सीनेशन किया जा रहा है।
ओमिक्रोन ने एक बार फिर से पहली और दूसरी लहर की तरह टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट और आइसोलेशन को अनिवार्य कर दिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ओमिक्रोन का तेजी से फैलना तय है। सरकार ने एक बार फिर से राज्यों को टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट और आइसोलेशन को कड़ाई से पालन करने के लिए कह दिया है।
ओमिक्रोन को फैलने से रोकने में फिजिकल डिस्टेसिंग कारगर हथियार साबित हो सकती है। अग्रवाल ने बताया कि फिजिकल डिस्टेसिंग के नियम का पालन नहीं करने का नतीजा अमेरिका, यूरोप समेत दुनिया के अन्य भागों में देखा जा सकता है।
कैसे होती है Omicron की जांच?
कोरोना के नये वैरिएंट की जांच की बात करें तो कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन (Omicron) वैरिएंट की जांच के लिए भी पीसीआर टेस्ट (PCR Test) होता है। लेकिन आगे की प्रक्रिया में थोड़ा अंतर है सैंपल लेने के बाद स्वैब के सैंपल को प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा जाता है इस स्तर पय इस बात की पुष्टि होती है कि सैंपल देने वाले व्यक्ति को संक्रमण है या नहीं।अगर होता है तब सभी पॉजिटिव सैंपल में से कुछ को लेकर जीनोम सिक्वेंसिंग करने वाली लैब जांच करती है अगर सैंपल में S Gene मिसिंग है तो यह ओमिक्रॉन के संक्रमण की पुष्टि है। नहीं तो पुराने कोरोना वायरस वैरिएंट में से किसी एक जकड़ रखा है।
वैक्सीन के प्रति ओमिक्रोन का रिस्पांस
ओमिक्रोन में एक साथ 45 से 52 परिवर्तनों में इस पर वैक्सीन की कारगरता पर सवाल खड़ा कर दिया है। दुनिया की अधिकांश वैक्सीन कोरोना के स्पाइक प्रोटीन पर आधारित हैं, जबकि ओमिक्रोन वैरिएंट में स्पाइक प्रोटीन में ही 26 से 32 परिवर्तन देखे जा रहे हैं। हालांकि चिंता की बात नहीं है क्योंकि मौजूदा वैक्सीन भी ओमिक्रोन से बचाव में सक्षम है। वैक्सीन से बनने वाली टी-सेल रिस्पांस ओमिक्रोन के मामले में मरीजों की स्थिति गंभीर होने से बचा सकती है। ओमिक्रोन के खिलाफ भारत की स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन ज्यादा कारगर साबित हो सकती है। कोवैक्सीन पूरे वायरस से बनी वैक्सीन है और वैज्ञानिक रूप से पूरे वायरस से बनी वैक्सीन किसी भी वैरिएंट के खिलाफ ज्यादा कारगर मानी जाती है। बूस्टर डोज इस नये वैरिएंट के लिए काभी फायदेमंद हो सकती है। इसलिए जिन देशों में यह वैरिएंट तेजी से फैल रहा है वहां बूस्टर डोज कारगार साबित हो सकती है। कोरोना का कैसा भी वैरिएंट आए लेकिन समग्र टीकाकरण जरुरी है । कोरोना के किसी भी खतरे से निपटने का पहला कदय टीकाकरण हैं।
ओमिक्रोन वैरिएंट के लक्षण एवं पहचान
विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO के मुताबिक, पिछले कुछ वैरिएंट की तुलना में यह नया वैरिएंट तीन गुना अधिक संक्रामक है सामान्य लक्षणों की बात करें तो सिर दर्द और थकान तथा शरीर में जकड़न होना है, ये ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है। ये वायरस वैक्सीन और नेचुरल इंफेक्शन से मिली इम्यूनिटी से भी बच सकता है। अब तक के डेटा के अनुसार, ओमिक्रॉन के लक्षण डेल्टा की तरह गंभीर नहीं हैं। ओमिक्रोन के कुछ सामान्य लक्षणों में हल्का बुखार शामिल है, जो अपने आप ठीक हो जाता है। इसके अलावा थकान, गले में चुभन और शरीर में बहुत ज्यादा दर्द ओमिक्रॉन के मुख्य लक्षण हैं। हालांकि, स्वाद और सुगंध जाने जैसे लक्षण ओमिक्रॉन में नहीं देखे जा रहे हैं।
बूस्टर डोज हो सकती है कारगर
भारत में ओमिक्रोन के ख़तरे को देखते हुए बूस्टर डोज की जरूरत बढ रही है। फ्रंट लाइन वर्कर्स को बूस्टर डोज लगाई जाए तो यह बहुत फायदेमंद होगा। सबसे पहले शेष रहे लोगों को वैक्सीन की दूसरी डोज लगाई जानी है विशेषज्ञों का मानना है कि हेल्थ केयर वर्कर्स को तीसरी डोज दिया जाना बहुत जरूरी है। हालांकि बूस्टर डोज को चिकित्सा संबंधी मापदंडों तथा वैज्ञानिक तरीके से शुरू किया जा सकता है। जरूरत और समय के हिसाब से लोगों को बूस्टर दिए जाने पर विचार किया जा सकता है। माना जाता है कि तीसरी डोज या बूस्टर के बाद गंभीर संक्रमण और अस्पताल में भर्ती होने की संभावना कम हो जाती है।
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