विश्व पर्यावरण दिवस
पर्यावरण सम्पूर्ण जीव-जगत् का आधार है लेकिन पर्यावरण के अत्यधिक शोषण से आज सम्पूर्ण विश्व के सामने पर्यावरणीय समस्यायें उत्पन्न हो गई है, जिनमें प्रमुखतः ओजोन परत में विरलता, हरित गृह प्रभाव और विश्व तापमान में वृद्धि प्रमुख है। जिसके कारण विश्वस्तर पर इन्हे दूर करने के लिए एक्जूट होकर प्रयास किये जा रहे है। गैर सरकारी संगठनो के द्वारा इसके लिए अनेक शोध, अनुसंधान किये जा रहे है। जन चेतना जागृत की जा रही है। पर्यावरण को संतुलित बनाये रखने के लिए 21 मार्च को विश्व वन दिवस, 22 अप्रेल को पृथ्वी दिवस, 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस, 16 सितम्बर को अन्तर्राष्ट्रीय ओजोन परत दिवस ,विश्व जल दिवस 22 मार्च, आदि मनाये जा रहे है ताकि इन समस्याओं का कुछ न कुछ समाधान निकाला जा सके।
प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग मानव सहित सभी जीव आदिकाल से करते आ रहे हैं। मानव अपने ज्ञान, कौशल और तकनीक के बल पर प्रकृति के अवरोधों पर नियंत्रण स्थापित करने में काफी हद तक सफल रहा। इससे उसमें सर्वश्रेष्ठ, शक्तिशाली एवम् समर्थ होने का अहम् बढ़ा, जिसकी तुष्टि के लिये उसने प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध शोषण शुरू कर दिया। वनस्पति एवम् प्राणीजगत संकुचित होता गया तथा मानव आधिपत्य का विस्तार होता गया। इससे प्रकृति पर दबाव बढ़ता गया। अब संसाधनों की तुलना में जनसंख्या बहुत अधिक बढ़ गयी। पर्यावरण के जीवनदायी तत्व दूषित होकर हानिकारक प्रभाव देने लगे। अनव्यकरणीय संसाधन समाप्ति के निकट पहुंचने लगे। संसाधनों के अविवेकपूर्ण उपयोग से अनेक पर्यावरणीय समस्यायें उत्पन्न हो गयी। इससे भौतिकवादी संस्कृति में पूर्णत : रच बस चुका मानव अपने क्रियाकलापों का पुनरीक्षण करने को विवश हुआ। संसाधनों के समाप्त होने की आशंका, भविष्य में आवश्यकताओं की पूर्ति पर प्रश्नचिन्ह तथा बढ़ते प्राकृतिक प्रकोपों के कारण सतत् विकास या संतुलित विकास का विचार उत्पन्न हुआ। इसमें पर्यावरण के जैविक तथा अजैविक घटकों का संरक्षण, पुनर्स्थापपन तथा संसाधनों के दीर्घकाल तक दोहन को महत्व प्रदान किया गया। विनाश रहित विकास पर बल दिया जाने लगा। इसके परिणामस्वरूप विश्व के बुद्धिजीवी वर्ग नें पर्यावरण को बचाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने शुरू किए जिसमें पर्यावरण दिवस पर्यावरण सप्ताह , जागरूकता कार्यक्रम आदि शामिल हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत
