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20 lakh crore rupees relief package and distribution |
कोरोना वायरस की वजह से सुस्त पड़ी देश की इकोनॉमी को रफ्तार देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विशेष आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है।
पीएम मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार के हाल के निर्णय, रिजर्व बैंक की घोषणाओं को मिलाकर यह पैकेज करीब 20 लाख करोड़ रुपये का होगा। यह देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का लगभग 10 प्रतिशत है।
प्रधानमंत्री मोदी नें कहा कि इस पैकेज से अर्थव्यवस्था की गाड़ी पटरी पर दौड़ने लगेगी। पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से घोषित किए गए 20 लाख करोड़ का राहत पैकेज अब तक का सबसे बड़ा पैकेज बताया जा रहा है। यह पैकेज देश के जीडीपी का करीब 10 फीसदी होगा। पीएम मोदी ने कहा, इस पैकेज के जरिए देश के विभिन्न वर्गों और आर्थिक कड़ियों को जोड़ने में बल मिलेगा। 2020 में यह पैकेज देश की विकास यात्रा को आत्मनिर्भर भारत अभियान को एक नई गति देगा। भारतीय वित मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस राहत पैकेज के बंटवारे का ब्योरा पेश किया है। जिससे हम मोटे तोर पर विभाजित करते हैं कि 20 लाख करोड़ के कितने हिस्सेदार हैं? निम्न क्षेत्र मुख्य रूप से हिस्से दार होंगे।
1नौकरीपेशा 2 MSME 3 कृषि 4 कुटीर उद्योग
5 ऑटो इंडस्ट्री 6 रियल एस्टेट 7 टेक्सटाइल उद्योग
8 बैंकिंग
एक बड़ी चुनौती होगी जिसमें पैकेज की राशि का ईमानदारी से देश के अन्तिम छोर पर स्थित गरीब, मजदूर और किसान तक वास्तव में इसी रूप में पहूंच पाना। क्या बड़ी चुनौती होगी वो अन्त में चर्चा करेंगे।
पीएम मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार के हाल के निर्णय, रिजर्व बैंक की घोषणाओं को मिलाकर यह पैकेज करीब 20 लाख करोड़ रुपये का होगा। यह देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का लगभग 10 प्रतिशत है।
प्रधानमंत्री मोदी नें कहा कि इस पैकेज से अर्थव्यवस्था की गाड़ी पटरी पर दौड़ने लगेगी। पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से घोषित किए गए 20 लाख करोड़ का राहत पैकेज अब तक का सबसे बड़ा पैकेज बताया जा रहा है। यह पैकेज देश के जीडीपी का करीब 10 फीसदी होगा। पीएम मोदी ने कहा, इस पैकेज के जरिए देश के विभिन्न वर्गों और आर्थिक कड़ियों को जोड़ने में बल मिलेगा। 2020 में यह पैकेज देश की विकास यात्रा को आत्मनिर्भर भारत अभियान को एक नई गति देगा। भारतीय वित मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस राहत पैकेज के बंटवारे का ब्योरा पेश किया है। जिससे हम मोटे तोर पर विभाजित करते हैं कि 20 लाख करोड़ के कितने हिस्सेदार हैं? निम्न क्षेत्र मुख्य रूप से हिस्से दार होंगे।
1नौकरीपेशा 2 MSME 3 कृषि 4 कुटीर उद्योग
5 ऑटो इंडस्ट्री 6 रियल एस्टेट 7 टेक्सटाइल उद्योग
8 बैंकिंग
एक बड़ी चुनौती होगी जिसमें पैकेज की राशि का ईमानदारी से देश के अन्तिम छोर पर स्थित गरीब, मजदूर और किसान तक वास्तव में इसी रूप में पहूंच पाना। क्या बड़ी चुनौती होगी वो अन्त में चर्चा करेंगे।
कहां कितना राहत पैकेज-
वैश्विक संकट के दौर में कई देशों ने इसी तरह के विशेष पैकेज का एलान किया है और अर्थव्यवस्था के लिए बड़े राहत पैकेज की घोषणा की है। इन देशों में जापान का स्थान पहले नंबर पर है जिसने कोरोना संकट के बीच अपनी जीडीपी का 21 फीसदी बजट इसमें लगाया है।
आइए नजर डालते हैं कि किस देश ने अपनी जीडीपी का कितना प्रतिशत राहत पैकेज जारी किया है।
जापान 21.1% अमेरिका 11% आस्ट्रेलिया 9.9% कनाडा 8.4% ब्राजील 6.75% जर्मनी 4.9% यूरोपियन यूनियन 4% अर्जेंटीना 3.5%सऊदी अरब 2.8% रूस2.6% इंडोनेशिया 2.6% चीन 2.5% तुर्की 1.5% इटली 1.4%
और भारत ने 10% प्रतिशत हिस्सा कोरोना से जूझ रहे देश में आर्थिक हालातों में कुछ सुधार करने लिए सबसे बड़े राहत पैकेज की घोषणा की है।
वैश्विक संकट के दौर में कई देशों ने इसी तरह के विशेष पैकेज का एलान किया है और अर्थव्यवस्था के लिए बड़े राहत पैकेज की घोषणा की है। इन देशों में जापान का स्थान पहले नंबर पर है जिसने कोरोना संकट के बीच अपनी जीडीपी का 21 फीसदी बजट इसमें लगाया है।
आइए नजर डालते हैं कि किस देश ने अपनी जीडीपी का कितना प्रतिशत राहत पैकेज जारी किया है।
जापान 21.1% अमेरिका 11% आस्ट्रेलिया 9.9% कनाडा 8.4% ब्राजील 6.75% जर्मनी 4.9% यूरोपियन यूनियन 4% अर्जेंटीना 3.5%सऊदी अरब 2.8% रूस2.6% इंडोनेशिया 2.6% चीन 2.5% तुर्की 1.5% इटली 1.4%
और भारत ने 10% प्रतिशत हिस्सा कोरोना से जूझ रहे देश में आर्थिक हालातों में कुछ सुधार करने लिए सबसे बड़े राहत पैकेज की घोषणा की है।
