Evaluation आकलन मापन और मूल्यांकन की अवधारणा अर्थ प्रकार परिभाषा एवं प्रविधियां Jagriti PathJagriti Path

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Sunday, October 26, 2025

Evaluation आकलन मापन और मूल्यांकन की अवधारणा अर्थ प्रकार परिभाषा एवं प्रविधियां


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वर्तमान युग में मनोवैज्ञानिक आधारित शिक्षा में गुणवत्ता तथा शिक्षण कार्य को बेहतर बनाने के लिए त्रिआयामी शिक्षण प्रक्रिया जिसमें पाठ्यक्रम विद्यार्थी एवं शिक्षक शामिल होता है इस प्रक्रिया में मूल्यांकन सबसे महत्वपूर्ण विषय है। पूरी शिक्षण प्रक्रिया का आधार मूल्यांकन से तय होता है। मूल्यांकन एक विस्तृत प्रकिया है जिसमें आकलन और मापन इसकी मुख्य प्रक्रियाएं होती है। अब शिक्षण उद्देश्य पाठ्यक्रम और मूल्यांकन प्रणाली महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसलिए अधिगम प्रकिया में शिक्षण विधियों के प्रयोग,शिक्षण उद्देश्यों को पूर्ति तथा व्यवहार में परिवर्तन की प्रक्रिया में मूल्यांकन आरम्भ से अंत तक निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है।

आकलन, मापन और मूल्यांकन — ये तीनों शैक्षिक और व्यावसायिक प्रक्रियाओं के आधार हैं जिनके माध्यम से किसी व्यक्ति, कार्यक्रम या प्रणाली की गुणवत्ता, दक्षता तथा परिणामों का ज्ञान प्राप्त किया जाता है। सरल शब्दों में कहा जाए तो मापन वह प्रक्रिया है जिससे किसी गुण या लक्षण की मात्रात्मक संख्या में अभिव्यक्ति होती है; आकलन वह क्रमिक प्रक्रिया है जिसमें जानकारियाँ एकत्र की जाती हैं; और मूल्यांकन वह निर्णायक प्रक्रिया है जिसमें प्राप्त जानकारी का तर्कसंगत विश्लेषण कर निर्णय निर्माण किया जाता है।

1. मापन (Measurement)
2. आकलन (Assessment)
3. मूल्यांकन (Evaluation)

इन तीनों के बीच अंतर (स्पष्ट तुलनात्मक बिंदु

प्रकृति: मापन मात्रात्मक है; आकलन विस्तृत और प्रक्रियात्मक; मूल्यांकन निर्णायक और नीतिगत।
उद्देश्य: मापन सूचना देता है (कितना?); आकलन समझता है (क्यों/कैसे?); मूल्यांकन निर्णय लेता है (क्या करना चाहिए?)।
समय: मापन बिंदु पर हो सकता है; आकलन लगातार या अवधि-आधारित; मूल्यांकन अक्सर आकलन समापन के बाद होता है।
परिणाम: मापन अंक/मान; आकलन रिपोर्ट/प्रतिक्रिया; मूल्यांकन नीतिगत निर्णय/ग्रेड/फैसले।

आकलन-नियोग (Techniques) और उपकरण

लिखित परीक्षा: स्पष्ट, मानकीकृत मापन देता है पर अक्सर रचनात्मकता का पूरा मूल्यांकन नहीं कर पाता।
प्रोजेक्ट व असाइनमेंट: वास्तविक जीवन के कौशल और शोध क्षमता पर आकलन।
प्रेज़ेंटेशन व वर्वल टेस्ट: संप्रेषण कौशल और आत्मविश्वास का आकलन।
ऑब्ज़र्वेशन व पोर्टफोलियो: दीर्घकालिक विकास और नॉन-टेस्टेबल स्किल्स की जानकारी।

रुब्रिक (Rubrics): मूल्यांकन को पारदर्शी और मानक बनाने के लिए उपयोगी; गुणात्मक आंकलन को संरचित बनाते हैं।

मापन (Measurement),आकलन (Assessment), मूल्यांकन (Evaluation) के व्यवहारिक उदाहरण


मान लीजिए एक कक्षा का गणित का अध्याय समाप्त हुआ — शिक्षक ने:
1. मापन: छात्रों को 20-अंक का टेस्ट दिया — यह मात्रात्मक स्कोर निकालेगा।
2. आकलन: शिक्षक टेस्ट के साथ क्लास-वर्क, होमवर्क और समवर्ती गतिविधियों का अवलोकन कर यह समझेगा कि कौन-सा छात्र किन कॉन्सेप्ट्स में कमजोर है।
3. मूल्यांकन: इन सब आंकड़ों के आधार पर तय करेगा कि आगे किसे remedial classes चाहिए, क्या पाठ्यक्रम में कोई कठिनाई थी, और छात्रों को ग्रेड या प्रमोशन दिया जाएगा या नहीं।


1.आकलन (Assessment) की अवधारणा 


आकलन व्यापक और बहुआयामी प्रक्रिया है — यह न केवल अंक इकट्ठा करने तक सीमित है बल्कि सीखने की प्रक्रिया, क्षमता, कौशल और समझ का भी पता लगाता है। आकलन के प्रकार:

निरन्तर आकलन (Formative Assessment): पढ़ाई के दौरान होता है — छोटे-छोटे टेस्ट, होमवर्क, कक्षा गतिविधियाँ — ताकि शिक्षण में सुधार हो सके।

समाप्ति आकलन (Summative Assessment): किसी इकाई/कोर्स के अंत में निष्कर्ष निकालने के लिए — जैसे सेमेस्टर परीक्षा, बोर्ड परीक्षा।

रूपक या निदानात्मक आकलन (Diagnostic Assessment): 

शुरुआती स्तर पर छात्र की पूर्व-ज्ञान और कठिनाइयों का पता लगाने के लिए। इसके बाद सीखने वाले या जिसकी समस्याओं का निदान किया गया है उन समस्याओं का उपचार मतलब सुधार करने के बाद उपचारात्मक आंकलन किया जाता है। यह पता लगाने के बाद कि उस कमजोरी जिसका निदान करने के बाद उपचार किया गया वह सफल है कि नहीं है?