पूरे विश्व में आम लोगों को जागरुक बनाने के लिये साथ ही कुछ सकारात्मक पर्यावरणीय कार्यवाही को लागू करने के द्वारा पर्यावरणीय मुद्दों को सुलझाने के लिये, मानव जीवन में स्वास्थ्य और हरित पर्यावरण के महत्व के बारे में वैश्विक जागरुकता को फैलाने के लिये वर्ष 1973 से हर 5 जून को एक वार्षिक कार्यक्रम के रुप में विश्व पर्यावरण दिवस (डबल्यूईडी के रुप में भी कहा जाता है) को मनाने की शुरुआत की गयी जो कि कुछ लोगों, अपने पर्यावरण की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार या निजी संगठनों की ही नहीं बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है ।
1972 में संयुक्त राष्ट्र में 5 से 16 जून को मानव पर्यावरण पर शुरु हुए सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र आम सभा और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनइपी) के द्वारा कुछ प्रभावकारी अभियानों को चलाने के द्वारा हर वर्ष मनाने के लिये पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस की स्थापना हुयी थी। इसे पहली बार 1973 में कुछ खास विषय-वस्तु के “केवल धरती” साथ मनाया गया था। 1974 से, दुनिया के अलग-अलग शहरों में विश्व पर्यावरण उत्सव की मेजबानी की जा रही है।
कुछ प्रभावकारी कदमों को लागू करने के लिये राजनीतिक और स्वास्थ्य संगठनों का ध्यान खींचने के लिये साथ ही साथ पूरी दुनिया भर के अलग देशों से करोड़ों लोगों को शामिल करने के लिये संयुक्त राष्ट्र आम सभा के द्वारा ये एक बड़े वार्षिक उत्सव की शुरुआत की गयी
विश्व पर्यावरण दिवस एवं उनकी थीम
~विश्व पर्यावरण दिवस 2020 की थीम जैव विविधता पर आधारित है।
~पर्यावरण दिवस 2019 की थीम "बीट एयर पॉल्यूशन" अर्थात “वायु प्रदूषण को हराएँ” है।
~वर्ष 2018 का थीम "बीट प्लास्टिक प्रदूषण" था।
~वर्ष 2017 का थीम "प्रकृति से लोगों को जोड़ना" था।
~वर्ष 2016 का थीम था "दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए दौड़ में शामिल हों"।
~वर्ष 2015 का थीम था “एक विश्व, एक पर्यावरण।”
~वर्ष 2014 का थीम था “छोटे द्वीप विकसित राज्य होते है” या “एसआइडीएस” और “अपनी आवाज उठाओ, ना कि समुद्र स्तर।”
~वर्ष 2013 का थीम था “सोचो, खाओ, बचाओ” और नारा था “अपने फूडप्रिंट को घटाओ।”
~वर्ष 2012 का थीम था “हरित अर्थव्यवस्था: क्यो इसने आपको शामिल किया है?”
~वर्ष 2011 का थीम था “जंगल: प्रकृति आपकी सेवा में।”
~वर्ष 2010 का थीम था “बहुत सारी प्रजाति। एक ग्रह। एक भविष्य।”
~वर्ष 2009 का थीम था “आपके ग्रह को आपकी जरुरत है- जलवायु परिवर्तन का विरोध करने के लिये एक होना।”
~वर्ष 2008 का थीम था “CO2, आदत को लात मारो- एक निम्न कार्बन अर्थव्यवस्था की ओर।”
~वर्ष 2007 का थीम था “बर्फ का पिघलना- एक गंभीर विषय है?”
~वर्ष 2006 का थीम था “रेगिस्तान और मरुस्थलीकरण” और नारा था “शुष्क भूमि पर रेगिस्तान मत बनाओ।”
~वर्ष 2005 का थीम था “हरित शहर” और नारा था “ग्रह के लिये योजना बनाये।”
~वर्ष 2004 का थीम था “चाहते हैं! समुद्र और महासागर” और नारा था “मृत्यु या जीवित?”
