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Tuesday, February 23, 2021

Ayodhya Ram Mandir: राम जन्मभूमि ट्रस्ट में अकूत धन संचय कहां कैसे होगा खर्च तथा कितना विशाल तथा भव्य बनेगा राम मन्दिर

Ram mandir Ayodhya
राम मन्दिर का भव्य दृश्य फोटो साभार सोसल मीडिया



Ayodhya Ram Mandir: श्री राम मंदिर अयोध्या एक नज़र में




भारत में सदियों लम्बे चलें राम जन्मभूमि विवाद जिसने भारत के हर क्षेत्र को प्रभावित किया। अयोध्या स्थित इस जगह कभी वहां बाबरी मस्जिद Babari masjid हुआ करती थी लेकिन वहां राम मन्दिर होने की बात के चलते आखिर बाबरी विध्वंस हुआं । 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद  जिसे कार सेवकों ने छह दिसंबर 1992 को गिरा दिया था फिर यह मामला कोर्ट में पहुंचा देश में कई दंगे हुए हजारों लोग मारे गए लेकिन पंथ निरपेक्ष भारत में यह धार्मिक मुद्दा समय समय पर सुलगता रहा धीरे धीरे यह मुद्दा राजनैतिक विचारधारा से जुड गया लम्बे घटनाक्रम के बाद जब यह मसला कोर्ट पहुचा तथा सुप्रीम कोर्ट से पहले इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 में अपना फैसला सुनाया था।   30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2.77 एकड़ जमीन का बंटवारा कर दिया गया था। कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्माही अखाड़ा और रामलला के बीच जमीन बराबर बांटने का आदेश दिया था।
लेकिन फिर इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई तथा सुप्रीम कोर्ट ने लगाकर चालीस दिन सुनवाई करने के बाद आखिर राम लला के पक्ष में फैसला दिया तथा अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता साफ कर दिया। देश की सबसे बड़ी अदालत ने सबसे बड़े फैसले में अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक माना लिया। जबकि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया गया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की विशेष बेंच ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया था। हालांकि मुस्लिम पक्ष ने इस फैसले में आपत्ति जताई लेकिन आखिर यह मसला इस प्रकार शान्त हो गया।


राम मन्दिर निर्माण के निर्मित किया गया ट्रस्ट


5 फरवरी 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने  रामजन्म भूमि न्यास की स्थापना की घोषणा की थी। तीर्थ क्षेत्र न्यास का रजिस्टर्ड ऑफिस का पता आर 20, जीके 1, नई दिल्ली है, जबकि इसका कैंप ऑफिस राम कचहरी चारों धाम मंदिर, रामकोट, अयोध्या में है। मंदिर निर्माण के लिए इस ट्रस्ट को 2.77 एकड़ की ज़मीन सौंपी गई थी, जबकि 67.703 एकड़ ज़मीन का अधिग्रहण किए जाने की मंज़ूरी दी गई । 



शिलान्यास तथा निर्माण कार्य


5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नींव की ईंट रखे जाने के बाद से मंदिर निर्माण के काम में तेजी आई है। मंदिर बनाने का काम लार्सन ऐंड टूब्रो कंपनी को दिया गया है। इसके साथ टाटा कंसल्टेंसी सलाहकार के रूप में काम करेगी। इस प्रकार सुत्रों के हवाले बताया जा रहा है कि भव्य राम मंदिर बनने में करीब 1100 करोड़ रुपये का अनुमानित  खर्च आएगा। 


चंदा जुटाने के लिए कूपन , 10, 100 और 1000 रुपये की  रसीद


श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के 10 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक के वह कूपन तैयार किए गये तथा लोगों से चंदा कूपनों के माध्यम से लिया गया, जिसमें विहिप कार्यकर्ता टोलियों के रूप लोगों के घर तक जाकर चन्दा जुटा रहे हैं। इस प्रकार राम मंदिर का चंदा जुटाने के लिए जो कूपन राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने बनाकर वितरण किए हैं उसमें 10, 100 और 1000 रुपये के कूपन है। 
 श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट की ओर से जारी  कूपनों पर सबसे ऊपर एक राम मंदिर और दूसरी तरफ ट्रस्ट की लोगो(logo)  तथा शीर्षक 'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र है। कूपन पर नीचे एक तरफ भगवान राम की तस्वीर के साथ मंदिर की फोटो लगी है। वहीं दूसरी तरफ चंदा देने वालों के नाम लिखने के लिए कॉलम दिए हुए हैं। 