निरन्तर एवं समग्र (Continuous & Comprehensive): छात्र के शैक्षिक तथा सह-पाठ्य गतिविधियों दोनों का निरन्तर मूल्यांकन।

आकलन का उद्देश्य सीखने के परिणामों को समझना, कमजोरियों की पहचान, शिक्षण रणनीतियों को सुधरना और छात्रों को मार्गदर्शन देना होता है। प्रभावी आकलन में गुणात्मक (qualitative) और मात्रात्मक (quantitative) दोनों जानकारी एकत्र की जाती है।

आकलन मूल्यांकन का ही भाग होता है जिसका सामान्य अर्थ – सूचनाओं को एकत्रित करने की प्रक्रिया है।


हुवा व फ्रीड –

“आकलन सूचना संग्रहण तथा उस पर विचार-विमर्श की प्रक्रिया है जिसके विभिन्न माध्यम से यह जान सकते हैं कि बालक क्या जानता है, समझता है।”

इरविन

“आकलन छात्रों के अधिगम व विकास के व्यवस्थित आधार का मूल्यांकन है। यह किसी भी वस्तु या परिस्थिति का चयन, रचना, संग्रह, विश्लेषण, व्याख्या व सूचनाओं का उपयोग करके छात्र विकास व अधिगम को बढ़ाने की प्रक्रिया है।”


आकलन की आवश्यकता


1. विद्यार्थी के संदर्भ में –

रुचि को जानने, आवश्यकता को जानने,
योग्यानुसार पाठ्यक्रम चयन व वर्गीकरण करने में।


2. शिक्षक के संदर्भ में –

कठिनाई, त्रुटि, समस्या की पहचान,

शिक्षण विधि का चयन करने, कक्षा व्यवस्था में व शिक्षण सामग्री के विकास में/पाठ्यसहगामी क्रियाओं के आयोजन में।

आकलन का महत्व


1. शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावी बनाने में।
2. शिक्षक–छात्र स्व-मूल्यांकन में।
3. छात्र प्रगति को जानने में।
4. पुष्टिकरण प्रदान करने में।

आकलन के प्रकार


1. स्वयं आकलन (Self Assessment) –
छात्र कक्षा अध्ययन के माध्यम से स्वयं के कार्य का मूल्यांकन करते हैं।
2. सहपाठी/समूह आकलन (Peer Assessment) –
सहपाठी के अधिगम का मूल्यांकन व पुष्टिकरण।
3. ट्यूटर आकलन (Tutor Assessment) –
अध्यापक के द्वारा होने वाला मूल्यांकन।
आकलन रचनात्मक व वर्णात्मक दोनों रूपों में हो सकता है।

1. अधिगम के रूप में आकलन (Assessment as Learning) (अधिगम की तरह आकलन)


यह छात्रों के द्वारा सीखने की प्रक्रिया के दौरान होता है।

अधिगम के रूप में आकलन का आशय है छात्र स्वामित्व तथा छात्र-छात्राओं की सोच को आगे बढ़ाने के लिए जिम्मेदारी का निर्वहन करना।
(स्वतंत्र व स्वयं मार्गदर्शित विद्यार्थी बनाने में मेटा कॉग्निशन कौशल विकास में बल)

अधिगम के रूप में आकलन में छात्र अधिगम प्रक्रिया के लिए लक्ष्य निर्धारण, प्रगति की समीक्षा व परिणामों का प्रतिबिंबन करता है।

स्वयं की शक्तियों की पहचान कराने के लिए उपयोगी।

2. अधिगम के लिए आकलन (Assessment for Learning) (अधिगम हेतु आकलन)


इस आकलन में दो चरण शामिल होते हैं —

निदानात्मक आकलन (कठिनाइयों का पता लगाना)

रचनात्मक आकलन (Formative) (बच्चों की सक्रिय भागीदारी)

अधिगम के लिए आकलन में पोर्टफोलियो, कार्य प्रगति पत्रक शिक्षक अवलोकन व वार्तालाप आधारित हो सकता है।

इसके अगले चरण के लिए अंक, कठिनाइयों की पहचान, क्षमता पर जोर व पुष्टिकरण पर जोर देना है।
‘गलतियों की जाँच कर/सुधार हेतु मार्ग दर्शन’

यह छात्रों को सही निर्देशन व समायोजन करवाने में शिक्षक की सहायता करता है।

इसमें कोई भी ग्रेड या अंक प्रदान नहीं किये जाते हैं। इसमें रिकार्ड व्याख्यात्मक/वर्णात्मक व एनोटेड के रूप में रखा जाता है।

3. अधिगम का आकलन (Assessment of Learning)


अधिगम का आकलन इकाई समाप्ति के अंत में होता है।

इसके द्वारा परिणाम प्रदर्शित किया जाता है (योगात्मक मूल्यांकन)।

छात्रों को उपलब्धि की सूचना दी जाती है।

ऐसे परिणाम की सूचना माता-पिता, अभिभावक, छात्र को सूचित किया जाता है।


मापन (measurement) की अवधारणा 


मापन का अर्थ है किसी गुण को संख्या या मात्रात्मक माप में बदलना। उदाहरण: किसी छात्र का अंक 85/100, किसी वस्तु की लंबाई 2 मीटर, किसी परीक्षा में कटऑफ 60% — ये सभी मापन के परिणाम हैं। मापन के कुछ मुख्य पहलू:

मापक मात्रक (Scale): निरंतर (continuous) या अविरत (discrete), जैसे अंक, सेंटीमीटर, प्रतिशत।

माप की विश्वसनीयता (Reliability): क्या माप लगातार समान परिस्थितियों में समान परिणाम दे रहा है?

माप की मान्यता (Validity): क्या जो मापा जा रहा है, वह वास्तविकता में वही गुण दर्शाता है जिसे मापने का लक्ष्य था?