~वर्ष 2003 का थीम था “जल” और नारा था “2 बिलीयन लोग इसके लिये मर रहें हैं।”
~वर्ष 2002 का थीम था “पृथ्वी को एक मौका दो।”
~वर्ष 2001 का थीम था “जीवन की वर्ल्ड वाइड वेब।”
~वर्ष 2000 का थीम था “पर्यावरण शताब्दी” और नारा था “काम करने का समय।”
~वर्ष 1999 का थीम था “हमारी पृथ्वी- हमारा भविष्य” और नारा था “इसे बचायें।”
~वर्ष 1998 का थीम था “पृथ्वी पर जीवन के लिये” और नारा था “अपने सागर को बचायें।”
~वर्ष 1997 का थीम था “पृथ्वी पर जीवन के लिये।”
~वर्ष 1996 का थीम था “हमारी पृथ्वी, हमारा आवास, हमारा घर।”
~वर्ष 1995 का थीम था “हम लोग: वैश्विक पर्यावरण के लिये एक हो।”
~वर्ष 1994 का थीम था “एक पृथ्वी एक परिवार।”
~वर्ष 1993 का थीम था “गरीबी और पर्यावरण” और नारा था “दुष्चक्र को तोड़ो।”
~वर्ष 1992 का थीम था “केवल एक पृथ्वी, ध्यान दें और बाँटें।”
~वर्ष 1991 का थीम था “जलवायु परिवर्तन। वैश्विक सहयोग के लिये जरुरत।”
~वर्ष 1990 का थीम था “बच्चे और पर्यावरण।”
~वर्ष 1989 का थीम था “ग्लोबल वार्मिंग; ग्लोबल वार्मिंग।”
~वर्ष 1988 का थीम था “जब लोग पर्यावरण को प्रथम स्थान पर रखेंगे, विकास अंत में आयेगा।”
~वर्ष 1987 का थीम था “पर्यावरण और छत: एक छत से ज्यादा।”
~वर्ष 1986 का थीम था “शांति के लिये एक पौधा।”
~वर्ष 1985 का थीम था “युवा: जनसंख्या और पर्यावरण।”
~वर्ष 1984 का थीम था “मरुस्थलीकरण।”
~वर्ष 1983 का थीम था “खतरनाक गंदगी को निपटाना और प्रबंधन करना: एसिड की बारिश और ऊर्जा।”
~वर्ष 1982 का थीम था “स्टॉकहोम (पर्यावरण चिंताओं का पुन:स्थापन) के 10 वर्ष बाद।”
~वर्ष 1981 का थीम था “जमीन का पानी; मानव खाद्य श्रृंखला में जहरीला रसायन।”
~वर्ष 1980 का थीम था “नये दशक के लिये एक नयी चुनौती: बिना विनाश के विकास।”
~वर्ष 1979 का थीम था “हमारे बच्चों के लिये केवल एक भविष्य” और नारा था “बिना विनाश के विकास।”
~वर्ष 1978 का थीम था “बिना विनाश के विकास।”
~वर्ष 1977 का थीम था “ओजोन परत पर्यावरण चिंता; भूमि की हानि और मिट्टी का निम्निकरण।”
~वर्ष 1976 का थीम था “जल: जीवन के लिये एक बड़ा स्रोत।”
~वर्ष 1975 का थीम था “मानव समझौता।”
~वर्ष 1974 का थीम था “ ’74’ के प्रदर्शन के दौरान केवल एक पृथ्वी।”
~वर्ष 1973 का थीम था “केवल एक पृथ्वी
Environment Day उद्देश्य और लक्ष्य
पृथ्वी पर जीवन को परिचालित करने वाली प्राकृतिक प्रणालियों को खतरे से बचाना, मानव की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हो तथा वंचित लोगों को भी बेहतर जीवन जीने के अवसर मिले, पारिस्थितिक तंत्र को पुन: संतुलित करने के लिये पर्यावरण का संरक्षण,संसाधनों की दीर्घकालीन उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये संसाधनों का पुनश्चक्रण,पुनउपयोग तथा विकल्पों की खोज, आवश्यकतायें सीमित करते हुये संसाधन उपयोग में कमी लाना, अनव्यकरणीय संसाधनों की अपेक्षा नव्यकरणीय संसाधनों के अधिक उपयोग पर बल, उत्पादन, निर्माण एवम् उपभोग गतिविधियों के दौरान निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों का सही निस्तारण,
संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रयास और कार्यक्रम
