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Monday, February 17, 2020

दयनीय हालत में देश के मजदूर और किसान

Desh ke majdur or kisan
दयनीय हालत में देश के मजदूर और किसान



दयनीय हालत में देश के मजदूर और  के उचित मूल्य पाने के लिए अनाज मंडी में आँसू बहाता है।किसान कर्ज में डूबा रहता है और आत्महत्या का रास्ता चुन लेता है। किसी राष्ट्र की आर्थिक उन्नति में किसान और मजदूर अहम  भूमिका निभाते हैं। भारत जैसे विशाल भू-भाग और जनसंख्या वाले देश में किसानों और मजदूरों की अहमियत और भी बढ़ जाती है। भारत में किसानों और मजदूरों की तादाद भी अच्छी हैं। किसान और मजदूर देश के आर्थिक विकास रूपी रथ के दो पहिए है क्योकि यही वो लोग हैं जो देश के बड़े शहरों में बस रही घनी आबादी को खाद्यान्न और श्रम उपलब्ध करवाते हैं। लेकिन आजादी के लम्बे समय बाद भी मजदूर और किसान आज भी बदहाली का जीवन जीने को अभिशप्त हैं। राजनीतिक और भौतिकवादी रंगारंग में यह दो तबके भूलाये जा रहे हैं । आज देश में किसानों और मजदूरों की दशा क्या है? उनकी परेशानियों क्या है? इन सब बातों पर चर्चा न तो राष्ट्रीय  मीडिया में है ना किसी राजनैतिक बहस में। किसान और मजदूर की समस्यायों से जुड़े मुद्दों पर चुनावी दौर में सरकार और नेताओं  से खूब आश्वासन दिलाए जाते हैं लेकिन समाधान नाम मात्र का होता है। किसी भी राष्ट्र की सकल एवं घरेलू उत्पाद दर तथा वस्तुओं की निर्यात दर मजदूरों और किसानों की स्थिति एवं उनकी मेहनत से तय‌ होती है। किसान अन्नदाता है तो मजदूर हमारे सुखमय जीवन का आधार है। देश के किसानों-मजदूरों की दशा अत्यंत दयनीय है। वे हमेशा कर्ज में डूबे रहते हैं। यह हमारे लिए गंभीर चिंता का विषय है। बढ़ती मंहगाई से उत्पन्न तंगहाली किसानों और मजदूरों की सांझी समस्या रही है क्योकि बढ़ती मंहगाई के साथ-साथ कर्मचारियों और नेताओं के वेतन भत्ते बढ़ते हैं लेकिन मजदूरों की मजदूरी और किसानों को उनकी मेहनत का दाम नहीं मिल पाता।
देश में पूंजीवाद के बोलबाले में मजदूरों और किसानों की दशा को नजरंदाज करना बड़ी भूल हैं क्योंकि पूंजीवाद की चकाचौंध सर्वहारा वर्ग पर टिकी हुई है। कई कानुन और नियमों  के बावजूद आज बड़े शहरों के कारखानों में मजदूरों की क्या स्थिति है? गरीबी,अशिक्षा और भुखमरी के चलते लाखों बाल श्रमिक अपना बचपन खतरनाक कारखानों में बिता रहे हैं। मजदूरों का एक बड़ा हिस्सा आज भी शोषण का शिकार है। गरीब मजदूरों को चंद मुनाफे का प्रलोभन देकर नियत समय से अधिक समय तक काम करवाया जाता हैं। कुछ मजदूरों की खून-पसीने की कमाई का एक बड़ा भाग बिचोलियों व दलालों के हिस्से चला जाता है। सीमेंट,खनन, वस्त्र छपाई, रासायनिक फैक्ट्रियों तथा अन्य खतरनाक कारखानों में मजदूरों को कोई स्वास्थ्य संबंधी सुरक्षा मुहैया नहीं होती जिसके दुष्परिणाम कई मजदूर प्रदुषित कारखानों में गंदगी से टीबी,कैसर आदि रोगों से ग्रस्त होकर अपनी आधी जिंदगी ही जी पाते हैं। आज भी कुछ निजी कारखानों में काम करने वाले मजदूरों के लिए जीवन सुरक्षा हेतु कोई बीमा योजना या बीमारी के लिए मुफ्त इलाज की सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई जाती है। राष्ट्र प्रगति की चमक इन धूल-मिट्टी व सीमेंट-तेल से सने हुए मजदूर-किसान की वजह से आती है इसलिए इस वर्ग को सरकार के साथ-साथ प्रत्येक व्यक्ति की सहानुभूति और संवेदनशील तरीके से साथ की जरूरत है। मजदूरों के साथ किसानों की हालत गंभीर है। हमारा किसान आज ऋण,महंगाई, न्यून फसल  मूल्य, बिचोलियों की कमीशनखोरी,अनाज भंडारण,फसल बर्बादी , तथा प्रकृतिक आपदाओं सहित अनेक समस्यायों के कारण आत्महत्या के लिए मजबुर हो रहा है। भौतिकवाद और पूंजीवाद के बवंडर में देश की समृद्धि के असली नायक मजदूर और किसान समस्यायो से जूझ रहे है , यह चिंता का विषय है। देश में ही नहीं विदेशों में काम करने वाले प्रवासी भारतीय मजदूरों के साथ किसी न किसी प्रकार का शोषण होता है। भारतीय किसानों पर प्राकृतिक,  आर्थिक, महंगाई एवं फसल बर्बादी से जुड़ी अनेक समस्याएं मंडराती रहती है। हाल ही में पश्चिमी राजस्थान में टिड्डी दल ने करोड़ों की फसल नष्ट कर दी तथा अब भी टिड्डी दल का कहर जारी है। इन तमाम समस्याओं के लिए चाहे मजदूरों की हो या किसानों की, सरकार को गंभीरता से इनकी मदद के लिए जरूरी कदम उठाने होंगे। भारत की खुशहाली और समृद्धि के असली नायक मजदूर और किसान है। निश्चित ही मजदूर और किसान की दशा और दिशा में सुखकारी परिवर्तन की जरूरत है क्योंकि मजदूरों और किसानों के कल्याण में देश की समृद्धि निहित है।

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