मापन एक प्रविधि/क्रिया है। इसमें जिसका मापन किया जाता है, उस पर कोई मूल्य नहीं रखा जाता है।

मापन के अंतर्गत विभिन्न निरीक्षण वस्तुओं एवं घटनाओं का अंकात्मक रूप में वर्णन किया जाता है।

मापन के बिना वैज्ञानिक प्रगति संभव नहीं है।

मापन शब्द का प्रयोग सामान्यतः विद्यार्थियों के अंकिय प्रदर्शन से होता है।

दूसरे शब्दों में किसी वस्तु/व्यक्ति के गुणों तथा विशेषताओं को परिणामात्मक रूप में प्रकट करना ही मापन कहलाता है।

इस प्रकार मूल्यांकन का वह भाग है जो प्रतिशत मात्रा, अंकों, माध्य मान व औसत आदि के द्वारा किया जाता है।

मापन किसी वस्तु को मात्रा के रूप में प्रकट करने की प्रक्रिया है।

इस प्रकार किसी वस्तु का परिणामात्मक वर्णन करना ही मापन कहलाता है।

परिभाषाएँ

ई. ए. मील — “मापन का उद्देश्य व्यक्ति को एक संतुलित व्यक्तित्व प्रदान करना है ताकि वह समाज द्वारा प्रदत्त उत्तरदायित्वों को बखूबी निभा सके।”

थार्नडाइक — “जो कुछ भी अस्तित्व में है, उसका अस्तित्व किसी न किसी मात्रा में होता है और उसका मापन किया जा सकता है।”

मोरोडॉक — “मापन के द्वारा किसी तथ्य के विविध आयामों की प्रतीति प्रदान करना ही मापन कहलाता है।”

मापन क्या है?


स्टेवेन्स के अनुसार –
“निश्चित स्वीकृत नियमों के अनुसार वस्तुओं को अंक प्रदान करने की प्रक्रिया मापन कहलाती है।”

मापन के कार्य –


1. वस्तु को संख्या प्रदान करना।
2. घटना को संख्या प्रदान करना।
3. नियमानुसार संख्या प्रदान करना।

मापनी के प्रकार –


1. शाब्दिक स्तर मापनी
निम्न स्तर वस्तुओं को गुण व विशेषताओं के आधार पर अलग समूह में रख देना।
2. क्रमिक स्तर मापनी
वस्तुओं को उच्चतम से निम्नतम के क्रम में रख देना।
3. अंतराल मापनी –
वस्तुओं के मध्य की दूरी को अंकों के माध्यम से रख देना।
4. अनुपात मापनी
सर्वोच्च स्तर जैसे – मीटर, मिलीमीटर, किलोमीटर।

मापन के कार्य (Functions of Measurement)

(1) साफल्य – छात्रों के वर्गीकरण, चयन, प्रगति के लिए। (Success - For classification, selection, and progress of students.)
(2) निदान – कमजोरियाँ ज्ञान करके शिक्षण की व्यवस्था। (Diagnosis - Arranging teaching by knowing weaknesses.)
(3) शोध – शोध कार्यों में योगदान। (Research - Contribution to research work.)


मूल्यांकन (Evaluation) की अवधारणा प्रकार एवं प्रविधियां 



मूल्यांकन का अर्थ (Meaning of Evaluation)

मूल्यांकन एक विस्तृत एवं निरन्तर चलने वाली वह प्रक्रिया है जहाँ किसी मापन की उपयोगिता के सम्बन्ध में निर्णय या मूल्य प्रदान किया जाता है। उदाहरणार्थ - किसी अमुक बुद्धि परीक्षण पर बालक द्वारा 70 बुद्धि लब्धि बालक को मन्द बुद्धि बालक की श्रेणी में रखना मूल्यांकन होगा।

मूल्यांकन आकलन व मापन के आंकड़ों पर आधारित निर्णय लेने की क्रिया है। यह निर्णायक और समेकित होता है — उदाहरण: किसी पाठ्यक्रम को सफल माना जाए या न माना जाए, किसी कार्यक्रम को जारी रखा जाए या संशोधित, किसी छात्र को उत्तीर्ण/अनुत्तीर्ण घोषित करना। मूल्यांकन के मुख्य गुण:
Evaluation is a comprehensive and continuous process where a decision or value is assigned regarding the usefulness of a measurement. For example, classifying a child with an Intelligence Quotient of 70 on a specific intelligence test into the category of a mentally challenged child would be evaluation.

मानदंड-आधारित मूल्यांकन (Criterion-referenced Evaluation): पूर्वनिर्धारित मानकों के विरुद्ध जाँच।

सामूहिक तुलनात्मक मूल्यांकन (Norm-referenced Evaluation): समूहीय रैंकिंग और तुलनाएँ।

निति-निर्माण में उपयोगिता: मूल्यांकन से विद्यालय या संस्थान के पाठ्यक्रम/नीतियों में परिवर्तन और संसाधन आवंटन के निर्णय बनते हैं।

मूल्यांकन प्रक्रिया (Evaluation Process)

 
व्यक्ति की उपलब्धि का मात्रात्मक वर्णन + व्यक्ति की योग्यताओं का गुणात्मक वर्णन = व्यक्ति की उपलब्धि एवं योग्यताओं का मूल्य निर्धारण।

मूल्यांकन की परिभाषाएं (Definition of Evaluation)

 
रेमर्स एवं गेज के शब्दों में – "मूल्यांकन के अन्तर्गत व्यक्ति या समाज दोनों की दृष्टि से जो उत्तम एवं वांछनीय होता है, उसका ही प्रयोग किया जाता है।"

कोठारी आयोग – "मूल्यांकन एक सतत् प्रक्रिया है। जो शिक्षा का अभिन्न अंग है तथा शिक्षण उद्देश्यों के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध है।"

 बी. एस. ब्लूम – "मूल्यांकन योग्यता नियंत्रण की व्यवस्था है, जिसमें शिक्षण एवं अधिगम प्रक्रिया की प्रभावशीलता की जाँच की जाती है।"

डाँडेकर के अनुसार – "शैक्षिक उद्देश्यों को बालक द्वारा किस सीमा तक प्राप्त किया गया है, यह जानने की व्यवस्थित प्रक्रिया को ही मूल्यांकन की संज्ञा दी जाती है।"