केवल पत्थरों तथा तांबे की पत्तियों का होगा उपयोग


मन्दिर निर्माण में लगने वाले पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की पत्तियों का उपयोग किया जाएगा। निर्माण कार्य हेतु 18 इंच लम्बी, 3 मीमी गहरी और 30 मीमी चौड़ी 10 हजार पत्तियों की आवश्यकता पड़ेगी। ट्रस्ट के अनुसार, इन तांबे की पत्तियों पर दानकर्ता अपने परिवार, क्षेत्र अथवा मंदिरों का नाम गुदवा सकते हैं। इस प्रकार से ये तांबे की पत्तियां न केवल देश की एकात्मता का अभूतपूर्व उदाहरण बनेंगी, अपितु मन्दिर निर्माण में सम्पूर्ण राष्ट्र के योगदान का प्रमाण भी देंगी।

चार लाख क्यूबिक फीट पत्थर लगेगा मंदिर निर्माण में


राम मंदिर की लंबाई 360 मीटर तथा चौड़ाई 234 मीटर होगी। तीन मंजिला होगा मंदिर। हर मंजिल 20 फीट की होगी। भूतल से प्लिंथ तक की उंचाई 16.5 फीट होगी। परकोटा (सुरक्षा दीवार) पांच एकड़ में बनेगा। पूरा मंदिर पत्थर से ही बनेगा। मंदिर के निर्माण में पूरे चार लाख क्यूबिक फीट पत्थर लगेगा। 75 हजार क्यूबिक फीट पत्थर को कार्बिन करके रखा गया है। मंदिर के निर्माण में एलएंडटी का सहयोग टाटा कंसल्टेंसी कर रही है। दोनों विश्स्तरीय संस्थाएं हैं। विहिप के अवैतनिक इंजीनियरों के साथ ही आईआईटी मुंबई, दिल्ली, चेन्नई व गुवाहाटी के विशेषज्ञ भी लगे हैं। आईआईटी दिल्ली के पूर्व निदेशक वीएस राजू फाउंडेशन की टेक्नीकल टीम को लीड कर रहे हैं। 


पूर्ण निर्माण के बाद  यह होगी भव्य राम मंदिर की खास विशेषताएं


लम्बे संषर्ष के बाद मिली जीत को भुनाने के लिए हिन्दू धर्म के अनुयायियों तथा राम भक्तों द्वारा इस मन्दिर की भव्यता में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। इसलिए आइए जानते हैं कि भव्य राम मंदिर कितना अद्भुत और आकृषित होगा?
अयोध्या के राम मंदिर में कुल पांच शिखर और 12 द्वार होंगे। राम मंदिर के कुल निर्माण में 2.7 एकड़ में मुख्य मंदिर का निर्माण होगा इस प्रकार मंदिर का कुल निर्मित क्षेत्र 57400 वर्गफीट होगा। इसप्रकार यहां कुल पांच मंडप तथा  मंदिर की लंबाई 360 फीट व चौड़ाई 235 फीट होगी। मंदिर की शिखर सहित ऊंचाई 161 फीट नियोजित है। कुल तीन तल होंगे  प्रत्येक तल की ऊंचाई 20 फीट तथा मंदिर के भूतल में स्तंभों की संख्या 160, प्रथम तल में स्तंभों की संख्या 132 व दूसरे तल में 74 स्तंभ विद्यमान होंगे।
राम मन्दिर के अनुमानित लागत लगभग 1000 से 1200 करोड़ बताई जा रही है इसके बाद शेष राशि को वहां आधुनिक सुविधाओं पर खर्च किए जा सकते हैं। राम मंदिर की  लागत तथा स्टक्चर में बहुत से कार्य प्रस्तावित है जिसमें भजन संध्या के लिए विशाल स्थल भी होगा जहा बड़ी मात्रा में श्रद्धालुओ के बैठने की व्यवस्था होगी।
श्री रामलला पुराकालिक दर्शनमंडल प्रकल्प में जन्मभूमि संग्रहालय होगा, जिसमें उत्खनन में प्राप्त शिलालेखों एवं पुरावशेषों की प्रदर्शनी  का (museum) होगा।
 श्रीरामकीर्ति में सत्संग भवन सभागार, गुरू वशिष्ठ पीठिका में वेद, पुराण, रामायण एवं संस्कृत अध्ययन-अनुसंधान अनुक्षेत्र होगा।भक्तिटीला में ध्यान एवं मनन निकुंज, तुलसी प्रकल्प में रामलीला केंद्र, 360 डिग्री थियेटर, रामदरबार में प्रोजेक्शन थियेटर, माता कौशल्या वात्सल्य मंडप में प्रदर्शनी कक्ष तथा झांकियों का परिसर, रामांगण में बहुआयामी चलचित्रशाला, रामायण प्रकल्प में आधुनिक सुविधा संपन्न पुस्तकालय, ग्रंथागार एवं वाचनालय तथा  बलिदानी लोगों की याद में  स्मारक भी होगा। तीर्थयात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के जबरदस्त इंतजाम किए जायेंगे।
इसके अलावा अमानती कक्ष, सौर ऊर्जा पटल, जनरेटर, ऊर्जा उत्पादन केंद्र, स्वाचलित सीढिय़ां, लिफ्ट,भोजनालय, आपातकालीन चिकित्सा सहायता केंद्र आदि स्थापित किये जाएंगे।