भारत में सबसे बड़े राहत पैकेज का वितरण
भारत में कोरोनावायरस के भयावह हालातों में सबकुछ पटरी पर लाने के लिए बीस लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज का ब्योरा माननीया वित्त मंत्री ने दिया है जिसमें कहां कितना खर्च किया जाएगा उनका विवरण निम्न प्रकार है। घोषणा से भी अधिक महत्वपूर्ण है कि घोषित धन राशि का वास्तविक जरूरतों और सुनियोजित तरीके से वितरण करना है। आइए जानते हैं कि किन किन सेक्टर में कितना बंटवारा किया गया है और आगामी लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। क्या इन तरीकों से गरीब मजदूर और किसान को सीधा फायदा हो पायगा या मध्यम और उच्च कारखानों और निजी उद्योगपतियों की जेबें भरने वाली है।
भारत में कोरोनावायरस के भयावह हालातों में सबकुछ पटरी पर लाने के लिए बीस लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज का ब्योरा माननीया वित्त मंत्री ने दिया है जिसमें कहां कितना खर्च किया जाएगा उनका विवरण निम्न प्रकार है। घोषणा से भी अधिक महत्वपूर्ण है कि घोषित धन राशि का वास्तविक जरूरतों और सुनियोजित तरीके से वितरण करना है। आइए जानते हैं कि किन किन सेक्टर में कितना बंटवारा किया गया है और आगामी लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। क्या इन तरीकों से गरीब मजदूर और किसान को सीधा फायदा हो पायगा या मध्यम और उच्च कारखानों और निजी उद्योगपतियों की जेबें भरने वाली है।
वित्त मंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के पांच स्तंभ हैं- अर्थव्यवस्था, इन्फ्रास्ट्रक्चर, सिस्टम, डेमोग्राफी और डिमांड। इस आधार पर उनकी दस महत्वपूर्ण घोषणाओं की बात करते हैं जो आत्मनिर्भर भारत की तर्ज पर आधारित है।
1.इस अभियान के तहत एमएसएमई के लिए तीन लाख करोड़ रुपए का कोलेट्रल फ्री ऋण देने का प्रावधान किया गया है। यह ऋण चार वर्ष के लिए होगी और पहले एक वर्ष मूलधन का भुगतान नहीं करना होगा। इसके तहत 100 करोड़ रुपए के कारोबार वाले एमएसएमई को 25 करोड़ रुपए तक का ऋण मिलेगा। बैंकों और एनबीएफसी के लिए शतप्रतिशत गारंटी कवर मिलेगा। यह योजना 31 अक्टूबर 2020 तक उपलब्ध होगी।
2. इसके साथ ही एमएसएमई के परिभाषा में बदलाव किया गया है। एमएसएमई की नई परिभाषा में माइक्रो उद्यम में एक करोड़ रुपए तक का निवेश किया जा सकेगा और इसके कारोबार की सीमा पांच करोड़ रुपए होगी। इसी तरह से लघु उद्यम में 10 करोड़ रुपए का निवेश किया जा सकेगा और इसका कुल वार्षिक कारोबार 50 करोड़ रुपए का होगा। मध्यम उद्यम में 20 करोड़ रुपए तक निवेश होगा और इसका कुल कारोबार 100 करोड़ रुपए तक का होगा।
3. तनावग्रस्त एमएसएमई की मदद के लिए 20 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इससे ऐसे एमएसएमई को लाभ होगा जो एनपीए या बुरी स्थिति में है। इससे दो लाख से अधिक एमएसएमई को लाभ होगा। एमएसएमई में 50 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया जायेगा जो बेहतर कारोबार कर रहे हैं। उनके लिए 10 हजार करोड़ रुपए का फंड ऑफ फंड की स्थापना की जायेगी। इससे एमएसएमई को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराने में मदद मिलेगी।
4. 31 जुलाई 2020 और 31 अक्टूबर 2020 तक भरे जाने वाले सभी आयकर रिटर्न की अवधि 30 नंवबर 2020 तक बढ़ा दी गई है। इसके साथ ही 30 सितंबर तक भरे जाने वोल कर आडिट रिपोर्ट की अवधि भी 31 अक्टूबर तक बढ़ा दी गई है।
5. पांच लाख रुपए तक के सभी लंबित रिफंड जारी किये जा रहे हैं। अब तक 14 लाख से अधिक रिफंड जारी किये जा चुके है। 30 सितंबर तक की आंकलन तिथि को बढ़ाकर 31 दिसेबर 2020 और 31 मार्च 2021 तक की तिथि को बढ़ाकर 30 सितंबर 2021 कर दिया गया है।
6. सरकार ने निजी उद्यमों में काम करने वाले कर्मचारियों के हाथ में ज्यादा पैसा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अगले तीन महीने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में दिए जाने वाले अंशदान में कमी की है। कर्मचारियों के वेतन का 12 प्रतिशत ईपीएफ में जमा होता है। साथ ही नियोक्ता भी इतनी ही राशि ईपीएफ में जमा कराता है। अब निजी नियोक्ताओं और कर्मचारियों का अंशदान 12-12 प्रतिशत से घटाकर 10-10 प्रतिशत कर दिया गया है। कर्मचारी के ईपीएफ खाते में उसके वेतन के 24 प्रतिशत की बजाय 20 प्रतिशत के बराबर राशि ही जमा करानी होगी।
7. 100 कर्मचारियों तक के ऐसे संगठन जिनमें 90 प्रतिशत कर्मचारियों का वेतन 15 हजार रुपए से कम है उन्हें पूर्व में दी गई छूट की अवधि तीन महीने और बढ़ा दी गई है। पहले सरकार ने कहा था कि ऐसे संस्थानों के कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों की तरफ से दिया जाने वाला मार्च, अप्रैल और मई का अंशदान सरकार जमा कराएगी। इसकी अवधि भी अब अगस्त तक बढ़ा दी गई है। इससे 3.67 लाख उद्यमों में काम करने वाले 72.22 लाख कर्मचारी लाभांवित होंगे और अर्थव्यवस्था में 2,500 करोड़ रुपए की तरलता बढ़ेगी।