संयुक्त राष्ट्र का पर्यावरण कार्यक्रम (U.N.E.P.) सर्वप्रथम जून 1972 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्टॉकहोम में आयोजित मानव-पर्यावरण सम्मेलन में संधृत विकास मूलक प्रस्ताव रखा गया। इसी समय संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम (U.N.E.P.) की शुरुआत हुयी। इसका कार्यालय नैरोबी में हैं। इसका प्रमुख कार्य पर्यावरणीय समस्याओं के अध्ययन व निराकरण में संलग्न देशों की सरकारों को सहयोग करना तथा समय-समय पर आयोजित गोष्ठियों व सम्मेलनों की संस्कृतियों को व्यावहारिक रूप देना हैं। स्टॉकहोम सम्मेलन के घोषणा पत्र को "विश्व पर्यावरण का मैग्राकार्टा" कहा गया। इसमें भाग लेने वाले 119 देशों ने "एक ही पृथ्वी" (ONLY ONE EARTH) का सिद्धान्त स्वीकार किया तथा प्रतिवर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया।
अंतर्राष्ट्रीय जैविक कार्यक्रम (I.B.P) : 1964 में प्रारंभ किया गया एक अंतर्राष्ट्रीय शोध कार्यक्रम जिसमें उत्पादकता के जीवीय आधार तथा मानव कल्याण के विभिन्न पक्षों का अध्ययन किया जाता है।
मानव एवम् जीवमण्डल कार्यक्रम (MAB) : यूनेस्को द्वारा 1970 में मानव एवम जीवमण्डल कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। इसका प्रमुख उद्देश्य मानव क्रियाकलापों तथा प्राकृतिक पर्यावरण के मध्य होने वाली अंतक्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न समस्याओं का प्रबंधन करना है। यह मानव तथा वातावरण के मध्य सुधार करने की दिशा में प्रयासरत है।
अंतर्राष्ट्रीय भूमंडल-जीवमंडल कार्यक्रम (IGBP)
: वैज्ञानिक संघ की अंतर्राष्ट्रीय परिषद द्वारा 1986 में (IGBP) प्रांरभ किया गया। इसका प्रमुख उद्देश्य संपूर्ण पृथ्वीतंत्र को संतुलित करने में भौतिक रासायनिक एवम् जैविक प्रक्रियाओं की अत: क्रिया को समझना रहा है।
इनके अलावा पृथ्वी निरीक्षण कार्यक्रम (WWP), विश्व वन्यजीव कोष (WWF), विश्व प्रकृति कोष (WWFN) आदि संगठन भी विश्व पर्यावरण संरक्षण व संधृत विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रहें है। पृथ्वी सम्मेलन : संयुक्त राष्ट्रसंघ के तत्वाधान में 1992 में ब्राजील के रियो डि जेनेरो शहर में विश्व पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे 'रियो सम्मेलन' या 'पृथ्वी सम्मेलन 1992 नाम दिया गया। इसमें विकास के साथ-साथ पर्यावरणीय सुरक्षा पर बल दिया गया। इसमें पर्यावरण सम्मत विकास' तथा 'संघात विकास' के लिये 800 पृष्ठों का विस्तृत दस्तावेज 'एजेण्डा 21' स्वीकृत किया गया। चार खण्डों में विभक्त इस एजेण्डा में गरीबी, जनसंख्या नीति, स्वास्थ्य, सुरक्षा, शिक्षा, जीविकोपार्जन का अधिकार, स्वच्छ जलापूर्ति, जलराशियों की जोखिम से सुरक्षा, वन संरक्षण इत्यादि का विस्तृत वर्णन है। यह सम्मेलन न केवल विश्व की सरकारों को पर्यावरण के प्रति सावचेत करने में सफल रहा, बल्कि सामान्य जन में भी पर्यावरण एवम् संसाधन के प्रति नयी सोच जगाई। रियो सम्मेलन के एक दशक उपरान्त जोहन्सबर्ग में द्वितीय विश्व पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया गया। इसका शीर्षक "सतत् विकास पर विश्व सम्मेलन" रखा गया। इसमें गरीबी हटाने, सामाजिक विकास, जैव विविधता एवं ऊर्जा संरक्षण, जलवायु परिवर्तन आदि विषयों पर नवीन कार्य योजना बनाई गई।
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