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Covid 19 |
क्या होगा जब यह महामारी चरम सीमा पर पहुंच गई तो?
वैसे तो कोरोनावायरस को वैश्विक महामारी घोषित कर दिया है लेकिन चीन और इटली में बड़े स्तर पर फैलने के बाद स्थति गंभीर बनी हुई है। स्पष्ट नहीं है कि पूरे विश्व में कितने लोग मरे हैं। कुछ देश अपने आंकड़े पूर्ण रूप से विश्व पटल पर नहीं रख रहे। सुनने मे आ रहा है कि चीन ने काफी हद तक इस महामारी को कंट्रोल करने में सफल हुआ है। यह अच्छी बात है कि कोई देश अपनी सुझ बूझ से इसे सीमित कर दें।
या जल्द कोई कारगर दवा बना कर इसे जड़ से खत्म कर दें अगर ऐसा होता है तो मानव जगत का बड़ा चमत्कार होगा क्योंकि बुद्धिजीवी मानव ऐसे अविष्कारों की बदौलत दूनिया पर राज करने में विख्यात है।
वर्तमान स्थिति और कोरोना संक्रमण के तेज गति से फैलाव को देखते हुए चिंता का विषय है कि अगर किसी देश में यह नियन्त्रण से बाहर हों गया तो क्या होगा ? फिर तो बस चमत्कार और ईश्वर, परमात्मा की उम्मीद शेष रह जाएगी।
लेकिन महामारी चरम सीमा होने के बावजूद भी इससे निपटा जा सकता है यह उस देश की तरक्की पर निर्भर करता है कि आपके पास चिकित्सा सुविधा , आपात प्रबंध, आर्थिक सूचकांक , अस्पतालो की संख्या आदि का स्तर कैसा है। अधिक जनसंख्या वाले देशों में बहुत समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। इसलिए देश की सरकार की कार्यपद्धति , संसाधन, नाजुक समय में निर्णय लेने की क्षमता, चिकित्सा संबंधी उपकरणों के कारखानें, तुरन्त अस्पताल बनाने की तकनीक आदि कार्य जो अपने आप में अद्भुत हो तो वो राष्ट्र ऐसी भयानक महामारी से कम से कम मौतों पर नियंत्रण में किया जा सकता है । उदाहरण के लिए पांच या दस लाख लोगों का एक साथ उपचार कर सकें। या बड़े स्तर पर लोगों की जांच करके उनको अस्पतालों में रखा जा सके । लेकिन कुछ देश की स्थिति खराब है वे देश दवा उत्पादन सामग्री के लिए अन्य पड़ोसी देशों पर निर्भर है। चिंता की बात यह कि अधिकांश देशों में जनसंख्या के अनुपात में चिकित्सा संबंधी उपकरणों और चिकित्सा कर्मियों की भारी कमी के कारण बड़े स्तर की महामारी से निपटना मुश्किल हो जाएगा।
एसे हालातों में उस राष्ट्र के पूरे सिस्टम की अग्निपरीक्षा होगी कि वह आपातकालीन परिस्थितियों से लड़ने के लिए कितना सक्षम है। सकारात्मक सोच रख कर हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि ऐसा कुछ नहीं हो सब कुछ सामान्य हो जाना चाहिए। नोवेल कोविड 19 की जल्द कारगर वैक्सीन बन जाएं तथा दुनिया को राहत की सांस मिलें।
लेकिन कुछ ख्याल चिंता की लकीरें खींच देते हैं कि बड़े स्तर पर फैल गया तो क्या होगा जब देश का चिकित्सा स्वास्थ्य तंत्र की ऊर्जा जवाब देने लग जाये तो ऐसे में दूसरा विकल्प है वहां की सेना के डाक्टरों की मदद ली जाएं , वहां के धनी वर्ग द्वारा बड़ी मात्रा में देश को फंडिंग की जाए, नागरिक जागरूकता के साथ साथ मदद के लिए आगे आएं अन्तिम विकल्प उस देश के सभी नागरिकों का साहस और हिम्मत अगर खुद आगे आकर देश की व्यवस्था में अपना सम्पूर्ण योगदान देने लगे चाहे वह आर्थिक हो , बचाव कार्य का हो, उत्पादन का हो या संसाधनों का हो तो आदि प्रकार से जनता मैदान आ जाएं तो ऐसी महामारी की चरम अवस्था से भी निकला जा सकता है लेकिन इस प्रकार कितनी ज़िन्दगियो का मुल्य चुकाना पड़े इसका कोई अंदाजा नहीं है।
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