8. वित्त मंत्री ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और सूक्ष्म राशि के ऋण देने वाले संस्थानों (एमएफआई) के लिये मुश्किल के इस दौर में 30,000 करोड़ रुपए के विशेष नकदी योजना की घोषणा की। इस कदम का मकसद कोरोना वायरस संकट के बीच इस क्षेत्र को ऋण के जरिये मदद उपलब्ध कराना है।
9. निर्माण क्षेत्र को राहत देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सभी सरकारी एजेंसियां सभी ठेकेदारों को निर्माण और वस्तु एवं सेवा अनुबंधों को पूरा करने के लिये छह महीने की समयसीमा बढ़ाएंगी।
10. वित्त मंत्री ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) और सूक्ष्म राशि के ऋण देने वाले संस्थानों (एमएफआई) के लिये मुश्किल के इस दौर में 30,000 करोड़ रुपये के विशेष नकदी योजना की भी घोषणा की। इसके अलावा निम्न साख रखने वाले एनबीएफसी, आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) और सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) के लिये 45,000 करोड़ रुपये की आंशिक ऋण गारंटी (पार्शियल क्रेडिट गारंटी) योजना 2.0 की भी घोषणा की। इस पहल का मकसद है कि ये कंपनियां व्यक्तियों तथा एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) क्षेत्र की इकाइयों को अधिक कर्ज दे सकें
1.इस अभियान के तहत एमएसएमई के लिए तीन लाख करोड़ रुपए का कोलेट्रल फ्री ऋण देने का प्रावधान किया गया है। यह ऋण चार वर्ष के लिए होगी और पहले एक वर्ष मूलधन का भुगतान नहीं करना होगा। इसके तहत 100 करोड़ रुपए के कारोबार वाले एमएसएमई को 25 करोड़ रुपए तक का ऋण मिलेगा। बैंकों और एनबीएफसी के लिए शतप्रतिशत गारंटी कवर मिलेगा। यह योजना 31 अक्टूबर 2020 तक उपलब्ध होगी।
2. इसके साथ ही एमएसएमई के परिभाषा में बदलाव किया गया है। एमएसएमई की नई परिभाषा में माइक्रो उद्यम में एक करोड़ रुपए तक का निवेश किया जा सकेगा और इसके कारोबार की सीमा पांच करोड़ रुपए होगी। इसी तरह से लघु उद्यम में 10 करोड़ रुपए का निवेश किया जा सकेगा और इसका कुल वार्षिक कारोबार 50 करोड़ रुपए का होगा। मध्यम उद्यम में 20 करोड़ रुपए तक निवेश होगा और इसका कुल कारोबार 100 करोड़ रुपए तक का होगा।
3. तनावग्रस्त एमएसएमई की मदद के लिए 20 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इससे ऐसे एमएसएमई को लाभ होगा जो एनपीए या बुरी स्थिति में है। इससे दो लाख से अधिक एमएसएमई को लाभ होगा। एमएसएमई में 50 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया जायेगा जो बेहतर कारोबार कर रहे हैं। उनके लिए 10 हजार करोड़ रुपए का फंड ऑफ फंड की स्थापना की जायेगी। इससे एमएसएमई को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराने में मदद मिलेगी।
4. 31 जुलाई 2020 और 31 अक्टूबर 2020 तक भरे जाने वाले सभी आयकर रिटर्न की अवधि 30 नंवबर 2020 तक बढ़ा दी गई है। इसके साथ ही 30 सितंबर तक भरे जाने वोल कर आडिट रिपोर्ट की अवधि भी 31 अक्टूबर तक बढ़ा दी गई है।
5. पांच लाख रुपए तक के सभी लंबित रिफंड जारी किये जा रहे हैं। अब तक 14 लाख से अधिक रिफंड जारी किये जा चुके है। 30 सितंबर तक की आंकलन तिथि को बढ़ाकर 31 दिसेबर 2020 और 31 मार्च 2021 तक की तिथि को बढ़ाकर 30 सितंबर 2021 कर दिया गया है।
6. सरकार ने निजी उद्यमों में काम करने वाले कर्मचारियों के हाथ में ज्यादा पैसा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अगले तीन महीने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में दिए जाने वाले अंशदान में कमी की है। कर्मचारियों के वेतन का 12 प्रतिशत ईपीएफ में जमा होता है। साथ ही नियोक्ता भी इतनी ही राशि ईपीएफ में जमा कराता है। अब निजी नियोक्ताओं और कर्मचारियों का अंशदान 12-12 प्रतिशत से घटाकर 10-10 प्रतिशत कर दिया गया है। कर्मचारी के ईपीएफ खाते में उसके वेतन के 24 प्रतिशत की बजाय 20 प्रतिशत के बराबर राशि ही जमा करानी होगी।
7. 100 कर्मचारियों तक के ऐसे संगठन जिनमें 90 प्रतिशत कर्मचारियों का वेतन 15 हजार रुपए से कम है उन्हें पूर्व में दी गई छूट की अवधि तीन महीने और बढ़ा दी गई है। पहले सरकार ने कहा था कि ऐसे संस्थानों के कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों की तरफ से दिया जाने वाला मार्च, अप्रैल और मई का अंशदान सरकार जमा कराएगी। इसकी अवधि भी अब अगस्त तक बढ़ा दी गई है। इससे 3.67 लाख उद्यमों में काम करने वाले 72.22 लाख कर्मचारी लाभांवित होंगे और अर्थव्यवस्था में 2,500 करोड़ रुपए की तरलता बढ़ेगी।