 वेस्ले – "मूल्यांकन एक समाविष्ट धारणा है, जो इच्छित परिणामों के गुण, महत्त्व, प्रभावशीलता का निर्णय लेने के लिए सभी प्रकार के साधनों की ओर संकेत करता है।"
 
मोफात – "मूल्यांकन निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है जो विद्यार्थियों की औपचारिक, शैक्षणिक उपलब्धियों की उपेक्षा करती है।"
 
क्लार एवं स्टार – "मूल्यांकन वह निर्णय या विश्लेषण है जो विद्यार्थियों के कार्यों से प्राप्त सूचनाओं से निकाला जाता है।"

राइस स्टोन – "मूल्यांकन वह नवीन प्राविधिक पद है जो मापन के व्यापक प्रत्यय को प्रस्तुत करता है।"

रेमर्स एवं गेज – "मूल्यांकन के अन्दर व्यक्ति/समाज दोनों ही दृष्टि से जो उत्तम/वांछनीय है, उसको मानक चला जाता है।"


शैक्षिक मूल्यांकन प्रक्रिया 


शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान का प्रसार करना नहीं है, बल्कि विद्यार्थियों में समग्र विकास — बौद्धिक, सामाजिक, भावनात्मक एवं नैतिक — सुनिश्चित करना भी है। इसी समग्र विकास का आकलन शैक्षिक मूल्यांकन प्रक्रिया (Educational Evaluation Process) के माध्यम से किया जाता है। मूल्यांकन शिक्षा की आत्मा है, क्योंकि यह यह दर्शाता है कि शिक्षण-सीखने की प्रक्रिया अपने उद्देश्य को कितना पूरा कर पा रही है।

मूल्यांकन” शब्द का अर्थ हैकिसी वस्तु, क्रिया या व्यक्ति के मूल्य का निर्धारण करना।
शैक्षिक दृष्टि से मूल्यांकन का आशय विद्यार्थियों की अधिगम उपलब्धियों, कौशलों, दृष्टिकोणों और व्यवहारिक परिवर्तनों को मापने की प्रक्रिया से है।
यह प्रक्रिया शिक्षक को यह समझने में सहायता करती है कि

विद्यार्थी ने क्या सीखा,
किस हद तक सीखा,
और किन क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है।



शैक्षिक मूल्यांकन की आवश्यकता


1. विद्यार्थियों की प्रगति जानने के लिए।
2. शिक्षण विधियों की प्रभावशीलता का पता लगाने के लिए।
3. शिक्षण उद्देश्यों की पूर्ति का आकलन करने के लिए।
4. विद्यार्थियों की कठिनाइयों को पहचानने और सुधारने के लिए।
5. अभिभावकों व विद्यालय को विद्यार्थी की शैक्षणिक स्थिति से अवगत कराने के लिए।


शैक्षिक मूल्यांकन की प्रमुख प्रक्रियाएँ


1. निदानात्मक मूल्यांकन (Diagnostic Evaluation)

यह शिक्षण प्रक्रिया के आरंभ में किया जाता है। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों की कठिनाइयों व कमजोरियों का पता लगाना होता है।
उदाहरण: किसी विषय के नए अध्याय से पहले छात्रों का छोटा टेस्ट लेकर उनकी पूर्व जानकारी का आकलन करना।


2. रचनात्मक मूल्यांकन (Formative Evaluation)

यह शिक्षण के दौरान निरंतर किया जाता है। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों की प्रगति पर नज़र रखना और आवश्यक सुधार कराना होता है।
इसमें कक्षा में पूछे गए प्रश्न, गृहकार्य, प्रोजेक्ट, मौखिक परीक्षा आदि शामिल हैं।
यह प्रक्रिया शिक्षण-सीखने को अधिक प्रभावी बनाती है।


3. योगात्मक या संक्षिप्त मूल्यांकन (Summative Evaluation)

यह किसी इकाई, सत्र या वर्ष के अंत में किया जाता है।
इसका उद्देश्य विद्यार्थियों की अंतिम उपलब्धियों को मापना और ग्रेड या अंक प्रदान करना होता है।
जैसे – वार्षिक परीक्षा, सेमेस्टर परीक्षा, बोर्ड परीक्षा आदि।


4. स्व-मूल्यांकन (Self Assessment)

इसमें विद्यार्थी स्वयं अपने कार्य का मूल्यांकन करते हैं।
इससे उनमें आत्मचिंतन, आत्मनियंत्रण और जिम्मेदारी की भावना विकसित होती है।

5. सहपाठी मूल्यांकन (Peer Assessment)

इस प्रक्रिया में विद्यार्थी एक-दूसरे के कार्य का मूल्यांकन करते हैं।
यह विद्यार्थियों के बीच सहयोग, निष्पक्षता और परस्पर सीखने की भावना को बढ़ाता है।

6. ट्यूटर मूल्यांकन (Tutor Assessment)

यह शिक्षक द्वारा किया गया मूल्यांकन होता है, जिसमें शिक्षक विद्यार्थियों की प्रगति, प्रदर्शन और सुधार की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करता है।

मूल्यांकन की प्रक्रिया के चरण


1. उद्देश्यों का निर्धारण:
सबसे पहले यह तय किया जाता है कि मूल्यांकन का उद्देश्य क्या है — ज्ञान की जाँच, कौशल का मापन, या दृष्टिकोण का मूल्यांकन।


2. माप उपकरणों का चयन:
प्रश्नपत्र, प्रोजेक्ट, मौखिक परीक्षा, पोर्टफोलियो, निरीक्षण पत्रक आदि उपकरण चुने जाते हैं।


3. मापन (Measurement):
विद्यार्थियों को अंक या ग्रेड प्रदान किए जाते हैं।


4. विश्लेषण (Analysis):
प्राप्त अंकों का विश्लेषण कर यह पता लगाया जाता है कि विद्यार्थियों ने कहाँ अच्छा प्रदर्शन किया और कहाँ नहीं।


5. व्याख्या एवं निष्कर्ष (Interpretation & Conclusion):
प्राप्त परिणामों के आधार पर सुधारात्मक कदम तय किए जाते हैं।


