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Sunday, May 31, 2020

31 मई तम्बाकू निषेध दिवस और बढ़ते तंबाकू उत्पादों के अवैध कारोबार

no tobacco day 31 may
World tobacco baned day



मई को दुनिया भर में हर साल विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य तंबाकू सेवन के व्यापक प्रसार और नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों की ओर ध्यान आकर्षित करना है, जो वर्तमान में दुनिया भर में हर साल 70 लाख से अधिक मौतों का कारण बनता है, WHO के सदस्य देशों ने 1987 में विश्व तंबाकू निषेध दिवस बनाया। पिछले इक्कीस वर्षों में, दुनिया भर में सरकारों, सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठनों, धूम्रपान करने वालों, उत्पादकों से उत्साह और प्रतिरोध दोनों मिले हैं।
साल 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तंबाकू के सेवन से होने वाले रोगों की वजह से मृत्युदर में वृद्धि को देखते हुए इसे एक महामारी माना। इसके बाद पहली बार 7 अप्रैल 1988 को WHO की वर्षगांठ पर मनाया गया और जिसके बाद हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
तंबाकू निषेध दिवस
तंबाकू को कहें ना



भारत में धूम्रपान को रोकने के प्रयासः

  • तम्बाकू सेवन की बढ़ती लत को कम करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से हर साल 31 मई को 'विश्व तंबाकू निषेध दिवस' मनाया जाता है वर्ष 2015 में WIIO ने इसकी थीम 'तंबाकू उत्पादों के अवैध कारोबार पर रोक लगाना' रखी है क्योंकि इससे किसी भी अर्थव्यवस्था में स्वास्थ्य कानून व अर्थव्यवस्था सीधे तौर पर प्रभावित होते हैं और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है।
• सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पाद और 2003 (COTPA) : केन्द्र सरकार ने तंबाकू या तंबाकू के किसी भी रूप से बने पदार्थों के उपयोग को नियंत्रित करने हेतु 2003 में यह अधिनियम लागू किया। इस अधिनियम की धारा 4 के अनुसार सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान को पूर्णतः प्रतिबंधित किया गया है।
• अधिनियम की धारा 5 के अनुसार तंबाकू या उसके किसी उत्पाद के विज्ञापन, संवर्द्धन एवं स्पोंसरशिप को किसी भी रूप में (ऑडियो, वीडियो एवं प्रिंट मीडिया) अवैध घोषित किया गया है। कोई भी व्यक्ति इनके प्रचार हेतु कार्य नहीं कर सकता है।
• अधिनियम की धारा 6 में किशोरों को तंबाकू उत्पाद की विक्री करने पर प्रतिबन्ध लगाया गया है। साथ ही किसी भी शैक्षणिक संस्थान की 100 मीटर की परिधि में तंबाकू या तंबाकू उत्पाद का विक्रय करने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
• अधिनियम की धारा 7 में स्पष्ट प्रावधान है कि तंबाकू या तंबाकू उत्पाद के पैकेट पर स्पष्ट तौर पर तंबाकू से स्वास्थ्य को होनेवाले नुकसान की चेतावनी लिखना आवश्यक है। इस अधिनियम के परिप्रेक्ष्य में सरकार द्वारा सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद नियम 2004 लागू किये हैं। इसके बाद इन नियमों में 2005 एवं 2008 में संशोधन किये गये हैं।
• इन नियमों का उल्लंघन करने पर 200 रुपए का जुर्माना
लगाया जा सकता है।
• सिगरेट व तंबाकू उत्पादों का विज्ञापन के नियमों का उल्लंघन करने पर दोषी व्यक्ति पर 1000 रुपए से 5000 रुपए तक का जुर्माना एवं 2 वर्ष से 5 वर्ष तक के कारावास की सजा का प्रावधान है।
• राजस्थान में 18 जुलाई, 2012 से निकोटिन व तंबाकू मिश्रित गुटखे के उत्पादन, भंडारण, वितरण व विक्रय पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। इसके उल्लंघन पर 25 हजार रुपए से 10 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।


तम्बाकू के दुष्प्रभाव-1तम्बाकू में निकोटीन नाइट्रोसाइमिन ,   टार,  बेनजीन,  आर्सेनिक, क्रोमियम, आदि कैंसर पैदा करने वाला प्रमुख तत्व पाए जाते हैं। जिसकी वजह से तम्बाकू के सेवन से अनेक प्रकार के कैंसर जैसे - फेफड़े का, मुँह का, गले का पेट का तथाकिडनी का कैंसर हो सकता है।2.तम्बाकू में के लगातार सेवन से हृदय के धमनियों में रक्त प्रवाह कम हो सकता है। जिसकी वजह से हृदय रोग जैसे मायोकोर्डियल इनर्फाकशन तथा अनजाइना हो सकता है।
3.तम्बाकू का सेवन पुरुष या महिला दोनों के प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है, पुरुषों में तम्बाकु के सेवन से शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाती है, जिससे नपुंसकता हो सकता हैं, जबकि स्त्रियों में तम्बाकू के सेवन से बाँझपन हो सकता हैं।
4.तम्बाकू के ज्यादा सेवन से स्वाद तथा सूंघने की शक्ति काम हो जाती हैं।
5.इसके ज्यादा सेवन से मुँह से दुर्गन्ध आती रहती है साथ ही हमारी लार ग्रंथि भी बहुत ज्यादा प्रभावित होती जिसके फलस्वरुप भोजन के पाचन में परेशानी होने लगती हैं।
6.इसके अलावा तम्बाकू के ज्यादा सेवन से आपके दांत पीले, मैले और कमजोर हो जाते हैं और अंत में आपके दांत और मसूड़े सड़ने लगते हैं।
7. तम्बाकू से रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है।
8. तम्बाकू से कई प्रकार के कैंसर होने की संभावना बढ जाती है।

तम्बाकू सेवन के खतरे से कैसे बचें

हालांकि तम्बाकू स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है लेकिन इसके सेवन और उत्पादन में कोई कमी नहीं हो रही।
किसी भी मादक पदार्थ के सेवन को दो तरीके से बन्द कर सकते हैं। पहला तरीका सबसे ठोस  है कि उत्पादन और उपलब्धता रोक दी जाएं। और दूसरा है सेवन करने वाले लोगों में जागरूकता पैदा कर उन्हें इसकी लत छुड़वाई जाए। हम एक तरफ तो तम्बाकू उत्पादन आसानी से उपलब्ध करवाते हैं जिनसे करोड़ों लोगों के जान की परवाह नहीं की जाती है।  केवल कुछ लोगों के रोजगार और आय के लिए करोड़ों लोगों की जान से समझौता करते हैं। सरकारें चाहें तो तम्बाकू उत्पाद के रोजगार से जुड़े लोगों को अन्य रोजगार उपलब्ध करवा कर तम्बाकू उत्पाद केवल औषधि के लिए ही उत्पादित करवाया जाए। तो बाजारों में तम्बाकू उत्पाद मिलेंगे ही नहीं। "न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी" लेकिन हमारी व्यवस्था तो देखिए हम तम्बाकू उत्पाद सेवन से होने वाली मौतों पर घड़ियाली आंसू बहाते हैं और दूसरी तरफ सिगरेट,गुटखा,आदि के उत्पादन और उपलब्धता की भरमार लगाएं हुए हैं। ऐसे लोग सेवन करते रहेंगे और मरते रहेंगे और हम तम्बाकू निषेध दिवस मनाते रहेंगे।



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