8. वित्त मंत्री ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और सूक्ष्म राशि के ऋण देने वाले संस्थानों (एमएफआई) के लिये मुश्किल के इस दौर में 30,000 करोड़ रुपए के विशेष नकदी योजना की घोषणा की। इस कदम का मकसद कोरोना वायरस संकट के बीच इस क्षेत्र को ऋण के जरिये मदद उपलब्ध कराना है।
9. निर्माण क्षेत्र को राहत देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सभी सरकारी एजेंसियां सभी ठेकेदारों को निर्माण और वस्तु एवं सेवा अनुबंधों को पूरा करने के लिये छह महीने की समयसीमा बढ़ाएंगी।
10. वित्त मंत्री ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) और सूक्ष्म राशि के ऋण देने वाले संस्थानों (एमएफआई) के लिये मुश्किल के इस दौर में 30,000 करोड़ रुपये के विशेष नकदी योजना की भी घोषणा की। इसके अलावा निम्न साख रखने वाले एनबीएफसी, आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) और सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) के लिये 45,000 करोड़ रुपये की आंशिक ऋण गारंटी (पार्शियल क्रेडिट गारंटी) योजना 2.0 की भी घोषणा की। इस पहल का मकसद है कि ये कंपनियां व्यक्तियों तथा एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) क्षेत्र की इकाइयों को अधिक कर्ज दे सकें
ब्योरा एक नजर में-
TDS refers to Tax Deducted at Source, जिसका मतलब है ‘स्रोत पर कर कटौती”। यहां पर स्रोत से मतलब है, आय का स्रोत (Source Of Income)। यह आय का स्रोत तुरंत हुई आमदनी से संबंधित होता है (SOURCE OF Current INCOME) TDS को वह व्यक्ति या संस्थान काटकर रखता है जो कि भुगतान कर रहा होता है। बाद में इस काटे गए टीडीएस को वह सरकार के पास जमा कर देती है।
TCS यानी टैक्स कलेक्शन एट सोर्स यह वो टैक्स है जो गैर-वेतनभोगी करदाताओं को भरना होता है।
TDC और TCS को लेकर बड़ा एलान किया। उन्होंने कहा कि 31 मार्च, 2020 तक नॉन-सैलरीड पेमेंट को छोड़कर बाकी सभी तरह के पेमेंट पर TDS/ TCS रेट में 25 फीसद की कटौती का फैसला किया गया है। सरकार के इस कदम से लोगों के हाथों में खर्च करने के लिए अधिक पैसे बचेंगे। वित्त मंत्री ने इसके साथ आयकर रिटर्न भरने की समयसीमा को भी बढ़ाने की घोषणा की। इससे पहले उन्होंने कहा कि सरकार सूक्ष्म, लघु एवं मझले उद्योगों (MSME) सेक्टर को बिना किसी गारंटी के तीन लाख करोड़ रुपये का लोन देगी। उन्होंने कहा कि यह कोलेटरल फ्री लोन गारंटी योजना है। एमएसएमई के लिए 6 कदमों की घोषणा की गई है। इसके अलावा कुछ कंपनियों को EPF को लेकर पहले दी गई राहत को अगले तीन और महीने तक जारी रखने की घोषणा की गई है। इसके अलावा निजी कंपनियों को अगले तीन महीने तक पीएफ फंड में 12 फीसद की बजाय 10 फीसद का अंशदान करने की सहूलियत दी गई है।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम को संक्षिप्त रुप में MSME कहा जाता है इस सेक्टर के लिए बिना गारंटी के 3 लाख करोड़ रुपये के लोन की सुविधा कोलेटरल फ्री लोन से 45 लाख MSME को फायदा होगा MSME को 4 साल के लिए लोन दिया जाएगा 25 करोड़ तक लोन से 100 करोड़ टर्नओवर वालों को फायदा होगा पहले 12 महीने नहीं चुकाना होगा मूलधन 3 लाख करोड़ में से 20 करोड़ NBFC के लिए एमएसएमई के लिए 50000 करोड़ का फंड ऑफ फंड्स बनेगा MSMEs के लिए 50 हजार करोड़ का फंड ऑफ़ फंड्स बनेगा MSMEs की परिभाषा बदलेगी MSME को e मार्केट से जोड़ा जाएगा Discom में 90 हजार करोड़ की नकदी डालेंगे 10 करोड़ से 50 करोड़ वाली कंपनी स्मॉल रहेगी 200 करोड़ से कम वाले में ग्लोबल टेंडर नहीं होगा। एमएसएमई को लाभ दिया जाएगा। ईपीएफ में 2500 करोड़ रुपए का निवेश होगा। EPF को लेकर पहले दी गई राहत जून, जुलाई और अगस्त में भी सरकार द्वारा दी जाएगी। ईपीएफ में सरकारी मदद से 72 लाख कर्मचारियों को फायदा ईपीएफ में निजी कंपनियों के अंशदान को 12 फीसद से घटाकर 10 फीसद किया गया। ईपीएफ में कटौती से इम्प्लॉयर्स को 6800 करोड़ का फायदा वित्त मंत्री एनबीएफसी, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों और MFIs के लिए 30,000 रुपये की नकदी सुविधा डिस्कॉम को कैश फ्लो की भारी दिक्कत: वित्त मंत्री एमएसएमई के लिए ई-मार्केट लिंकेज पर जोर दिया जाएगा सरकार एमएसएमई के बाकी पेंमेंट 45 दिनों के अंदर करेगी TDS रेट में 25 फीसद की कटौती सभी तरह के पेमेंट पर लागू होगा कल से 31 मार्च तक रहेगा लागू वर्ष 2019-2020 के लिए आयकर रिटर्न की देय तिथि अब 31 जुलाई और 31 अक्टूबर से बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 तक कर दी गई है ठेकेदारों के लिए बड़ी राहत का एलान करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सभी केंद्रीय एजेंसियां कॉन्ट्रैक्टर्स को बिना किसी शुल्क के काम पूरा करने के लिए छह माह का अतिरिक्त समय देंगी। रियल एस्टेट डेवलपर्स को बड़ी राहत देते हुए सरकार ने परियोजना पूरी करने और रजिस्ट्रेशन की समयसीमा को छह माह के लिए बढ़ा दिया है।