6. प्रतिक्रिया (Feedback):
विद्यार्थियों और अभिभावकों को परिणामों से अवगत कराया जाता है ताकि आगे की योजना बनाई जा सके।


शैक्षिक मूल्यांकन के लाभ


1. विद्यार्थी की क्षमता और कमी दोनों का पता चलता है।
2. शिक्षक को अपनी शिक्षण विधि में सुधार करने का अवसर मिलता है।
3. विद्यार्थियों में प्रतिस्पर्धा व प्रेरणा बढ़ती है।
4. शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
5. विद्यालय के स्तर पर योजनाएँ अधिक प्रभावी बनती हैं।

शैक्षिक मूल्यांकन के आधुनिक उपकरण


•डिजिटल क्विज़ और ऑनलाइन टेस्ट
•प्रोजेक्ट-आधारित मूल्यांकन
•पोर्टफोलियो मूल्यांकन
•निरंतर एवं समग्र मूल्यांकन (CCE)
•गतिविधि-आधारित परीक्षण
•अभिक्षमता (Aptitude) और दृष्टिकोण (Attitude) टेस्ट



मूल्यांकन की आवश्यकता


1. विद्यार्थियों की अधिगम स्थिति को समझने के लिए।
2. शिक्षण प्रक्रिया को सुधारने के लिए।
3. शिक्षण उद्देश्यों की पूर्ति का आकलन करने के लिए।
4. विद्यार्थियों में आत्ममूल्यांकन की भावना उत्पन्न करने के लिए।
5. अभिभावकों को विद्यार्थियों की प्रगति से अवगत कराने के लिए।


शैक्षिक मूल्यांकन की प्रमुख विधियाँ (Methods of Educational Evaluation)


शैक्षिक मूल्यांकन की विधियाँ मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं।

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1. पारंपरिक (Traditional) या लिखित परीक्षा आधारित विधियाँ


यह वे विधियाँ हैं जिनका प्रयोग लंबे समय से विद्यालयों में होता आ रहा है।

(क) लिखित परीक्षा (Written Test)


यह सबसे सामान्य विधि है।

इसमें विद्यार्थी प्रश्नों के उत्तर लिखकर देते हैं।

इसे दो प्रकारों में बाँटा गया है —

1. निबंधात्मक प्रश्न-पत्र (Essay Type Test):
इसमें विद्यार्थियों को अपने विचार विस्तार से लिखने होते हैं।
जैसे: “भारत में शिक्षा सुधार पर अपने विचार लिखिए।”

2. लघु या वस्तुनिष्ठ प्रश्न-पत्र (Objective Type Test):
इसमें उत्तर चुनने या सही/गलत बताने होते हैं।
जैसे: बहुविकल्पीय प्रश्न, रिक्त स्थान भरना आदि।


(ख) मौखिक परीक्षा (Oral Test)


इसमें शिक्षक छात्रों से मौखिक प्रश्न पूछता है।

इससे छात्रों की त्वरित सोच, अभिव्यक्ति और आत्मविश्वास का मूल्यांकन होता है।

(ग) प्रायोगिक परीक्षा (Practical Test)


यह विज्ञान, कंप्यूटर या तकनीकी विषयों के लिए उपयुक्त होती है।
इससे छात्रों की प्रयोगात्मक क्षमता और कौशल का पता चलता है।


2. आधुनिक (Modern) या व्यवहारिक विधियाँ


नई शिक्षा नीति और निरंतर एवं समग्र मूल्यांकन (CCE) के तहत आधुनिक विधियाँ विकसित हुई हैं, जो विद्यार्थियों के समग्र विकास को ध्यान में रखती हैं।

(क) प्रेक्षण विधि (Observation Method)

शिक्षक विद्यार्थियों के व्यवहार, आदतों, समूह कार्य, सहयोग आदि का निरीक्षण करता है।

यह विधि विशेषकर प्राथमिक स्तर पर उपयोगी है।


(ख) साक्षात्कार विधि (Interview Method)

इसमें शिक्षक विद्यार्थी से व्यक्तिगत वार्तालाप के माध्यम से जानकारी प्राप्त करता है।

यह विद्यार्थियों की रुचि, दृष्टिकोण और कठिनाइयों को समझने में सहायक होती है।


(ग) प्रश्नावली विधि (Questionnaire Method)

विद्यार्थियों को प्रश्नों की सूची दी जाती है, जिनका उत्तर वे लिखित रूप में देते हैं।

इससे उनकी सोच, समझ और दृष्टिकोण का पता चलता है।


(घ) सर्वेक्षण विधि (Survey Method)

शिक्षा संबंधी किसी विशेष समस्या या विषय पर आंकड़े एकत्र कर विश्लेषण किया जाता है।

उदाहरण: “विद्यालय में छात्रों के तनाव के कारणों का सर्वेक्षण।”


(ङ) पोर्टफोलियो मूल्यांकन (Portfolio Assessment)

इसमें विद्यार्थियों के पूरे सत्र के कार्य — प्रोजेक्ट, असाइनमेंट, ड्राइंग, रिपोर्ट आदि — एक फाइल में संग्रहीत किए जाते हैं।

इससे विद्यार्थियों की लगातार प्रगति का आकलन किया जा सकता है।


(च) रूब्रिक आधारित मूल्यांकन (Rubric Based Assessment)

इसमें मूल्यांकन के लिए पूर्वनिर्धारित मानदंड तय किए जाते हैं।

प्रत्येक मानदंड को अंक या ग्रेड दिए जाते हैं।

इससे निष्पक्ष और पारदर्शी मूल्यांकन संभव होता है।


(छ) प्रोजेक्ट आधारित मूल्यांकन (Project-Based Assessment)

विद्यार्थी किसी विषय पर शोध या व्यावहारिक कार्य करते हैं।

इससे उनमें अनुसंधान, सृजनशीलता और समस्या-समाधान क्षमता विकसित होती है।

शैक्षिक मूल्यांकन की प्रविधियाँ (Techniques of Educational Evaluation)


1. मात्रात्मक प्रविधियाँ (Quantitative Techniques)

