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Vachan vidhi वाचन विधि |
वाचन विधि
भाषा में वाचन के लिये ऊँचे स्वर में पढना या पढ़कर सुनाना है। शिक्षा के क्षेत्र में वाचन से तात्पर्य अर्थ ग्रहण करने से है।
वाचन के उद्देश्य
भाव ठीक-ठीक समझने की क्षमता उत्पन्न करना । शुद्ध उच्चारण का अभ्यास कराना। अभिव्यक्ति की क्षमता। उनमे पढ़ते हुए लिपिबद्ध विचारों के अर्थ ग्रहण करने की क्षमता उत्पन्न करना। त्वरित गति से पढ़ने का अभ्यास करना । छात्र कहानियों, कविताओं, नाटकों, उपन्यासों तथा समाचार पत्रों के पढ़ने में रुचि लें।
वाचन का महत्त्व
डॉ. धरनाथ चतुर्वेदी, “वाचन एक कला है। यह ज्ञानार्जन की कुंजी है। वाचन शक्ति ठीक रहने पर ही मनुष्य जटिल से जटिल विषय पढ़कर समझ सकता है तथा पढ़े हए अंश का सार खोलकर या लिखकर व्यक्त कर सकता है। सुवाचन के बिना न तो कोई अच्छा वक्ता ही बन सकता है और न ही लेखक, वाचन मृत्यु पर्यन्त मनुष्य का साथी है। आप अकेले घर में बैठे हैं, रेल में यात्रा पर रहे हैं अथवा बीमार पड़े हैं, ऐसे समय में आप पुस्तक उठाइये और उसके पठन का मजा चखिए।"
वाचन शिक्षण का क्रम-
छात्रों को वाचन की पूर्ण अवस्था तक पहुँचाने के लिये मनोवैज्ञानिक रूप से वाचन के विभिन्न स्तरों पर निपुण बनाया जाये।
- वाचन शिक्षण की निम्नलिखित तीन अवस्थायें है
पुस्तकों के पढ़ने के लिये रुचि उत्पन्न करना। - शब्द, वाक्यांशों व वाक्यों का बोध करना ।
गम्भीर की प्रवृत्ति उत्पन्न करना विश्लेषण एवं निष्कर्ष का भी क्षमता उत्पन्न करना।
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