TCS यानी टैक्स कलेक्शन एट सोर्स यह वो टैक्स है जो गैर-वेतनभोगी करदाताओं को भरना होता है।
TDC और TCS को लेकर बड़ा एलान किया। उन्होंने कहा कि 31 मार्च, 2020 तक नॉन-सैलरीड पेमेंट को छोड़कर बाकी सभी तरह के पेमेंट पर TDS/ TCS रेट में 25 फीसद की कटौती का फैसला किया गया है। सरकार के इस कदम से लोगों के हाथों में खर्च करने के लिए अधिक पैसे बचेंगे। वित्त मंत्री ने इसके साथ आयकर रिटर्न भरने की समयसीमा को भी बढ़ाने की घोषणा की। इससे पहले उन्होंने कहा कि सरकार सूक्ष्म, लघु एवं मझले उद्योगों (MSME) सेक्टर को बिना किसी गारंटी के तीन लाख करोड़ रुपये का लोन देगी। उन्होंने कहा कि यह कोलेटरल फ्री लोन गारंटी योजना है। एमएसएमई के लिए 6 कदमों की घोषणा की गई है। इसके अलावा कुछ कंपनियों को EPF को लेकर पहले दी गई राहत को अगले तीन और महीने तक जारी रखने की घोषणा की गई है। इसके अलावा निजी कंपनियों को अगले तीन महीने तक पीएफ फंड में 12 फीसद की बजाय 10 फीसद का अंशदान करने की सहूलियत दी गई है।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम को संक्षिप्त रुप में MSME कहा जाता है इस सेक्टर के लिए बिना गारंटी के 3 लाख करोड़ रुपये के लोन की सुविधा कोलेटरल फ्री लोन से 45 लाख MSME को फायदा होगा MSME को 4 साल के लिए लोन दिया जाएगा 25 करोड़ तक लोन से 100 करोड़ टर्नओवर वालों को फायदा होगा पहले 12 महीने नहीं चुकाना होगा मूलधन 3 लाख करोड़ में से 20 करोड़ NBFC के लिए एमएसएमई के लिए 50000 करोड़ का फंड ऑफ फंड्स बनेगा MSMEs के लिए 50 हजार करोड़ का फंड ऑफ़ फंड्स बनेगा MSMEs की परिभाषा बदलेगी MSME को e मार्केट से जोड़ा जाएगा Discom में 90 हजार करोड़ की नकदी डालेंगे 10 करोड़ से 50 करोड़ वाली कंपनी स्मॉल रहेगी 200 करोड़ से कम वाले में ग्लोबल टेंडर नहीं होगा। एमएसएमई को लाभ दिया जाएगा। ईपीएफ में 2500 करोड़ रुपए का निवेश होगा। EPF को लेकर पहले दी गई राहत जून, जुलाई और अगस्त में भी सरकार द्वारा दी जाएगी। ईपीएफ में सरकारी मदद से 72 लाख कर्मचारियों को फायदा ईपीएफ में निजी कंपनियों के अंशदान को 12 फीसद से घटाकर 10 फीसद किया गया। ईपीएफ में कटौती से इम्प्लॉयर्स को 6800 करोड़ का फायदा वित्त मंत्री एनबीएफसी, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों और MFIs के लिए 30,000 रुपये की नकदी सुविधा डिस्कॉम को कैश फ्लो की भारी दिक्कत: वित्त मंत्री एमएसएमई के लिए ई-मार्केट लिंकेज पर जोर दिया जाएगा सरकार एमएसएमई के बाकी पेंमेंट 45 दिनों के अंदर करेगी TDS रेट में 25 फीसद की कटौती सभी तरह के पेमेंट पर लागू होगा कल से 31 मार्च तक रहेगा लागू वर्ष 2019-2020 के लिए आयकर रिटर्न की देय तिथि अब 31 जुलाई और 31 अक्टूबर से बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 तक कर दी गई है ठेकेदारों के लिए बड़ी राहत का एलान करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सभी केंद्रीय एजेंसियां कॉन्ट्रैक्टर्स को बिना किसी शुल्क के काम पूरा करने के लिए छह माह का अतिरिक्त समय देंगी। रियल एस्टेट डेवलपर्स को बड़ी राहत देते हुए सरकार ने परियोजना पूरी करने और रजिस्ट्रेशन की समयसीमा को छह माह के लिए बढ़ा दिया है।
बिजली कंपनियों को राहत की सांस
लॉकडाउन-4 में देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार शाम को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई बड़ी घोषणाएं की हैं। इस बीच उन्होंने बिजली वितरण कंपनियों की चुनौतियों और गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं को मजबूती देने के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा की। इनमें, बिजली वितरण कंपनियों को 90,000 करोड़ रुपये की मदद गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही बिजली वितरण कंपनियों की मदद के लिए सरकार की तरफ से 90,000 करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज दिया गया है। हालांकि, इसके लिए बिजली वितरण कंपनियों को राज्य सरकारों को गारंटी देनी होगी। वित्त मंत्री ने कहा कि कंपनियों को तुरंत नकदी उपलब्ध कराई जाएगी।
एनबीएफसीएस को बड़ी राहत
एनबीएफसी (NBFC) NON BANKING FINANCE COMPANY है, हिंदी में इसे गैर बैंकिंग वित्तीय निगम कहा जाता है | यह वह कंपनी होती है जो वित्तीय लेंन-देन का कार्य करती है, परन्तु यह कम्पनियाँ वास्तविक रूप से बैंक नहीं होती है के लिए केंद्र सरकार की तरफ से 45000 करोड़ रुपए की एक और लिक्विडिटी स्कीम दी गई है। इस स्कीम के तहत आंशिक तौर पर केंद्र सरकार गारंटी लेगी। इसमें शुरुआती 20 प्रतिशत घाटे का वहन गारंटर के तौर पर भारत सरकार करेगी।