इनमें आंकड़ों, अंकों और सांख्यिकीय मापदंडों का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण:

अंकों का औसत (Mean)

प्रतिशत (Percentage)

ग्रेडिंग प्रणाली

टेस्ट स्कोर और रिपोर्ट कार्ड


2. गुणात्मक प्रविधियाँ (Qualitative Techniques)

इनमें विद्यार्थियों के व्यवहार, दृष्टिकोण और भावनात्मक विकास का आकलन किया जाता है।
उदाहरण:

प्रेक्षण पत्रक

डायरी/जर्नल

समूह कार्य विश्लेषण

साक्षात्कार

 शैक्षिक मूल्यांकन की नवीन अवधारणाएँ


1. निरंतर एवं समग्र मूल्यांकन (CCE):
यह विद्यार्थियों की निरंतर प्रगति और व्यवहारिक विकास दोनों को मापता है।
2. आधारभूत अधिगम मूल्यांकन (Assessment for Learning):
यह सीखने की प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है।
3. अधिगम का मूल्यांकन (Assessment of Learning):
यह परिणाम मापन के लिए किया जाता है।
4. अधिगम के रूप में मूल्यांकन (Assessment as Learning):
इसमें विद्यार्थी स्वयं अपनी सीखने की प्रक्रिया का मूल्यांकन करते हैं।

शैक्षिक मूल्यांकन के लाभ


1. विद्यार्थी की कमजोरियों और क्षमताओं की पहचान होती है।
2. शिक्षक अपनी शिक्षण विधि में सुधार कर सकता है।
3. विद्यार्थी में आत्मविश्वास और प्रतिस्पर्धा की भावना आती है।
4. शिक्षा अधिक उद्देश्यपूर्ण और परिणाममूलक बनती है।
5. समाज को सक्षम, उत्तरदायी और दक्ष नागरिक मिलते हैं।


मूल्यांकन के प्रकार — गुणात्मक और परिमाणात्मक
 Types of Evaluation: Qualitative and Quantitative


मूल्यांकन के प्रकार

Evaluation-type-kind
Evaluation Types



मूल्यांकन को उसकी प्रकृति और उद्देश्य के आधार पर दो प्रमुख श्रेणियों में बाँटा गया है —

1. गुणात्मक मूल्यांकन (Qualitative Evaluation)
2. परिमाणात्मक मूल्यांकन (Quantitative Evaluation)

दोनों का उद्देश्य सीखने को मापना होता है, परंतु उनकी विधियाँ, उपकरण और दृष्टिकोण भिन्न होते हैं।

गुणात्मक मूल्यांकन (Qualitative Evaluation)


गुणात्मक मूल्यांकन में व्यक्ति के व्यवहार, दृष्टिकोण, कौशल, भावनाओं और सामाजिक गुणों का विश्लेषण किया जाता है। यह संख्या या अंकों से अधिक, गुण और व्यवहार पर आधारित होता है।
उदाहरण — किसी छात्र का आत्मविश्वास, संप्रेषण कौशल, नेतृत्व क्षमता, टीमवर्क, सृजनशीलता आदि का मूल्यांकन।

मुख्य विशेषताएँ

यह वर्णनात्मक (Descriptive) होता है, न कि अंकन-आधारित।

इसमें निरीक्षण (Observation), साक्षात्कार (Interview), प्रश्नावली (Questionnaire), प्रोजेक्ट, डायरी, पोर्टफोलियो आदि का प्रयोग किया जाता है।

यह व्यक्तित्व, दृष्टिकोण और भावनात्मक पहलुओं पर केंद्रित होता है।

मूल्यांकन का परिणाम शब्दों या टिप्पणियों के रूप में व्यक्त किया जाता है, जैसे — “अच्छा प्रदर्शन”, “सुधार की आवश्यकता”, “सृजनशीलता उच्च स्तर की है” आदि।


उद्देश्य

विद्यार्थी की सम्पूर्ण प्रगति का आकलन।
व्यवहारिक, सामाजिक व नैतिक गुणों का अध्ययन।
शिक्षा को मानवीय और संवेदनशील बनाना।
रचनात्मक व भावनात्मक पहलुओं की पहचान।

उदाहरण:कक्षा में शिक्षक किसी छात्र के समूह में सहयोग करने की प्रवृत्ति, दूसरों की मदद करने के स्वभाव, या प्रश्न पूछने की जिज्ञासा का मूल्यांकन करता है — यह गुणात्मक मूल्यांकन है।

परिमाणात्मक मूल्यांकन (Quantitative Evaluation)


परिभाषा:परिमाणात्मक मूल्यांकन में विद्यार्थियों की उपलब्धियों या क्षमताओं को संख्यात्मक रूप में मापा जाता है। इसमें परिणाम प्रतिशत, अंक, ग्रेड या स्कोर के रूप में दिए जाते हैं।
उदाहरण — परीक्षा में 80% अंक प्राप्त करना, गणित के टेस्ट में 15 में से 13 प्रश्न सही करना आदि।

मुख्य विशेषताएँ

यह मात्रात्मक (Numerical) और वस्तुनिष्ठ (Objective) होता है।
परिणाम अंकों या प्रतिशत के रूप में व्यक्त किए जाते हैं।
इसमें टेस्ट, क्विज़, अंकन, स्केल, और सांख्यिकीय विधियाँ प्रयोग में आती हैं।
तुलना, रैंकिंग और ग्रेड निर्धारण में सहायक।


उद्देश्य

विद्यार्थी की बौद्धिक क्षमता का मापन।

प्रदर्शन को सांख्यिकीय रूप से दर्शाना।

निष्पक्षता और तुलना को सरल बनाना।

परीक्षा प्रणाली में मानकीकरण लाना।


उदाहरण:कक्षा में हुई गणित परीक्षा में छात्र को 100 में से 92 अंक मिलना — यह परिमाणात्मक मूल्यांकन का उदाहरण है।


दोनों का संयुक्त प्रयोग (Comprehensive Evaluation)