क्या है राम मंदिर खर्च पर आलोचकों का मत एवं प्रतिक्रिया


जहां भारत की हिन्दू संस्कृति का सर्वश्रेष्ठ प्रतीक राम मन्दिर निर्माण में राम भक्त तन मन धन तथा उत्साह के साथ लगे हैं। तो दूसरी ओर धर्म निरपेक्ष मान्यता वाले लोगों का मानना है कि राम मन्दिर के लिए हर गरीब व्यक्ति से चन्दा लेना सही नहीं है। इस सम्पति से केवल पूजारियो और ट्रस्टो को फायदा होगा तथा देश में गरीबी , चिकित्सा तथा शिक्षा व्यवस्था पर इतना धन खर्च किया जाए तो देश की तस्वीर बदल सकती है। ऐसा माना जाता है कि धार्मिक स्थलों से अंधविश्वास और पाखण्ड का विस्तार होगा जबकि  वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अगर इस तरह का विशाल खर्च अगर देश के गरीब लोगों के लिए किया जाए तो पूरे देश में गरीबी को आसानी से हटाया जा सकता है। लेकिन यह बात आस्था और विश्वास रखते वाले लोगों के लिए कोई मायने नहीं रखती। इसलिए राम मन्दिर के लिए हिन्दू संगठनों ने लम्बी लड़ाई लड़ी तथा सरकार खुद मन्दिर निर्माण के वादे के साथ हिन्दु लोगों को विश्वास में भी लिया था। इसलिए भाजपा सरकार तथा इनमें शामिल हिन्दू संगठनों ने भी राम मन्दिर के लिए सकारात्मक प्रयास किए हैं। र
दूसरी और आलोचकों का मानना है कि इस बड़ी मात्रा में इकट्ठे किए गए धन का दुरपयोग भी हो सकता है। जिसमें सीमित मात्रा में तथा विशेष लोगों को रोजगार तथा फायदा होगा। इसलिए देश में धार्मिक स्थलों की जगह सरकार को जनसुविधा से जुड़े स्थान निर्मित किए जाने चाहिए। तथा देश को धर्मनिरपेक्षता की नीति पर चलकर आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा प्रगतिशील राष्ट्रों की दौड़ में शामिल होना चाहिए। लेकिन दूसरी ओर  राम मंदिर समर्थकों का मानना है कि इस मन्दिर निर्माण से पर्यटक आय में इजाफा होगा तथा भारत का हिन्दू राष्ट्र के रूप में पुनः निर्माण होगा। जिसका राम मन्दिर एक विशेष प्रतिक होगा। तथा राम मन्दिर भारतीय हिन्दू संस्कृति तथा भारत निर्माण का प्रतिक चिन्ह होगा। लेकिन तमाम पक्ष विपक्ष के बाद राम मंदिर भारत में बहुसंख्यक हिन्दू धर्मावलंबियों का आस्था का प्रतिक है। इसलिए यह हिन्दू धर्म के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। तथा यह दावा किया जाता है कि राम मन्दिर निर्माण के बाद ट्रस्ट द्वारा जनकल्याण के कार्यों को भी किया जाएगा।

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