भारत मे छब्बीस साल बाद फिर से भारी मात्रा में टिड्डी दल राजस्थान और गुजरात के सीमावर्ती इलाकों में मई महीने में पहुंचने के बाद दिनों-दिन वृद्धि करते हुए टिड्डी दलो ने राजस्थान के मध्यवर्ती जिलो की ओर कूच कर लिया है। हालांकि टिड्डी निरोधक दल ने जून में टिड्डी के आने की आशंका जताई थी, लेकिन समय से पहले ही बड़ी संख्या टिड्डी दल भारत में जैसलमेर के रास्ते से मई के अंतिम सप्ताह में ही दस्तक दे दी थी। वैसे लम्बा सफर तय करने के साथ-साथ अनूकूल परिस्थितियों में तेजी से प्रजनन करते हुए मरुभूमि टिड्डियों के झुंड, ग्रीष्म मानसून के समय, अफ्रीका से भारत आते हैं और पतझड़ के समय ईरान और अरब देशों की ओर चले जाते हैं। इसके बाद ये सोवियत एशिया, सिरिया, मिस्र और इजरायल में फैल जाते हैं। इनमें से कुछ भारत और अफ्रीका लौट आते हैं।
हालांकि भारत में कोई बार टिड्डियों का आक्रमण हो चुका है इससे पहले जुलाई अक्तूबर 1993 में टिड्डी दलों ने राजस्थान में बड़ा हमला किया था और हजारों हेक्टेयर में फसल तथा वनस्पति को बर्बाद कर दिया था। इसके बाद वर्ष 1998 में टिड्डी दल ने राजस्थान में बड़ा नुकसान पहुंचाया था। जब जब भारत में टिड्डी ने आक्रमण किया है। तब तब भारत के अंदर अकाल पड़ा है। अब तक भारत के अंदर टिड्डी दल 15 बार आक्रमण कर चुके हैं।
लेकिन इस बार दुर्भाग्यवश पूर्ण नियंत्रण में नहीं होने के कारण गुजरात के बनासकांठा जिले तथा राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, जोधपुर, जालोर जिलों में टिड्डियों के आक्रमण से किसानों पर निशाना के बादल मंडराने लगे हैं। इससे पहले आगे बढ़ते हुए टिड्डी दल ने लाखों हेक्टेयर में फसलों को तबाह कर लिया जिससे बाड़मेर जैसलमेर के किसानों के अरमान मिट्टी में मिल गए अब उनको केवल सरकार से आस है कि उनकी दिन रात की मेहनत तथा कर्ज लेकर अपना जीवन यापन करने और देश को खाद्यान्न उपलब्ध करवाने के लिए जो फसल बोई थी उनका मुआवजा मिल सके। कृषि विभाग के उस दावे को किसानों ने नकारा है जिसमें कहा गया है कि विभाग ने टिड्डियों का सफाया कर दिया हैं किसानों का दावा सच है क्योंकि अभी भी टिड्डियों का आंतक जारी हैं। कुछ किसान अपनी फसल के विनाश से परेशान होकर अपनी खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चलाकर तहस-नहस कर रहे हैं। बाड़मेर की सीमावर्ती शिव तहसील में किसानों की खड़ी फसल चौपट करने के बाद 25 जनवरी को गुड़ामालानी के छोटु और धोलानाडा में दो बड़े टिड्डी दल अचानक आ पहुंचे जिससे किसानों में हड़कंप मच गया। हालांकि बाड़मेर जैसलमेर में अब बिखराव के साथ कुछ टिड्डी दल विभिन्न गांवों में फैल रहें हैं। टिड्डियों से बचाव के लिए किसान और परिवार के बच्चों सहित जुगाड़ कर रहे हैं। वे चारे से धुआंं कर एवं थाली, ढोल बजाकर टिड्डियांं भगा रहे हैं। बाड़मेर की गुड़ामालानी तहसील में हाल ही में जीरे और ईसबगोल की बुआई की गई थी लेकिन इस टिड्डी की आफत ने इन फसलों को पकने से पहले ही साफ कर दिया। यहां नलकूपों द्वारा खेती का प्रारंभ हाल ही में होने लगा है यहां अधिकतर लघु किसान अधिक मात्रा में है जो कर्ज लेकर सिंचाई का जुगाड़ करते हैं। परिवार की तंगहाली दूर करने के सपने संजोए हूए यह लोग प्रशासन की नजर में भले ही मुख्य स्थान न रख रहे हो लेकिन रेतीले धोरों में दूर-दूर योग्य भूमि पर जीरे के साथ-साथ अन्य फसलों की बुवाई काफी मात्रा में करते हैं। इसलिए इन उभरते हुए लघु किसानों में टिड्डियों का हमला निराशा उत्पन्न कर रहा है। यह टिड्डी दल राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों के बाद मध्यवर्ती इलाके में भी झुण्डों के साथ प्रवेश करके वहां तुअर, सरसोंं,चना की फसल चौपट कर रही है इसके कारण किसान बेबस और मायूस हो गए हैं।
No comments:
Post a Comment