इससे पहले आत्म-निर्भर भारत अभियान के साथ वित्तमंत्री ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत की। वित्त मंत्री ने इस दौरान कहा कि इस आर्थिक पैकेज से देश आत्म-निर्भर बनेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकल ब्रांड को ग्लोबल बनाने की बात को दोहराते हुए इस पैकेज को आत्मनिर्भर भारत मिशन का भाग बताया।
इससे पहले आत्म-निर्भर भारत अभियान के साथ वित्तमंत्री ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत की। वित्त मंत्री ने इस दौरान कहा कि इस आर्थिक पैकेज से देश आत्म-निर्भर बनेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकल ब्रांड को ग्लोबल बनाने की बात को दोहराते हुए इस पैकेज को आत्मनिर्भर भारत मिशन का भाग बताया।
20 लाख करोड़ पैकेज का दूसरा चरण गरीब , किसान और मजदूर वर्ग को राहत
वित् मंत्री ने बताया कि आज अप्रवासी मजदूर, स्ट्रीट वेंडर, छोटे व्यापारियों और किसानों के लिए विशेष राहत दी जायगी ।
कोरोना के दौरान प्रवासी मजदूरों के लिए शेल्टर होम की व्यवस्था की जाएगी। जो शहरी लोग बेघर हैं, उन्हें इसका फायदा मिलेगा । जो अप्रवासी मजदूर अपने राज्यों में लौटे हैं, उनके लिए भी योजनाएं हैं। इस पर अब तक 10 हजार करोड़ रुपए खर्च कर चुके हैं। इसके तहत 1.87 हजार ग्राम पंचायतों में काम हुआ है। जो मजदूर अपने घरों में लौटे हैं, वे वहीं रजिस्टर कर काम ले सकते हैं। मनरेगा के तहत मजदूरी 182 रुपए से बढ़ाकर 200 रुपए कर दी गई है।मजदूरों को लाभ देने जा रहे हैं। न्यूनतम वेतन का लाभ 30% वर्कर उठा पाते हैं। समय पर उन्हें पैसा नहीं मिलता। गरीब से गरीब मजदूर को भी न्यूनतम वेतन मिले और क्षेत्रीय असामनता दूर हो इसके लिए कानून बनाया जाएगा।8 करोड़ प्रवासी मजदूरों के लिए फ्री राशन की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए 3500 करोड़ रुपए का प्रावधान कर रहे हैं। 5-5 किलो गेहूं या चावल और एक किलो चना दिया जाएगा। राज्य सरकारों पर इसे लागू करने की जिम्मेदारी होगी
वहीं प्रवासी किसी भी राशन कार्ड कार्ड से किसी भी राज्य की किसी भी दुकान से खाद्य सामग्री ले सकेंगे। वन नेशन वन राशन कार्ड अगस्त से लागू किया जाएगा।
नाबार्ड से किसानो को तीस हजार करोड़ की मदद
कृषि सीजन में किसानों ने बहुत मेहनत की है और उत्पादन किया है। छोटे और सीमांत किसानों को लाभ देने के लिए 30 हजार करोड़ रुपए की अतिरिक्त सुविधा दी जाएगी। यह नाबार्ड के 90 हजार करोड़ रुपए के अलावा है। यह पैसा कोऑपरेटिव बैक्स के जरिए सरकारों को दिया जाएगा। इसका फायदा 3 करोड़ किसानों को मिलेगा।
केम्पा फंड से छ हजार करोड़ की सहायता
रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए और ग्रामीण, आदिवसी इलाकों के लिए कैंपा फंड के तहत 6 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया जाएगा। इससे पौधारोपण, हरियाली बढ़ाने जैसे काम किए जाएंगे।
हाउजिंग सेक्टर में सब्सिडी
हाउजिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए 6-18 लाख रुपए की वार्षिक आमदनी वाले मिडिल क्लास के लिए 2017 में लाए गए हाउसिंग लोन सब्सिडी योजना को 31 मार्च 2021 तक बढ़ा दिया गया है। इसके लिए 70 हजार करोड़ रुपए का पैकेज दिया गया है। एक साल में 2.5 लाख लोग इसका फायदा लेंगे। इससे हाउजिंग सेक्टर को फायदा होगा और नई नौकरियां भी पैदा होंगी।
हाउजिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए 6-18 लाख रुपए की वार्षिक आमदनी वाले मिडिल क्लास के लिए 2017 में लाए गए हाउसिंग लोन सब्सिडी योजना को 31 मार्च 2021 तक बढ़ा दिया गया है। इसके लिए 70 हजार करोड़ रुपए का पैकेज दिया गया है। एक साल में 2.5 लाख लोग इसका फायदा लेंगे। इससे हाउजिंग सेक्टर को फायदा होगा और नई नौकरियां भी पैदा होंगी।
हाथ रेहड़ी वालो और ठेले वालों को लोन देगी सरकार
वित्त मंत्री ने कहा कि रेहड़ी, पटरी, फेरीवालों के लिए सरकार एक महीने में ऋण योजना लाएगी। इसके तहत 50 लाख फेरीवालों को 5 हजार करोड़ रुपए की ऋण सहायता दी जाएगी। ये आसानी से 10 हजार रुपए तक का ऋण ले सकते हैं। ताकी लॉकडाउन खत्म होने के बाद वे अपना काम दोबारा शुरू कर सकें। मोबाइल से पेमेंट करने वाले ऐसे फेरीवालों को प्रोत्साहन दिया जाएगा और आने वाले समय में उन्हें अतिरिक्त लोन मिल सकेगा।
मुद्रा शिशु लोन
मुद्रा शिशु लोन योजना के तहत 1500 करोड़ रुपए की ब्याज राहत दी जाएगी। एक लाख 62 हजार करोड़ रुपए इसके तहत दिए गए हैं। इससे 3 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा।
शहर में रहने वाले मजदूरों और गरीबों को सस्ते किराये पर मकान
