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Saturday, June 5, 2021

सिर कटने के बाद भी काॅकरोच कई दिनों तक कैसे रहता है जिन्दा

cockroach
cockroach तिलचट्टा

cockroach काॅकरोच तिलचट्टा


आज बात करते हैं एक कीड़े मकोड़े की जिससे बहुत से लोग डरते हैं डर लाजमी है क्योंकि यह कीड़ा खुरदरी टांगों और शरीर वाला होता है हालांकि यह काटते भी है लेकिन लोगों के लिए यह फायदेमंद नहीं है क्योंकि यह कीट भोजन एवं खाने की चीजों को दुषित करते रहते हैं। जिससे यह कई बिमारियों के कारण बनते हैं। खेतों में फसलों को नुक्सान पहुंचाने के साथ साथ यह रसोईघर में खाने की चीजों को भी कुतरते है तथा गंदा करते हैं। काकरोच से लोग अक्सर परेशान रहते हैं । लोग काकरोच को भगाने वाली दवाओं तथा कीटनाशक दवाओं का उपयोग करते हैं।
खैर कुछ भी हो प्रकृति में हर जीव जन्तु पेड़ पौधे और कीट पतंगे का अपना महत्व है प्रकृति अपनी गोद में हर प्राणी को जीवित रहने का अधिकार देती है। बात करते हैं तिलचट्टों से जुड़े एक अजीब तथ्य की जिसको जानकर हर कोई हैरान रह जाता है अधिकतर प्राणियों की विशेषता है कि सिर कटने के बाद उनकी मौत तुरन्त हो जाती है लेकिन काॅकरोच इसके विपरित है जो सिर कटने के बाद सिर कटने से नहीं बल्कि प्यास और भूख से मरता है। तिलचट्टे की उत्पत्ति और जीवन यापन की बात करें तो तिलचट्टा कीट वर्ग का एक सर्वाहारी, रात्रिचर प्राणी है जो अक्सर खेत खलिहानों में अंधेरे में रहता है यह गर्म स्थानों में, जैसे रसोई घर, गोदाम, अनाज और कागज के भंडारों में पाया जाता है। इनका ऊपरी शरीर कठोर होता है तथा पंख से ढका हल्का लाल एवं भूरे रंग का होता है इनका यह शरीर तीन भागों में बंटा होता है जिसमें सिर, वक्ष और उदर में विभाजित रहता है। माना जाता है कि काकरोच डायनासोर से पहले ही मौजूद थे। 
कॉकरोच लगभग चालीस मिनट तक सांस रोक कर रख सकते हैं। इस वजह से वो लगभग आधे घंटे तक पानी में बड़े आसानी से रह सकते हैं। 

सिर कटने के बाद जीवित रहने का कारण जैविक संरचना


काॅकरोच या तिलचट्टे का सिर कटने पर यह लगभग नौ दिनों तक जिंदा रह सकता है यह जानकर हर कोई आश्चर्य में पड़ जाता है कि आखिर सिर धड़ से अलग होने के बावजूद भी कोई जीव जिन्दा कैसे रह सकता है ? तो यह हकीकत है कि काकरोच या तिलचट्टों के शरीर में यह खासियत होती है। हालांकि यह कोई जादू या चमत्कार नहीं है आइए जानते हैं कि किस कारण से सिर से अलग हुए हिस्से में आठ या नौ दिन तक जान रहती है तथा टांगें हिलती रहती है। इसके लिए हमें जीव विज्ञान का सहारा लेकर काॅकरोच की शारीरिक संरचना को समझना होगा ।
हम जानते हैं कि किसी जीव या कीड़े मकोड़े के शरीर के प्रत्येक अंग की कोशिकाओं को जीवित रहने के लिए भोजन और आक्सीजन की जरूरत होती है यह प्रक्रिया श्वसन प्रणाली से पूर्ण होती है। कोकरोच का श्वसन तंत्र 10 जोड़ी श्वसन नालो से बना होता है , जो शरीर के पार्श्व में 10 जोडी श्वसन छिद्रों के रूप में खुलते है , श्वसन नाल पुन: विभाजित होकर श्वसनिकाएं बनाती है जिन पर गैसों का आदान प्रदान विसरण विधि द्वारा होता है। इसलिए सिर कटने के बाद भी काॅकरोच के शरीर में श्वसन प्रक्रिया रूकती नहीं है इसलिए यह जिन्दा रहते हैं आखिर यह पानी और भोजन ना मिलने पर मर जाते हैं। दूसरी तरफ इनके शरीर मे बड़ी मात्रा में प्रोटीन स्टोर्ड होता है जिससे बिना खाना खाये एक सप्ताह तक जीवित रह सकता है। तथा सिर कटने के बाद भी इनके शरीर में ऊर्जा भी रहती है। आखिर सिर कटने के बाद यह एक जगह पड़े पड़े पानी की कमी से मर जाते हैं या चिंटियां लग जाती है जो जीवित शरीर को काट काट कर खा लेती है।

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