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Thursday, January 14, 2021

Makar Sankranti भास्कर भानू की उत्तरायण गति से जुड़ा है मकर संक्रांति का पावन पर्व

Makar Sankranti
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भास्करस्य यथा तेजो मकरस्थस्य वर्धते।
तथैव भवतां तेजो वर्धतामिति कामये।।

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हिन्दुस्तान त्योंहारों का देश है यहां पर्व और त्योहारों की छटा निराली है। हर दिन किसी न किसी प्रकार के रंग बिरंगे त्यौहार मनाए जाते हैं कुछ त्यौहार धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मनाये जाते हैं तो कुछ त्योहार ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित है तो कुछ त्यौहार लोक कथाओं से संबंधित होते हैं। कुछ त्योहार ग्रह नक्षत्रों की गतियों पर आधारित है जिसकी मान्यताओं के अनुसार त्योहारों का भी विशेष महत्व होता है।
इसी प्रकार भारत में हिन्दू धर्म के साथ साथ अन्य धर्मों के लोग भी भारत में रहते हैं । उनके अपने त्योहार है जो बहुत ही धूमधाम से मनाए जाते हैं। इसलिए भारत में दीपावली, होली,अक्षय तृतीया,ओणम, रक्षाबंधन,ईद, लोहड़ी,करवा चौथ,आदि त्यौहार अपने आप में बहुत ही मनमोहक और निराले हैं। इसी कड़ी  में मकर संक्रांति के दिन  सूर्य भगवान  उत्‍तरायण की प्रक्रिया से गुजर कर  मकर राशि में प्रवेश करते हैं। सूर्य की इस संक्रांति को मकर संक्राति कहा जाता है। इसलिए हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति होती थी। कभी कभी यह दिन आगे पीछे भी होता है। इस प्रकार भास्कर भानू की स्थिति मकर रेखा से कर्क रेखा की ओर बढ़ने को उत्तरायण एवं कर्क रेखा से मकर रेखा को वापसी को दक्षिणायन कहते हैं। इसी मान्यता से जुड़े
प्रसिद्ध  त्यौहार मकर संक्रांति पर्व जो हिन्दू संस्कृति के रीति-रिवाजों अनुसार बहुत ही शानदार ढंग से मनाया जाता है। आइए जानते हैं Makar Sankranti (मकर संक्रांति) Festival के बारे में यह क्यों और कैसे मनाया जाता है?

विभिन्न नामों से जाना जाता है मकर संक्रांति पर्व


मकर संक्रांति को अलग-अलग प्रांतों में विभिन्न नामों से जाना जाता है। उत्तर भारत में जहां इसे मकर संक्रांति  (Makar Sankranti) अथवा खिसडी कहा जाता है। वहीं, असम में इस दिन को बिहू (Bihu), दक्षिण भारत में इस दिन को पोंगल  (Pongal) , पंजाब और सिंध प्रदेश में लोहड़ी, गुजरात मे उत्तरायण, बंगाल में  पौष संक्रांति, महाराष्ट्र और हरियाणा में माघी संक्रांति, कर्नाटक में सुग्गी हब्बा, ओडिशा में मकर चौल, कश्मीर में शिशिर संक्रांति आदि नामों से जाना जाता है।
मकर संक्रान्ति का काल देवताओं की मध्यरात्रि का काल होता है और इसके बाद देवता अपने दिन की ओर उन्मुख होने लगते हैं. इसिलए संहिता ग्रंथो में दिनोन्मुखत्वमेव दिनम कहकर इसे देवताओं का दिन कहा गया है।

ऐसे मनाते हैं मकर संक्रांति का पर्व


पूरे भारतवर्ष में मकर संक्रांति के दिन विशेष तौर पर पतंगबाजी का आयोजन होता है। इस दिन बच्चे-बुजुर्ग पूरे उत्साह के साथ अपने घर की छतों पर पतंग उड़ाते हैं और मकर संक्रांति का त्योहार मनाते हैं। इस दिन तिल के व्यंजनों का विशेष महत्व है। तिल पापड़ी,तिल लाडु, गजक, आदि स्वादिष्ट व्यंजन बनाकर बांटें जातें हैं। माना जाता है कि इस दिन बच्चों और गरीबों को भोजन करने से बहुत पुण्य होता है।


यह मकर संक्रांति पर्व की  पूजा विधि


मकर संक्रांति के  दिन भास्कर भानू सूर्य भगवान उत्तरायण होते हैं। माना जाता है कि इस दिन से देवताओं के विशेष जागृत दिन शुरू हो जाते हैं। साथ ही, घरों में मांगलिक कार्य भी संपन्न होने आरंभ हो जाते हैं। मकर संक्रांति के दिन मान्यता है कि भगवान सूर्य की अराधना होती है। सूर्यदेव को जल, लाल फूल, लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, अक्षत, सुपारी और दक्षिणा अर्पित की जाती है। पूजा के उपरांत लोग अपनी इच्छा से दान-दक्षिणा करते हैं। इस दिन तिल के लड्डू और खिचड़ी का दान भी विशेष महत्व रखता है।

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