शिक्षा में केवल एक प्रकार का मूल्यांकन पर्याप्त नहीं है।
परिमाणात्मक मूल्यांकन यह बताता है कि छात्र कितना सीखा,
जबकि गुणात्मक मूल्यांकन यह दर्शाता है कि वह कैसे सीखता है और किस रूप में उसका व्यक्तित्व विकसित हो रहा है।
इसीलिए नई शिक्षा नीति (NEP 2020) और “निरंतर एवं समग्र मूल्यांकन (CCE)” प्रणाली दोनों को मिलाकर समग्र मूल्यांकन (Comprehensive Evaluation) को प्रोत्साहित करती हैं।





मूल्यांकन मापन और आकलन पर परीक्षापयोगी 70 प्रश्नोत्तर 


1. प्रश्न: आकलन (Assessment) क्या है?
उत्तर: आकलन सूचना संग्रहण तथा उस पर विचार-विमर्श की प्रक्रिया है जिससे पता चलता है कि छात्र क्या जानता और समझता है।


2. प्रश्न: आकलन किसका भाग है?
उत्तर: आकलन, मूल्यांकन का ही भाग है।


3. प्रश्न: आकलन का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: छात्र के ज्ञान, समझ और कौशल की जानकारी एकत्र करना।


4. प्रश्न: “आकलन सूचना संग्रहण तथा उस पर विचार-विमर्श की प्रक्रिया है” — यह परिभाषा किसने दी?
उत्तर: हुवा और फ्रीड (Huwa & Freed) ने।


5. प्रश्न: “आकलन छात्रों के अधिगम व विकास के व्यवस्थित आधार का मूल्यांकन है” — यह किसने कहा?
उत्तर: इरविन (Irwin) ने।


6. प्रश्न: आकलन की आवश्यकता कितने स्तरों पर होती है?
उत्तर: दो — विद्यार्थी के संदर्भ में और शिक्षक के संदर्भ में।


7. प्रश्न: विद्यार्थी के संदर्भ में आकलन क्यों आवश्यक है?
उत्तर: रुचि, आवश्यकता और योग्यता के अनुसार पाठ्यक्रम चयन हेतु।


8. प्रश्न: शिक्षक के संदर्भ में आकलन का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: शिक्षण विधि चयन, कठिनाइयों की पहचान, कक्षा व्यवस्था आदि।


9. प्रश्न: आकलन का मुख्य महत्व क्या है?
उत्तर: शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावी बनाना और छात्र प्रगति को जानना।


10. प्रश्न: आकलन कितने प्रकार का होता है?
उत्तर: तीन प्रकार का — स्वयं आकलन, सहपाठी आकलन, ट्यूटर आकलन।


11. प्रश्न: स्वयं आकलन (Self Assessment) क्या है?
उत्तर: जब छात्र स्वयं अपने कार्य का मूल्यांकन करता है।


12. प्रश्न: सहपाठी आकलन (Peer Assessment) क्या है?
उत्तर: जब विद्यार्थी अपने साथियों के कार्य का मूल्यांकन करते हैं।


13. प्रश्न: ट्यूटर आकलन (Tutor Assessment) क्या है?
उत्तर: शिक्षक द्वारा किया गया मूल्यांकन।


14. प्रश्न: अधिगम के रूप में आकलन (Assessment as Learning) कब किया जाता है?
उत्तर: सीखने की प्रक्रिया के दौरान।


15. प्रश्न: अधिगम हेतु आकलन (Assessment for Learning) का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: छात्रों की कठिनाइयों की पहचान और सुधार करना।


16. प्रश्न: अधिगम का आकलन (Assessment of Learning) कब किया जाता है?
उत्तर: किसी इकाई या सत्र के अंत में।


17. प्रश्न: अधिगम के रूप में आकलन किस पर बल देता है?
उत्तर: आत्म-चिंतन और स्वयं मार्गदर्शन पर।


18. प्रश्न: अधिगम हेतु आकलन में कौनसे दो चरण होते हैं?
उत्तर: निदानात्मक आकलन और रचनात्मक आकलन।


19. प्रश्न: अधिगम का आकलन किस प्रकार का होता है?
उत्तर: योगात्मक (Summative)।


20. प्रश्न: ‘Assessment for Learning’ में क्या प्रदान नहीं किया जाता?
उत्तर: ग्रेड या अंक।

21. प्रश्न: मापन क्या है?
उत्तर: किसी वस्तु या व्यक्ति के गुणों को मात्रा के रूप में व्यक्त करने की प्रक्रिया।


22. प्रश्न: मापन में क्या शामिल नहीं होता?
उत्तर: मूल्य निर्णय (Value Judgment)।


23. प्रश्न: “जो कुछ भी अस्तित्व में है, उसका मापन किया जा सकता है” — यह किसने कहा?
उत्तर: थार्नडाइक (Thorndike) ने।


24. प्रश्न: “मापन के द्वारा किसी तथ्य के विविध आयामों की प्रतीति प्रदान करना” — यह किसकी परिभाषा है?
उत्तर: मोरोडॉक (Morodock) की।


25. प्रश्न: मापन का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: व्यक्ति के प्रदर्शन को अंकात्मक रूप में व्यक्त करना।


26. प्रश्न: स्टेवेन्स के अनुसार मापन की परिभाषा क्या है?
उत्तर: “निश्चित स्वीकृत नियमों के अनुसार वस्तुओं को अंक प्रदान करने की प्रक्रिया।”


27. प्रश्न: मापन के कार्य कितने हैं?
उत्तर: तीन — सफलता (Success), निदान (Diagnosis), शोध (Research)।


28. प्रश्न: मापन के कितने स्तर होते हैं?
उत्तर: चार — नाममात्र, क्रमिक, अंतराल, अनुपात।


29. प्रश्न: अंतराल मापनी क्या बताती है?
उत्तर: वस्तुओं के बीच की दूरी को।


30. प्रश्न: अनुपात मापनी का उदाहरण क्या है?
उत्तर: मीटर, किलोमीटर, मिलीमीटर आदि।

31. प्रश्न: मूल्यांकन का अर्थ क्या है?
उत्तर: मापन के आधार पर निर्णय या मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया।