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सरकार प्रवासी मजदूरों और शहरी गरीबों के लिए रेंटल हाउसिंग स्कीम लाएगी। पीपीपी मॉडल पर किराये पर रहने के लिए घर बनाएं जाएंगे, जिनमें वे कम किराए में रह सकते हैं। ताकि वे कम किराया खर्च करके शहर में रह सकें। जो उद्योगपति अपनी जमीन पर ऐसे घर बनाएंगे उन्हें प्रोत्साहन दिया जाएगा। राज्य सरकारों के साथ मिलकर भी इस काम को किया जाएगा।
गरीब मजदूर को मुफ्त राशन मिलेगा
अगले दो महीने तक सभी प्रवासी मजदूरों को बिना कार्ड के ही 5 किलो प्रति व्यक्ति गेहूं या चावल और एक किलो चना प्रति परिवार देगी। इससे करीब 8 करोड़ प्रवासियों को फायदा होगा। इस पर करीब 3500 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसका पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी।
वन नेशन वन राशन कार्ड बनेगा
वन नेशन वन राशन कार्ड को अगस्त 2020 तक लागू किया जाएगा। इससे 23 राज्यों को 67 करोड़ लोगों को फायदा मिलेगा। पीडीएस योजना के 83 फीसदी लाभार्थी इससे जुड़ जाएंगे। मार्च 2021 तक इसमें 100 फीसदी लाभार्थी जुड़ जाएंगे। देश के किसी भी कोने में लोग अपने राशन कार्ड से उचित मूल्य दुकान से राशन ले सकते हैं।
सभी कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन दिलवाएगी सरकार [लेबर कोड से ]
वित मंत्री ने कहा कि अभी केवल 30 पर्सेंट कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन मिल पाता है। सरकार लेबर कोड पर काम कर रही है इसके तहत सभी कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन तय किया जाएगा। सभी राज्यों में न्यूनतम वेतन में अंतर को खत्म किया जाएगा। 10 से अधिक कर्मचारियों वाले सभी संस्थानों के लिए देश के सभी जिलों में ईएसआईसी सुविधा को लागू किया जाएगा। 10 से कम कर्मचारी वाले संस्थान भी स्वेच्छा से ईएसआईसी से जुड़ सकते हैं। सभी कर्मचारियों का साल में एक बार स्वास्थ्य परीक्षण कराना अनिवार्य होगा। स्थायी कर्मचारियों को एक साल में ही मिलेगा ग्रैच्युटी का लाभ, अभी 5 साल की सेवा के बाद मिलता है।
गरीब , किसान और मजदूर वर्ग को सीधे राहत पहुचना बड़ी चुनौती
देश के लगभग पन्द्रह करोड़ मजदूर जो अपना कार्य स्थल छोड़ कर घरों को लौट आए हैं उनके सामने भुखमरी और स्वास्थ्य सेवाएं की समस्या है उनके सामने रोटी का संकट है आज कोरोना की इस भयानक महामारी में सबसे ज्यादा परेशान गरीब और प्रवासी श्रमिक हैं, जबकि बड़े बड़े उद्योगपति , जनप्रतिनिधि ,आदि धनवान लोग पहले से ही पूंजी को संग्रह रखें हुए हैं उनके सामने जीवन निर्वाह का संकट नहीं है। अच्छा तो तब होता जब
13 -15 करोड़ लोगों के खातों में पैसे डाले तथा उनके नज़दीक सरकारी नियंत्रण में राशन और छोटे छोटे काम उपलब्ध कराया जाए। दरअसल यह पैकेज भविष्य के लिए है जो कोरोना से मुक्ती के बाद भारत में उद्योग जगत को फिर से खड़ा होने में मदद मिलेगी। लेकिन एक बड़ा वर्ग मजदूर , किसान और उन गरिबों का है जिसका पिछले समय से काम बन्ध होने से भूखमरी की कगार पर हैं इस पैकेज का अधिकतम हिस्सा बैंकिंग , ब्याज, लोन , आयकर , लघु उद्योग , छोटे बड़े कारोबारियों को धन उपलब्ध करवाने , बड़ी बिजली वितरण कंपनियों को ॠण उपलब्ध करवाने आदि के लिए वितरित किए जाएंगे तो यहां बड़ी चुनौती यह है कि बड़ी संख्या में मजदूर वर्ग शहरों से अपने घरों की ओर लौट आया है अब यही मजदूर शहरों में काम करने की स्थिति में नहीं है। तो यह बड़ी समस्या है कि इस बड़े पैकेज का बड़ा हिस्सा उन उद्योगपतियों के हिस्से में जाने वाला है जिसमें वो अपने कारखानों को शुरू करेंगे लेकिन यह किसने सोचा कि हम लेबर संकट से जूझ रहे हैं अगर मशीनीकरण की तर्ज पर उत्पादन बढ़ाने की कवायद को मजबूत किया जाए तो भी श्रमिक वर्ग का क्या होगा उनके रोजगार का क्या होगा। लोकल वस्तुओं और उत्पादकों को अहमियत देने की बात कही है हालांकि यह अच्छी पहल है लेकिन हम जानते हैं कि हमारा मेक इन इंडिया अभियान सफल नहीं हुआ हमारे बड़े-बड़े मैनुफैक्चरर संस्थान जैसे आॅटो सेक्टर हो या तकनीकी उपकरण निर्माण हो आदि में हम विदेशी कंपनियों पर निर्भर है जिससे सस्ते दामों पर पार्टस खरीदते हैं। फिर भी आत्मनिर्भर भारत बनाने की पहल बहुत सराहनीय है कोशिश की जाए तो अधिकतर उत्पादन हम स्वदेशी स्तर पर कर सकते हैं। लेकिन इस बड़े कदम के लिए हमें सुनियोजित पृष्ठभूमि की आवश्यकता है इसलिए यह डगर थोड़ी कठीन जरुर हो सकती है। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह कि कोरोना महामारी से जब भारत मुक्त हो जाएगा तो कुछ महिनों में ही उद्योग जगत और उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो जाएगी धीरे धीरे परिस्थितियां भी सामान्य हो जाएगी लेकिन वर्तमान में सबसे बड़ा संकट मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी , गरीबी और भूखमरी से होने वाली मौतों को कम करना है। जिसमें सबसे पहला कदम खाद्यान्न उत्पादन और वितरण था जिसके लिए किसानों को विशेष सुविधाएं उपलब्ध करवाने की आवश्यकता जिससे लांक डाउन में घरों में बैठे बड़ी संख्या में भारतीय लोगों को भोजन उपलब्ध हो सके। वर्तमान संकट केवल भोजन, चिकित्सा सुविधा, कार्य खो चुके मजदूर वर्ग का जीवन निर्वाह और कोरोना से जंग सर्वोत्तम लक्ष्य है । हालांकि उद्योग जगत और अर्थव्यवस्था को भी पटरी पर लाना जरूरी है लेकिन इसमें भी सबसे अधिक ध्यान देने योग्य जो क्षेत्र है सबसे बड़ी चुनौती इस सम्पूर्ण पैकेज को ईमानदारी और बिना किसी रुकावट से निम्न वर्ग को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाना है जो कि लम्बे समय से भ्रष्टाचार, बिचोलियों की समस्या, सरकारी विभाग और नौकरशाही की लेट लतीफी आदि कारण रहें हैं जिससे गरीब को घोषित राशि का बचा खुचा भाग ही मिलता है जिससे आजादी के लम्बे समय बाद भी गरीब मजदूरों की हालत दयनीय है। जिनकी तस्वीर हमें इस लोकडाउन में देखने को मिली जिसमें लाखों मजदूर लहूलुहान हालत में हज़ारों किलोमीटर का सफर पैदल ही तय कर रहे हैं। इसलिए इस वर्ग को इस राहत पैकेज में सर्वोच्च स्थान मिलना चाहिए इसमें कोई दोराय नहीं है।
13 -15 करोड़ लोगों के खातों में पैसे डाले तथा उनके नज़दीक सरकारी नियंत्रण में राशन और छोटे छोटे काम उपलब्ध कराया जाए। दरअसल यह पैकेज भविष्य के लिए है जो कोरोना से मुक्ती के बाद भारत में उद्योग जगत को फिर से खड़ा होने में मदद मिलेगी। लेकिन एक बड़ा वर्ग मजदूर , किसान और उन गरिबों का है जिसका पिछले समय से काम बन्ध होने से भूखमरी की कगार पर हैं इस पैकेज का अधिकतम हिस्सा बैंकिंग , ब्याज, लोन , आयकर , लघु उद्योग , छोटे बड़े कारोबारियों को धन उपलब्ध करवाने , बड़ी बिजली वितरण कंपनियों को ॠण उपलब्ध करवाने आदि के लिए वितरित किए जाएंगे तो यहां बड़ी चुनौती यह है कि बड़ी संख्या में मजदूर वर्ग शहरों से अपने घरों की ओर लौट आया है अब यही मजदूर शहरों में काम करने की स्थिति में नहीं है। तो यह बड़ी समस्या है कि इस बड़े पैकेज का बड़ा हिस्सा उन उद्योगपतियों के हिस्से में जाने वाला है जिसमें वो अपने कारखानों को शुरू करेंगे लेकिन यह किसने सोचा कि हम लेबर संकट से जूझ रहे हैं अगर मशीनीकरण की तर्ज पर उत्पादन बढ़ाने की कवायद को मजबूत किया जाए तो भी श्रमिक वर्ग का क्या होगा उनके रोजगार का क्या होगा। लोकल वस्तुओं और उत्पादकों को अहमियत देने की बात कही है हालांकि यह अच्छी पहल है लेकिन हम जानते हैं कि हमारा मेक इन इंडिया अभियान सफल नहीं हुआ हमारे बड़े-बड़े मैनुफैक्चरर संस्थान जैसे आॅटो सेक्टर हो या तकनीकी उपकरण निर्माण हो आदि में हम विदेशी कंपनियों पर निर्भर है जिससे सस्ते दामों पर पार्टस खरीदते हैं। फिर भी आत्मनिर्भर भारत बनाने की पहल बहुत सराहनीय है कोशिश की जाए तो अधिकतर उत्पादन हम स्वदेशी स्तर पर कर सकते हैं। लेकिन इस बड़े कदम के लिए हमें सुनियोजित पृष्ठभूमि की आवश्यकता है इसलिए यह डगर थोड़ी कठीन जरुर हो सकती है। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह कि कोरोना महामारी से जब भारत मुक्त हो जाएगा तो कुछ महिनों में ही उद्योग जगत और उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो जाएगी धीरे धीरे परिस्थितियां भी सामान्य हो जाएगी लेकिन वर्तमान में सबसे बड़ा संकट मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी , गरीबी और भूखमरी से होने वाली मौतों को कम करना है। जिसमें सबसे पहला कदम खाद्यान्न उत्पादन और वितरण था जिसके लिए किसानों को विशेष सुविधाएं उपलब्ध करवाने की आवश्यकता जिससे लांक डाउन में घरों में बैठे बड़ी संख्या में भारतीय लोगों को भोजन उपलब्ध हो सके। वर्तमान संकट केवल भोजन, चिकित्सा सुविधा, कार्य खो चुके मजदूर वर्ग का जीवन निर्वाह और कोरोना से जंग सर्वोत्तम लक्ष्य है । हालांकि उद्योग जगत और अर्थव्यवस्था को भी पटरी पर लाना जरूरी है लेकिन इसमें भी सबसे अधिक ध्यान देने योग्य जो क्षेत्र है सबसे बड़ी चुनौती इस सम्पूर्ण पैकेज को ईमानदारी और बिना किसी रुकावट से निम्न वर्ग को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाना है जो कि लम्बे समय से भ्रष्टाचार, बिचोलियों की समस्या, सरकारी विभाग और नौकरशाही की लेट लतीफी आदि कारण रहें हैं जिससे गरीब को घोषित राशि का बचा खुचा भाग ही मिलता है जिससे आजादी के लम्बे समय बाद भी गरीब मजदूरों की हालत दयनीय है। जिनकी तस्वीर हमें इस लोकडाउन में देखने को मिली जिसमें लाखों मजदूर लहूलुहान हालत में हज़ारों किलोमीटर का सफर पैदल ही तय कर रहे हैं। इसलिए इस वर्ग को इस राहत पैकेज में सर्वोच्च स्थान मिलना चाहिए इसमें कोई दोराय नहीं है।
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