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नववर्ष 2078 का चैत्रय नवरात्र से प्रारंभ मां दुर्गा के नौ रूपों की होगी पूजा अर्चना पहले दिन कलश स्थापना । मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए करते विधि पूर्वक हवन एवं पूजा अर्चना। |
Hindu Navvarsh 2078: chaitra Navratri
भारत में हिन्दू धर्म के वैदिक ज्योतिष के अनुसार, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नव-वर्ष का प्रारंभ होता है। 2021 में हिन्दू नववर्ष की शुरुआत 13 अप्रैल से हो रही है। चैत्र नवरात्रि भी आज से ही शुरू हो रहे हैं। मीन राशि में जब सूर्य और चंद्रमा एक समान अंश पर गोचर करते हैं तब हिन्दू नववर्ष की शुरुआत होती।
नवरात्र हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है। नवरात्रि शब्द एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'नौ रातें'। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।
भारत में हिन्दू धर्म में विभिन्न देवी देवताओं की पूजा अर्चना का विशेष महत्व है । इसलिए वर्ष में किसी न किसी दिन किसी देवी-देवता का खास दिन होता है। विभिन्नता में एकता लिए हुए भारत वर्ष में लोग पर्व त्योंहार एवं पूजा अर्चना महोत्सव की भांति मनाते हैं। होली दिपावली के अनुसार नवरात्रि भी किसी त्योंहार से कम नहीं है। भारत में एक वर्ष में नवरात्र का पर्व दो बार आते हैं। चैत्री नवरात्र और आश्विन मास के नवरात्र । नवरात्र के नो दिनों में मां दुर्गा के नो रुपों की पूजा अर्चना की जाती है। इन नो दिनों में मां दुर्गा के भक्त उपवास करते हैं।
इसके अलावा भी दो प्रकार के नवरात्र ओर भी है इस प्रकार एक साल में चार नवरात्रि आते हैं। चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अलावा दो गुप्त नवरात्रि माघ और आषाढ़ नवरात्रि भी आते हैं। वर्ष 2021 में चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं और जिनका समापन 22 अप्रैल को होगा।
नवरात्रि के प्रथम दिन की शुरुआत कलश स्थापना
नवरात्र के पहले दिन नवरात्र या कलश स्थापना के रूप में मनाया जाता है। इस दिन हवन से कलश स्थापना की जाती है। बहुत जगहों पर इसे घट स्थापना भी कहा जाता है। कलश एक साधारण जलपात्र नहीं है । ऐसा माना जाता कलश में सृष्टि के संचालक ब्रह्मा, विष्णु और शिव विद्यमान हैं। कलश की पूजा में ब्रह्मा, विष्णु और शिव की पूजा होती है। इसलिए कलश स्थापना और पूजा की विशेष तैयारी भी की जाती है।
नवरात्र मां दुर्गा की पूजन सामग्री
मां दुर्गा जी की सुंदर प्रतिमा या फोटो, सिंदूर, केसर, कपूर, धूप, अबीर, चोटी, वस्त्र, का सामान (दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, आलता, बिंदी, मेंहदी, सुगंधित तेल), आम के पत्तें, फूल, पंचपल्लव, दूर्वा, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, आसन, चौकी, रोली, मौली, बेलपत्र, कमलगट्टा, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, मधु, घृत, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, जावित्री, नारियल, आसन, रेत, मिट्टी, पान, लौंग, इलायची, मिट्टी का कलश या पीतल का, हवन सामग्री, श्वेत वस्त्र, दूध, दही, ऋतुफल, गेहूं का आटा, उड़द साबुत, मूंग साबुत, सरसों सफेद और पीली, और गंगाजल. माता को लाल रंग के गुड़हल के फूल भी अति प्रिय है, इसलिए इसे भी अवश्य रखें।
कैसे करें नवरात्र कलश स्थापना
माता की चौकी जहां लगी हो उसके ठीक सामने लाल रंग का कपड़ा बिछाकर कलश स्थापना के लिए मिट्टी की वेदी बनायें। इसमे पहले से भीगे हुये जौ के दाने बिखेर दें, वेदी के बीच में एक अष्टदल कमल बनायें। अब कलश पर रोली से स्वास्तिक और त्रिशूल अंकित करें. फिर कलश के गले पर मौली लपेट दें। कलश के अन्दर गंगाजल भरे और उसके ऊपर पंच पल्लव लगाकर उस पर किसी मिट्टी के पात्र में चावल भरकर रख दें। इसके बाद सूखे नारियल को लाल कपड़े में लपेट कर कलश के ऊपर रखें मिट्टी के कटोरे में रख दें, ध्यान रहे नारियल को सीधा खड़ा करके रखना है। इसके बाद हाथ में फूल और अक्षत लेकर सभी देवी-देवताओं का आह्वान करें।
हवन के लिए जरूरी सामग्री
सबसे पहले हवन के लिए एक बर्तन होना चाहिए जिसमे आहुति दी जा सके। यदि आपके पास ऐसा कोई बर्तन नहीं तो ईट से भी इसे बनाया जा सकता। हवन के लिए आम की लकडियां, बेल, नीम, पलाश का पौधा, कलीगंज, देवदार की जड़, गूलर की छाल और पत्ती, पापल की छाल और तना, बेर, आम की पत्ती और तना, चंदन का लकड़ी, तिल, कपूर, लौंग, चावल, ब्राह्मी, मुलैठी, अश्वगंधा की जड़, बहेड़ा का फल, हर्रे तथा घी, शक्कर, जौ, गुगल, लोभान, इलायची एवं अन्य चीजों का बुरादा होना चाहिए।
कैसे करे घर में हवन
हवन की सामग्री पूर्ण तैयार होने के बाद देवताओ को याद करते हुए आहुति दें। इसके बाद नीरियस के गोले में लाल कपड़ा या कलावा लपेट दें। फिर सुपारी, पान, बताशा, पूरी, खीर और अन्य प्रसाद को हवन कुंड के बीच में स्थापित कर दे। साथ ही पूर्ण आहुति के लिए मंत्र का उच्चारण करें ।
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