32. प्रश्न: “मूल्यांकन एक सतत प्रक्रिया है” — किसने कहा?
उत्तर: कोठारी आयोग ने।


33. प्रश्न: बी.एस. ब्लूम के अनुसार मूल्यांकन क्या है?
उत्तर: योग्यता नियंत्रण की व्यवस्था जिसमें शिक्षण-अधिगम की प्रभावशीलता जांची जाती है।


34. प्रश्न: “मूल्यांकन शिक्षण का अभिन्न अंग है” — यह किसने कहा?
उत्तर: कोठारी आयोग ने।


35. प्रश्न: “Evaluation is a continuous and comprehensive process” — यह किसका विचार है?
उत्तर: वेस्ले (Wesley)।


36. प्रश्न: मूल्यांकन के दो प्रमुख घटक क्या हैं?
उत्तर: मापन (Measurement) और निर्णय (Judgment)।


37. प्रश्न: मूल्यांकन के प्रकार कितने हैं?
उत्तर: तीन — निदानात्मक, रचनात्मक, योगात्मक।


38. प्रश्न: निदानात्मक मूल्यांकन कब किया जाता है?
उत्तर: शिक्षण आरंभ होने से पहले।


39. प्रश्न: रचनात्मक मूल्यांकन (Formative Evaluation) का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: शिक्षण के दौरान सुधार लाना।


40. प्रश्न: योगात्मक मूल्यांकन कब किया जाता है?
उत्तर: सत्र या इकाई के अंत में।

41. प्रश्न: शैक्षिक मूल्यांकन की प्रविधियाँ कितनी होती हैं?
उत्तर: दो — मात्रात्मक और गुणात्मक।


42. प्रश्न: मात्रात्मक प्रविधि में क्या शामिल होता है?
उत्तर: अंक, प्रतिशत, औसत, ग्रेडिंग आदि।


43. प्रश्न: गुणात्मक प्रविधि किस पर आधारित होती है?
उत्तर: निरीक्षण, साक्षात्कार, व्यवहार विश्लेषण।


44. प्रश्न: रूब्रिक आधारित मूल्यांकन क्या है?
उत्तर: पूर्वनिर्धारित मानदंडों पर आधारित मूल्यांकन।


45. प्रश्न: पोर्टफोलियो मूल्यांकन क्या दर्शाता है?
उत्तर: विद्यार्थी की निरंतर प्रगति।


46. प्रश्न: प्रेक्षण विधि का उपयोग कहाँ अधिक होता है?
उत्तर: प्राथमिक स्तर पर।


47. प्रश्न: साक्षात्कार विधि का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: विद्यार्थियों की रुचि और दृष्टिकोण समझना।


48. प्रश्न: प्रश्नावली विधि में क्या किया जाता है?
उत्तर: प्रश्नों के उत्तर लिखित रूप में लिए जाते हैं।


49. प्रश्न: सर्वेक्षण विधि किसके लिए उपयुक्त है?
उत्तर: शिक्षा संबंधी समस्याओं के आंकड़े एकत्र करने के लिए।


50. प्रश्न: प्रोजेक्ट आधारित मूल्यांकन में क्या विकसित होता है?
उत्तर: सृजनशीलता और समस्या समाधान क्षमता।

51. प्रश्न: CCE का पूर्ण रूप क्या है?
उत्तर: Continuous and Comprehensive Evaluation।


52. प्रश्न: CCE का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: विद्यार्थियों के समग्र विकास का मूल्यांकन।


53. प्रश्न: “Assessment for Learning” किस पर केंद्रित है?
उत्तर: सीखने की प्रक्रिया सुधारने पर।


54. प्रश्न: “Assessment of Learning” क्या करता है?
उत्तर: अंतिम परिणाम को मापता है।


55. प्रश्न: “Assessment as Learning” किसे बढ़ावा देता है?
उत्तर: आत्म-चिंतन और स्व-निर्देशन।


56. प्रश्न: मूल्यांकन प्रक्रिया के कितने चरण हैं?
उत्तर: छह — उद्देश्य निर्धारण, उपकरण चयन, मापन, विश्लेषण, निष्कर्ष, प्रतिक्रिया।


57. प्रश्न: मापन और मूल्यांकन में क्या अंतर है?
उत्तर: मापन केवल मात्रा बताता है, मूल्यांकन मूल्य भी निर्धारित करता है।


58. प्रश्न: “Evaluation includes Measurement” — इसका अर्थ?
उत्तर: मूल्यांकन में मापन एक घटक होता है।


59. प्रश्न: कौनसी प्रक्रिया निरंतर और समग्र होती है?
उत्तर: मूल्यांकन (Evaluation)।


60. प्रश्न: आकलन का संबंध किससे है?
उत्तर: सूचना संग्रहण और विश्लेषण से।

61. प्रश्न: Evaluation शब्द किस भाषा से बना है?
उत्तर: अंग्रेज़ी शब्द “Value” से।


62. प्रश्न: मापन का परिणाम किस रूप में व्यक्त किया जाता है?
उत्तर: अंकों या संख्याओं के रूप में।


63. प्रश्न: मूल्यांकन का परिणाम किस रूप में होता है?
उत्तर: निर्णय या ग्रेड के रूप में।


64. प्रश्न: मापन की विश्वसनीयता क्या कहलाती है?
उत्तर: Reliability।


65. प्रश्न: मूल्यांकन की सत्यता क्या कहलाती है?
उत्तर: Validity।


66. प्रश्न: गुणात्मक तकनीक किस प्रकार की जानकारी देती है?
उत्तर: व्यवहारिक और भावनात्मक।


67. प्रश्न: “Measurement without Evaluation is blind” — इसका अर्थ?
उत्तर: मापन ,बिना मूल्यांकन के अधूरा है।


68. प्रश्न: “Evaluation without Measurement is empty” — इसका अर्थ?
उत्तर: मूल्यांकन बिना मापन के अर्थहीन (खाली) है।


69. प्रश्न: मापन का आधार क्या है?
उत्तर: संख्यात्मक डेटा।


70. प्रश्न: मूल्यांकन का आधार क्या है?
उत्तर: निर्णय और विवेचना।






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